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हाइलाइट्स
कुंडली का दूसरा भाव या दूसरा घर धन भाव होता है.
कुंडली का छठा घर रोग, कर्ज और शत्रु से जुड़ा है.
जन्म कुंडली का नौवां घर भाग्य का होता है.
व्यक्ति की जन्म कुंडली उसके भविष्य, वर्तमान और भूतकाल के बारे में जानकारी देती है. कुंडली में 12 घर या 12 भाव होते हैं. कुंडली के इन 12 भावों से जिंदगी के राज खुलते हैं. इन्हीं को देखकर ज्योतिषाचार्य व्यक्ति के जीवन से जुड़ी भविष्यवाणी करते हैं. श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ. मृत्युञ्जय तिवारी से जानते हैं कुंडली के 12 घर और उनसे होने वाले विचार के बारे में.
कुंडली के 12 घर या 12 भाव
1. कुंडली का पहला भाव या पहला घर
कुंडली का पहला घर या भाव व्यक्ति का शरीर या लग्न होता है. पहले घर या भाव से व्यक्ति के शरीर, आकृति, यश, सम्मान, गुण, बुद्धि, सुख, दुख, बल, प्रारब्ध, स्वभाव, मस्तिष्क, आयु, निद्रा, पत्नी की सेहत, व्यक्तित्व, धैर्य, रोग प्रतिरोधक क्षमता आदि का विचार किया जाता है.
2. कुंडली का दूसरा भाव या दूसरा घर
कुंडली का दूसरा भाव या दूसरा घर धन भाव होता है. इससे व्यक्ति के परिवार, पारिवारिक सुख, घर, विवेक, भोजन, विद्या, धन, संपत्ति, सोना, दाहिनी आंख, सत्य, स्वाद, यात्रा आदि के संबंध में विचार किया जाता है.
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3. कुंडली का तीसरा भाव या तीसरा घर
कुंडली का तीसरा घर या भाव व्यक्ति के पराक्रम से जुड़ा होता है. तीसरे घर से व्यक्ति के हाथ, कान, मित्रता, रहन-सहन, माता, पिता, मरण, उद्योग, महत्वाकांक्षा, नौकर, सुख, दुख, अचल संपत्ति, कर्म, श्रम आदि का विचार होता है.
4. कुंडली का चौथा भाव या चौथा घर
किसी भी व्यक्ति की कुंडली का चौथा घर मातृ भाव का होता है. इससे व्यक्ति की माता, साहस, उन्नति, कीर्ति, वाहन सुख, प्राथमिक शिक्षा, जमीन जायदाद, खेती, पशुपालन, चरित्र, हृदय, फेफड़े, सांस लेने वाले अंगों आदि के बारे में विचार होता है.
5. कुंडली का पांचवां भाव या पांचवां घर
कुंडली का पांचवा घर या भाव शिक्षा और संतान से संबंधित होता है. इस घर का अध्ययन करके आप व्यक्ति के विवेक, शिक्षा, योग, राजनीति, प्रतिष्ठा, लेखन, साहित्य, रोग, भाग्य, ज्ञान, गर्भ धारण, अमाशय, उदर आदि के बारे में जान सकते हैं.
6. कुंडली का छठा भाव या छठा घर
कुंडली का छठा घर रोग, कर्ज और शत्रु से जुड़ा है. इस घर से व्यक्ति के रोग, हानि, आर्थिक पक्ष, मामा पक्ष का हाल, कर्ज, दुर्घटना, चिंता, शंका, वाद-विवाद, पाचन क्रिया, चोट, घाव आदि के बारे में जाना जा सकता है.
7. कुंडली का सातवां भाव या सातवां घर
जन्म कुंडली का सातवां घर स्त्री और विवाह का होता है. इस घर से आप पत्नी के रंग-रूप, गुण, स्वभाव, विवाह, बिजनेस, लाभ, हानि, कोर्ट, कचहरी, सेहत, दांपत्य जीवन, प्रेम, पत्नी की आयु, सुख आदि के बारे में जान सकते हैं.
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8. कुंडली का आठवां भाव या आठवां घर
कुंडली का आठवां घर या भाव का व्यक्ति के आयु से संबंध होता है. इस घर से आप अचानक धन लाभ, शत्रु, गुप्त रोग, कर्ज संकट, मृत्यु, आपदा, ससुराल पक्ष से लाभ, यात्रा कष्ट आदि के बारे में विचार किया जाता है.
9. कुंडली का नौवां भाव या नौवां घर
जन्म कुंडली का नौवां घर भाग्य का होता है. इस घर से व्यक्ति के भाग्य, पर्यटन, संपन्नता, पौत्र सुख, तीर्थ यात्रा, आदर्श पुत्र, आदर्श पिता, धर्म, वायु यात्रा, जल यात्रा, शासन आदि के बारे में जानकारी हासिल की जा सकती है.
10. कुंडली का दसवां भाव या दसवां घर
कुंडल का दसवां घर कर्म का है. इससे पिता का कार्य, गुण, स्वभाव, आयु, नौकरी, बिजनेस, राजयोग, उच्च पद, धन, वैभव, पिता का सुख, यश, रोजगार, उन्नति, पतन, पद लाभ आदि का विचार किया जाता है.
11. कुंडली का ग्यारहवां भाव या ग्यारहवां घर
कुंडली का ग्यारहवां घर आय का है. इस घर से आप इनकम, धन लाभ, भाई, वाहन लाभ, मित्र सुख, प्रॉपर्टी, अचानक धन लाभ, आभूषण, कर्मकांड, पूजा-पाठ, मेल-मिलाप आदि के बारे में जान सकते हैं.
12. कुंडली का बारहवां भाव या बारहवां घर
कुंडली का बारहवां घर व्यय यानि खर्च का होता है. इस भाव से आप व्यसन, दुराचरण, जेल, दंड, कर्ज, व्यय, अपयश, धन हानि, शत्रुता, रोग, वृद्धावस्था, कोर्ट-कचहरी के केस, विदेश यात्रा आदि के बारे में विचार होता है.
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Tags: Astrology, Dharma Aastha
FIRST PUBLISHED : May 16, 2023, 16:01 IST
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