
इस डील के मुताबिक साल 2035 तक यह फाइटर जेट बनकर तैयार हो जाएगा और उसमें ब्रिटेन के नेतृत्व वाला फ्यूचर काम्बैट एयर सिस्टम प्रॉजेक्ट शामिल किया जाएगा। इसके अलावा जापान के F-X प्रोग्राम को भी इसमें जगह मिलेगी। तीनों देशों ने शुक्रवार को एक बयान जारी करके इस समझौते का ऐलान किया है। यह डील ऐसे समय पर हुई है जब रूस यूक्रेन पर भीषण हमले कर रहा है और चीन ने ताइवान और जापान के खिलाफ अपनी आक्रामक सैन्य कार्रवाई को तेज कर दिया है।
जापान के लिए आसान नहीं होगी चीन से चुनौती
विशेषज्ञों का मानना है कि इस डील से जापान अपने विशाल पड़ोसी देश चीन के खतरे से आसानी से निपट पाएगा। साथ ही ब्रिटेन की इस इलाके की सुरक्षा में भूमिका भी बढ़ जाएगी जो वैश्विक आर्थिक विकास में अहम योगदान देता है। तीनों देशों ने एक बयान जारी करके कहा, ‘हम कानून आधारित, स्वतंत्र और मुक्त अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को बरकरार रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं जो अभी सबसे ज्यादा जरूरी हो गया है। वह भी तब जब इन सिद्धांतों को चुनौती दी जा रही है। साथ ही खतरे और आक्रामकता बढ़ रही है।’
इस डील के जरिए जापान ने अपने दोस्त और सहयोगी अमेरिका को बड़ा संदेश दिया है। दूसरे विश्वयुद्ध के बाद पहली बार बिना अमेरिका के ही जापान इतने बड़े रक्षा प्रोजेक्ट को आगे बढ़ा रहा है। जापान ने पहले अमेरिका की कंपनी लॉकहीड मार्टिन को इसके लिए चुना था लेकिन बाद में अब उसने ब्रिटेन और इटली के साथ हाथ मिला लिया है। माना जा रहा है कि इस पूरे प्रॉजेक्ट में जापान प्रमुख भूमिका निभा सकता है। जापानी विशेषज्ञों का कहना है कि साल 2035 तक चीन के पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट को टक्कर देने के लिए एक अत्याधुनिक फाइटर जेट बनाना बहुत ही चुनौती वाला काम होगा। वह भी तब जब यह कम पैसे में विकसित हो जाए।