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हरियाणा सरकार के सुपर 100 प्रोग्राम से कोचिंग लेने वाले 40 विद्यार्थियों ने जेईई एडवांस्ड परीक्षा क्रैक की है। हरियाणा सरकार का शिक्षा विभाग रेवाड़ी जिले में विकल्प एनजीओ के साथ मिलकर सुपर 100 प्रोग्राम संचालित करता है। यहां बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ उनके रहने और खाने तक की व्यवस्था फाउंडेशन में ही की जाती है। इस वर्ष यहां के 89 विद्यार्थियों ने जेईई मेन की परीक्षा पास कर एडवांस्ड में हिस्सा लिया था। रेवाडी में ‘सुपर 100’ कार्यक्रम के प्रमुख नवीन मिश्रा के मुताबिक जेईई एडवांस्ड पास करने वाले 40 छात्रों में से 33 लड़के और सात लड़कियां हैं। रेवाड़ी सुपर 100 केंद्र अनुसूचित जाति के छात्रों के लिए एक बड़ा तोहफा है। एससी वर्ग के 18 छात्रों ने एडवांस्ड परीक्षा पास की है जबकि ओबीसी-एनसीएल से 9, सामान्य वर्ग से चार, सामान्य-ईडब्ल्यूएस से आठ स्टूडेंट्स ने एग्जाम पास किया है।
मिश्रा द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, हरियाणा सुपर 100 कार्यक्रम के तीन छात्र अपनी-अपनी कैटेगरी में शीर्ष 1,000 रैंक होल्डर्स में शामिल थे, 23 छात्रों को 1,000 और 5,000 के बीच रैंक दिया गया था, सात छात्रों को 5,000 से ऊपर और 10,000 से कम रैंक दिया गया था, दो छात्रों को 10,000-15,000 ब्रैकेट में रैंक दिया गया। और दो को ही 15,000 से 25,000 ब्रैकेट में रैंक दिया गया।
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सामान्य वर्ग के चार छात्रों की रैंक 11,994 से 25,929 के बीच थी।
सिरसा के विकास ने जेईई एडवांस में 160 अंक हासिल किए हैं और सामान्य-ईडब्ल्यूएस श्रेणी में 488वीं रैंक हासिल की है। उनके बड़े भाई मुकेश कुमार ने कहा कि जब विकास सिर्फ छह महीने का था तब उनकी मां का निधन हो गया था।
उन्होंने कहा, “मेरी दादी ने हमारा ख्याल रखा। पिताजी को हमें अच्छी शिक्षा दिलाने में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा। हमारे गांव के एक सरकारी स्कूल शिक्षक ने विकास को 10वीं कक्षा उत्तीर्ण करने पर ‘सुपर 100’ कार्यक्रम के लिए आवेदन करने के लिए प्रेरित किया।” उन्होंने कहा कि उनका भाई उनके गांव का पहला छात्र है जिसे आईआईटी में प्रवेश मिलने की संभावना है।
हिसार के एक अन्य छात्र विकास कुमार, जो एससी कैटगरी में 305वें स्थान पर रहे हैं, ने कहा कि उनके पिता एक स्ट्रीट वेंडर के रूप में काम करते हैं और वह आईआईटी रोपड़ या धनबाद में कंप्यूटर साइंस स्ट्रीम में प्रवेश की उम्मीद कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘दो साल पहले कार्यक्रम के लिए चुने जाने से पहले मेरे परिवार में किसी को भी इस परीक्षा के बारे में पता नहीं था। सफलता हासिल करने के लिए एक सही दिशा और एक मार्गदर्शक की आवश्यकता होती है।’
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बिहार में मधुबनी जिले के एक छोटे से गांव के रहने वाले नवीन मिश्रा ने 2018 में इस कार्यक्रम की शुरुआत की थी और अब तक चार बैच जेईई परीक्षा में शामिल हो चुके हैं। मिश्रा ने 2006 में आईआईटी दिल्ली से बीटेक किया था और वह दो मौकों पर यूपीएससी साक्षात्कार में शामिल हुए, लेकिन कट-ऑफ में जगह नहीं बना सके। वह चार अन्य शिक्षकों के साथ मिलकर इस केंद्र को चला रहे हैं।
उन्होंने कहा, “हमारी शिक्षा प्रणाली सही रास्ते पर नहीं है। हमारा ध्यान खुद को और छात्रों को बदलने पर है और यह तभी हासिल होगा जब हम दोनों एक ही दिशा में काम करेंगे।”
छात्रों को दी जा रही सुविधाओं के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि राज्य सरकार छात्रों को भोजन और रहने की जगह उपलब्ध करा रही है और बाकी खर्च विद्यार्थी खुद वहन कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘हमारे 21 छात्रों ने 2020 में, 27 ने 2021 में और 39 ने 2022 में जेईई एडवांस्ड परीक्षा उत्तीर्ण की थी। इनमें से 44 छात्र वर्तमान में विभिन्न आईआईटी और 39 एनआईटी में पढ़ रहे हैं। मुझे उम्मीद है कि इस साल 30 छात्रों को आईआईटी में प्रवेश मिलने की संभावना है।”
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