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JEE Main exam 2023: बॉम्बे हाईकोर्ट ने जेईई मेन अभ्यर्थियों के लिए 12वीं में 75 फीसदी मार्क्स संबंधी पात्रता शर्त पर नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) और सरकार से जवाब मांगा है। कोर्ट ने गुरुवार को एनटीए से पूछा कि जब आईआईटी, एनआईटी, ट्रिपल आईटी जैसे विभिन्न इंजीनियरिंग संस्थानों में क्वालिफाइंग एग्जाम का सिस्टम बना हुआ है तो फिर 12वीं में 75 फीसदी मार्क्स का क्राइटेरिया रखने का क्या मकसद है। कोर्ट उस याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसमें स्टूडेंट्स ने मांग की है कि जेईई मेन के लिए 75 फीसदी और टॉप 20 परसेंटाइल पात्रता क्राइटेरिया को या तो खत्म किया जाए या फिर उसे कम करके 50 फीसदी किया जाए।
एक्टिंग चीफ जस्टिस संजय वी गंगापुरवाला और जस्टिस संदीप वी मार्ने की पीठ इस मामले पर सुनवाई कर रही थी। कोर्ट ने एनटीए से जेईई मेन में 75 फीसदी क्राइटेरिया सेट करने संबंधी सभी दस्तावेज और जानकारियां सब्मिट करने के लिए कहा है। टाइम्स नाउ पर प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक इस मामले की अगली सुनवाई 13 अप्रैल 2023 को होगी। अगले सप्ताह कोर्ट इस पर फैसला सुना सकता है।
याचिकाकर्ता एडवोकेट अनुभा सहाय ने कहा, ‘माननीय मुंबई उच्च न्यायालय ने सरकार से 75 फीसदी क्राइटेरिया से संबंधित कुछ दस्तावेज पेश करने के लिए कहा है जैसे यह कब से लागू है, अगर विभिन्न राज्यों में टॉप 20 परसेंटाइल का कटऑफ अलग अलग है तो 20 परसेंटाइल वाला नियम कैसे मदद करेगा जबकि कई जगहों पर यह 75 फीसदी से भी ज्यादा है।’
लाइव लॉ वेबसाइट पर प्रकाशित खबर के मुताबिक याचिकाकर्ता ने कहा है कि 2019 के बाद बोर्डों ने टॉप 20 परसेंटाइल जारी नहीं किया है।
आपको बता दें कि एक बड़े बदलाव के तहत इस बार जेईई मेन में 2020 से पहले के 12वीं में 75 फीसदी मार्क्स वाले नियम को फिर से बहाल कर दिया गया है। कोरोना से पहले आईआईआईटी, एनआईआई व सीएफटीआई संस्थानों में एडमिशन के लिए 12वीं में कम से कम 75 फीसदी मार्क्स लाना अनिवार्य हुआ करता था। लेकिन वर्ष 2020 में कोरोना के चलते यह शर्त हटा दी गई थी। लेकिन 2023 से इसे फिर से लागू कर दिया गया है। जेईई मेन के इस एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया को लेकर स्टूडेंट्स, अभिभावकों ने इसके खिलाफ आवाज उठाई। विवाद को बढ़ता देख केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने जेईई मेन 2023 एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया में बदलाव का फैसला किया। इसके बाद बदली गई गाइडलाइंस में कहा गया कि उम्मीदवारों के 12वीं बोर्ड एग्जाम में कम से कम 75 फीसदी नंबर होना चाहिए या फिर संबंधित बोर्ड एग्जाम रिजल्ट में टॉप 20 परसेंटाइल उम्मीदवारों में से एक होना चाहिए। स्टूडेंट्स का कहना है कि टॉप 20 परसेंटाइल वाले एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया में एकरूपता नहीं है और ये हर बोर्ड में अलग-अलग है।
कोर्ट ने गुरुवार को कहा, ‘आपने जो छूट दी है क्या उससे कोई फायदा होगा? केवल कुछ बोर्डों को ही फायदा होगा। उदाहरण के तौर पर गोवा में यह 375 है, इसलिए वहां के स्टूडेंट्स को फायदा हो सकता है। महाराष्ट्र में कटऑफ सीबीएसई से भी ऊंची है।’
जेईई मेन पेपर-1 अंडरग्रेजुएट इंजीनियरिंग प्रोग्राम जैसे एनआईटी, आईआईआईटी में बीई, बीटेक और अन्य केंद्रीय वित्तपोषित तकनीकी संस्थानों (सीएफटीआई) में प्रवेश के लिए आयोजित किया जाता है। जबकि जेईई मेन का पेपर दो देश में बी आर्क और बी प्लानिंग कोर्स में प्रवेश के लिए आयोजित किया जाता है।
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