Joshimath Sinking Case: जोशीमठ में भूं-धंसाव ने ग्रामीणों को गहरे जख्म जरूर दिए हैं, लेकिन उनके हौसलों को भी सलाम है। जख्म खाने के बाद भी पीड़ितों के हौसले पहाड़ जैसे बुलंद हैं। कड़ाके की ठंड में भी प्रभावित हर मुसीबतों का जमकर सामना कर रहे हैं।
संकट के समय भी धैर्य और जीने का हौसला देखना है तो जोशीमठ के लोगों में देखा जा सकता है। जमीन भले ही दरकी हो पर यहां के लोगों की हिम्मत और हौसले पहाड़ की तरह हैं। लोग संकट में जरूर हैं पर जीने के प्रति हौसला देखते ही बन रहा है। भू-धंसाव से जिनके घर दरके, वे उचित मुआवजे और सुरक्षित विस्थापन के लिए जरूर खड़े हैं, लोगों की आंखों में भावनाओं का समंदर भी तैरता देखा जा सकता है।
बुधवार को बस स्टेशन पर जगदम्बा नौटियाल मिले। उन्होंने कहा, वे आपदा प्रभावित जरूर हैं पर निराश नहीं। कहते हैं कि नृसिंह भगवान रक्षक हैं, अब बुरा नहीं होगा। जोशीमठ फिर खड़ा होगा। दिगम्बर सिंह जोशीमठ के प्रसिद्ध चुन्या त्योहार के लिए सामान खरीदने आए। वे कहते हैं कि जोशीमठ फिर से उठ खड़ा होगा। हम में हिम्मत है आशा है।
उधर, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सचिव मीनाक्षी सुंदरम भी कहते हैं कि वर्तमान संकट स्थाई नहीं है। यहां लोगों में फिर से उठ खड़े होने की हिम्मत है। जोशीमठ में प्रेस वार्ता में सुंदरम ने कहा कि जोशीमठ धार्मिक और अंतरराष्ट्रीय पर्यटक स्थल है। इसका अस्तित्व था है और रहेगा। यह प्रचारित करना कि जोशीमठ ध्वस्त हो रहा है सरासर गलत है।
प्रसव से हफ्तेभर पूर्व गर्भवती महिलाओं को अस्पताल में भर्ती करने का आदेश
भू-धंसाव प्रभावित नगर में गर्भवती महिलाओं के सुरक्षित प्रसव के लिए स्वास्थ्य विभाग ने तैयारी कर ली है। सीएमओ ने आशा और एएनएम को गर्भवती महिलाओं की निरंतर जांच के निर्देश दिए हैं। आपदा और हिमपात के दृष्टिगत प्रसव की सम्भावित तारीख से एक सप्ताह पूर्व गर्भवती महिलाओं को अस्पताल में भर्ती करने के आदेश दिए गए हैं।
जिनके प्रसव की सम्भावित तिथि जनवरी-फरवरी में है, उन महिलाओं में कुछ प्रशासन के अस्थाई शिविरों में हैं। एसीएमओ डॉ. एमएस खाती ने बताया कि जिनके प्रसव की सम्भावित तारीख जनवरी में है, उनकी संख्या ग्यारह है। फरवरी में जिनका प्रसव होना है, उनकी संख्या नौ है।
गर्भवतियों को अस्पताल लाने के लिए स्वास्थ्य विभाग की तीन एम्बुलेंस, तीन 108 वाहनों की व्यवस्था 24 घंटे तैयार रखी गई है। उधर, राहत शिविरों में छोटे बच्चों के लिए दूध की व्यवस्था की है। डीएम हिमांशु खुराना ने बताया, जहां प्रभावितों को रखा है, वहां बच्चों को दूध के लिए निरंतर पैकेट बांटे जा रहे हैं।
देर किए बिना बसाएं
जोशीमठ बचाओ समिति के अध्यक्ष अतुल सती के अनुसार, इस शहर के आसपास कई स्थान हैं, जहां अस्थाई कैंप बनाए जा सकते हैं। बाद में उसी जगह स्थाई तौर पर बसाया जा सकता है। बिना देर किए उन स्थानों का सर्वे कराया जाए। यहां फल संरक्षण विभाग की जमीन है। बगल में वनभूमि है।
एकमुश्त रकम बढ़ाएं
सती के अनुसार, कोटी फार्म, औली, बड़ा गांव के पास वनभूमि भी शामिल है। दूसरा विकल्प यह है कि सरकार प्रभावितों को एकमुश्त अच्छी राशि दे, जो पुनर्वास तक इन लोगों के जीवन यापन के काम आए। यह चार लाख रुपये से कम न हो। इससे प्रभावित अपने छह-आठ महीने गुजर-बसर कर सकते हैं। लेकिन, अभी जो राशि दी जा रही है, वह बहुत कम है।