Tuesday, September 3, 2024
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Joshimath Sinking: हिमाचल में जोशीमठ जैसे हालात?, CM सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हर जिले के DC से मांगी रिपोर्ट


शिमला.उत्तराखंड के जोशीमठ (Joshimath Sinking) में भू-धंसाव ने पूरे देश को सकते में डाल दिया. विशेषज्ञ इसे मानव निर्मित आपदा मान रहे हैं और इसके लिए सीधे तौर पर अवैज्ञानिक तरीके से की गई विकासात्मक गतिविधियों को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है. उत्तराखंड के पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में भी इसी तरह की आशंकाएं जताई जा रही हैं. खासकर उन जिलों में जहां पर जल विद्युत परियोजनाओं (Hydro Projects) का जाल बिछा हुआ है. इस सब के बीच हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने साफ किया कि राज्य में जोशीमठ जैसे हालात बनने की संभावनाएं नहीं है. सीएम ने इस संबंध में राजधानी शिमला (Shimla) में आपदा प्रबंधन की उच्च स्तरीय बैठक की. बैठक में उत्तराखंड के जोशीमठ में हो रहे भू-धंसाव और हिमाचल प्रदेश में ऐसे संभावित स्थानों की पहचान करने पर विस्तृत चर्चा की गई.

तीन मुद्दों पर अलग-अलग रिपोर्ट मांगी

बैठक की अध्यक्षता करते हुए सीएम सुक्खू ने अधिकारियों को प्रदेश में भू-धंसाव संभावित स्थानों की पहचान करने के निर्देश दिए. इस दौरान सीएम ने अधिकारियों को आपदा के मद्देनजर आपातकालीन प्रतिक्रिया क्षमता बढ़ाने और पूर्व चेतावनी प्रसार प्रणाली विकसित करने के लिए प्रभावी कदम उठाने के निर्देश भी दिए. मुख्यमंत्री ने किन्नौर, कुल्लू, चम्बा और कांगड़ा जिला के उपायुक्तों को भू-धंसाव के संभावित क्षेत्रों की पहचान करने के निर्देश देते हुए जल्द रिपोर्ट भेजने को कहा. उन्होंने उपायुक्तों को भू-स्खलन, भू-धंसाव और सड़क हादसों के ब्लैक स्पॉट्स की अलग-अलग रिपोर्ट भेजने के भी निर्देश दिए.

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नुकसान की विस्तृत जानकारी भी ली

मुख्यमंत्री ने प्रदेश में विभिन्न आपदाओं से होने वाले नुकसान की विस्तृत जानकारी भी ली. उन्होंने आपदाओं से निपटने के लिए संस्थागत स्तर से लेकर व्यक्तिगत स्तर तक तैयारियों को मजबूत करने, शमन और निवारक उपायों पर विशेष बल दिया. मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से प्रदेश में भूस्खलन प्रभावित स्थलों और सिंकिंग जोन का पूर्ण विवरण लिया. उन्होंने इन क्षेत्रों में जोखिम न्यूनीकरण और आपदा प्रबंधन के तहत समय-समय पर किए गए विभिन्न उपायों का ब्यौरा भी लिया.

मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को ग्लेशियर मैपिंग के लिए भी आधुनिक उपकरणों के माध्यम से उचित व्यवस्था करने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि जिन क्षेत्रों में भूकंप अधिक आते हैं उनका अध्ययन कर विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जाए. उन्होंने कहा कि प्रदेश के जिन क्षेत्रों में सर्पदंश की घटनाएं अधिक होती हैं वहां इसके उपचार के लिए प्राथमिक स्तर पर व्यवस्था सुनिश्चित की जाए. उन्होंने ऐसे सभी संभावित क्षेत्रों के स्वास्थ्य संस्थानों में विषरोधक इंजेक्शन की उपलब्धता सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिए.

सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने प्रदेश में राष्ट्रीय आपदा मोचन बल और राज्य आपदा मोचन बल की स्थापना के लिए राज्य सरकार की ओर से उपलब्ध करवाई गई भूमि की वन स्वीकृतियां प्राथमिकता के आधार पर प्रस्तुत करने के निर्देश दिए, ताकि केन्द्र सरकार से सभी विकास परियोजनाओं की वन स्वीकृतियों के संबंध में मामला उठाया जा सके. उन्होंने सभी संबंधित विभागों को प्राथमिकता के आधार पर ऐसे मामलों को निपटाने के निर्देश दिए. मुख्यमंत्री ने राज्य आपदा मोचन निधि से हिमाचल प्रदेश राज्य बिजली बोर्ड को दी जाने वाली राशि में वृद्धि के भी निर्देश दिए. उन्होंने हिमाचल प्रदेश आपदा राहत नियमावली में संशोधन के लिए भी अधिकारियों को निर्देश दिए.

इन जिलों के डीसी से की बात

बैठक में आपदा प्रबंधन के प्रधान सचिव ओंकार शर्मा ने प्रदेश में भूस्खलन प्रभावित स्थानों और आपदा प्रबंधन के बारे में विस्तृत जानकारी दी. बैठक में राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी, मुख्य संसदीय सचिव किशोरी लाल, विधायक सुरेश कुमार, मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना, विशेष सचिव आपदा प्रबंधन सुदेश कुमार मोख्टा और विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे. सोलन, कांगड़ा, मंडी, बिलासपुर, सिरमौर, कुल्लू, किन्नौर तथा चंबा जिला के उपायुक्त वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक में शामिल हुए.

Tags: Himachal pradesh, Joshimath, Sukhvinder Singh Sukhu



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