Joshimath Sinking Case: जोशीमठ में भूं-धसाव का मामला रातोंरात नहीं हुआ है, बल्कि इस शहर की यह आपातकाल स्थिति दशकों के लापरवाह निर्माण और वैज्ञानिक सिफारिशों की घोर लापरवाही का नतीजा है। रिसर्च के नतीजे इस ओर इशारा करते हैं।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट की मानें तो 2006 में ‘जोशीमठ लोकलाइज्ड सबसिडेंस एंड एक्टिव इरोशन ऑफ द एटी नाला’ एक वैज्ञानिक रिपोर्ट में पता चला था कि जोशीमठ के कुछ हिस्से हर साल 1 सेमी तक फिसल रहे हैं।
भूमिगत रिसाव, नालों द्वारा कटाव और कई प्रकार की मानवजनित गतिविधियों ने इस क्षेत्र को इस हद तक कमजोर बना दिया है कि ढलान का एक ब्लॉक, जिसमें कामेट, सेमा गांव और जोशीमठ शहर शामिल हैं, वो 1 सेमी/वर्ष से अधिक की दर से फिसल रहा है। इस क्षेत्र का डूबना कई घरों से स्पष्ट है, जिन्होंने दृढ़ नींव और समर्थन के बावजूद रास्ता छोड़ दिया है।
परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित करने की आवश्यकता का भी बात कही है। जोशीमठ के रविग्राम के वार्ड में कुछ परिवार पहले ही शिफ्ट हो चुके हैं, जबकि तीन-चार परिवारों को जल्द ही शिफ्ट किया जाना है। देहरादून स्थित वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के वैज्ञानिक स्वप्नमिता चौधरी, जिन्होंने यह रिपोर्ट बनाई है कि बतातीं हैं कि दरारों का अवलोकन करने के बाद ही रिपोर्ट बनाई गई है।
जोशीमठ के सुनील और रविग्राम जैसी जगहें रेंग रही हैं, क्योंकि इनमें दरारें विकसित हो रहीं हैं। चिंता की बात है कि दूसरी जगहों की तुलना में इसका फिसलना तेज गति से हो रहा है। चौधरी की टीम ने एक साल तक जमीनी विस्थापन का सर्वे भी किया। उन्होंने कहा कि मृदा रेंगने का अध्ययन जो हमने पिछले वर्ष किया था, उसमें पाया गया था कि मिट्टी, विशेष रूप से जोशीमठ के रविग्राम वार्ड में, सालाना 80 मिमी रेंग रही थी।
उन्होंने बताया कि 2 जनवरी के बाद से जब एनटीपीसी जलविद्युत परियोजना में जलभृत फट गया, उस क्षेत्र की कॉलोनी में ही दरारें विकसित हुई हैं। यह एक नई बात है। भूभौतिकीय और जल विज्ञान अध्ययन से वैज्ञानिक रूप से इसके पीछे के कारणों को समझने की कोशिश कर रहे हैं।
किस वार्ड में क्या हाल
वार्ड का नाम भवनों में दरार
गांधी नगर 134
पालिका मारवारी 28
लोअर बाजार 24
सिंहधार 56
मोहनबाग 80
अपर बाजार 31
सुनील 38
परसारी 51
रविग्राम 161
क्षमता के हिसाब से करना होगा विकास
वाडिया इंस्टीट्यूट के निदेशक कलाचंद साईं ने कहा कि जोशीमठ की घटना से सबक लेकर पहाड़ों में क्षमता के हिसाब से विकास करना होगा। सतत विकास भी जरूरी है, लेकिन उसके लिए पर्यावरण को भी ध्यान में रखना होगा। साईं ने बताया कि वाडिया की एक टीम जोशीमठ में सर्वे कर लौट चुकी है।
सोमवार को दोबारा एक टीम जोशीमठ भेजी जाएगी। उन्होंने कहा कि पहाड़ी शहरों की क्षमताएं सीमित हैं, इसे ध्यान में रखकर विकास करना होगा। उन्होंने कहा कि जोशीमठ पर अभी बहुत काम किया जाना है, इसमें समय लगेगा।