Home National Justice BR Gavai: जस्टिस बीआर गवई आज लेंगे देश के 52वें CJI के रूप में शपथ, बनेंगे सुप्रीम कोर्ट के दूसरे दलित मुख्य न्यायाधीश

Justice BR Gavai: जस्टिस बीआर गवई आज लेंगे देश के 52वें CJI के रूप में शपथ, बनेंगे सुप्रीम कोर्ट के दूसरे दलित मुख्य न्यायाधीश

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Justice BR Gavai: जस्टिस बीआर गवई आज लेंगे देश के 52वें CJI के रूप में शपथ, बनेंगे सुप्रीम कोर्ट के दूसरे दलित मुख्य न्यायाधीश

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Justice BR Gavai: न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई (BR Gavai) बुधवार यानी 14 मई को भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) के रूप में शपथ लेंगे. वह देश के दूसरे दलित चीफ जस्टिस होंगे. उनसे पहले जस्टिस केजी बालाकृष्णन भारत के पहले दलित मुख्य न्यायाधीश बने थे. जस्टिस बालाकृष्णन साल 2007 में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रहे.

कानून मंत्रालय ने 30 अप्रैल को जस्टिस गवई की भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति की अधिसूचना जारी की थी. उससे पहले 16 अप्रैल को सीजेआई संजीव खन्ना ने केंद्र सरकार से जस्टिस गवई के नाम की सिफारिस की थी. उनका कार्यकाल सिर्फ छह महीने का होगा. वह 23 दिसंबर 2025 को 65 वर्ष की आयु पूरी होने पर सेवानिवृत्त हो जाएंगे. 

सिर्फ 6 महीने का होगा जस्टिस गवई का कार्यकाल

बता दें कि जस्टिस बीआर गवई कई अहम फैसलों में शामिल रहे हैं वह साल 2016 में केंद्र के नोटबंदी को लेकर दिए गए फैसले का हिस्सा रहे. जिसमें कहा गया था कि सरकार को करेंसी को अवैध घोषित करने का अधिकार है. इसके साथ ही जस्टिस गवई बुलडोजर कार्रवाई के खिलाफ दिए आदेश वाली पीठ में भी शामिल रहे हैं. वह इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर फैसला देने वाली पीठ का भी हिस्सा थे.

मंगलवार को सेवानिवृत हुए सीजेआई संजीव खन्ना

इससे पहले मंगलवार यानी 13 मई को मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस संजीव खन्ना 65 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त हो गए. इस दौरान जस्टिस खन्ना ने कहा कि वह सेवानिवृत्ति के बाद कोई आधिकारिक पद नहीं संभालेंगे. हालांकि उन्होंने कानून के क्षेत्र में काम जारी रखने की बात कही. बता दें कि जस्टिस गवई अक्सर भारत के संविधान की महानता की चर्चा करते हैं. इसी संविधान की बदौलत उनके भाग्य का निर्धारण हुआ है.

इसको लेकर जस्टिस गवई ने कई बार चर्चा की है. पिछले साल ही जस्टिस बीआर गवई ने अपने भाषण में कहा था कि यह पूरी तरह से डॉ. बीआर अंबेडकर की कोशिशों के चलते संभव हुआ कि मेरे जैसे व्यक्ति, जो एक अर्ध-झुग्गी-झोपड़ी वाले इलाके में नगरपालिका स्कूल में पढ़ता था, इस पद तक पहुंच सका. यही नहीं उन्होंने अपने भाषण का समापन भी ‘जय भीम’ के नारे के साथ किया था.



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