Land Subsidence: जोशीमठ (Joshimath) में भू-धंसाव की वजह घरों में दरारें पड़ने के बाद बाद बदरीनाथ हाईवे पर भी दरारें पड़ गईं है। चिंता की बात है कि हाईवे पर 1-2 मीटर तक दरारें पड़ीं हैं। हाईवे पर दरारों को देख एक बार फिर लोगों की चिंताएं भी बढ़ गईं हैं। आपको बता दें कि बदरीनाथ, केदारनाथ सहित चारों धामों में पिछले साल 2022 में 45 लाख से भी ज्यादा श्रद्धालुओं ने दर्शन किया था।
जोशीमठ शहर से गुजर रहे बदरीनाथ हाईवे पर कई जगह दरारे पड़ गईं हैं। कई जगह सड़क का हिस्सा धंस भी गया है। हालांकि, प्रशासन का दावा है कि दरारें चिंता की बात नहीं है। दावा किया है कि चारधाम यात्रा शुरू होने से पहले सभी दरारों को ठीक कर दिया जाएगा।
मालूम हो कि बद्रीनाथ में मई में यात्रा शुरू होती है। तो दूसरी ओर, जोशीमठ में धंस रही सड़कों पर गाड़ियों की आवाजाही नहीं रुक रही है। बदरीनाथ मुख्य सड़क ही नहीं, अंदरूनी मार्गों पर भी गाड़ियां दौड़ रहीं हैं। स्थानीय लोग इसका विरोध भी कर रहे हैं। वहीं विशेषज्ञों ने भी धंस रही और दरार वाली सड़कों पर वाहनों की आवाजाही को खतरनाक बताया है।
सचिव आपदा प्रबंधन डॉ रंजीत कुमार सिन्हा का कहना है कि बदरीनाथ यात्रा हर हाल में संचालित होगी। यात्रा शुरू होने से पहले ही परंपरागत बदरीनाथ मार्ग को दुरूस्त कर दिया जाएगा। कहा कि बाईपास निर्माण पर भी उत्तराखंड सरकार का फोकस है। यात्रा के प्रभावित होने की बातें काल्पनिक है।
बताया कि उत्तराखंड सरकार बदरीनाथ धाम जाने के लिए समय रहते ही वर्तमान को दुरूस्त कराएगी, जिससे श्रद्धालुओ सहजता से बदरीनाथ धाम जा सकें। कहा कि परंपरागत यात्रा मार्ग पर भी कुछ स्थानों पर दरारें आई थीं। लेकिन अब यह सिलसिला रुक चुका है।दरारों के चौड़ा होने की जानकारी भी फिलहाल सामने नहीं आई।
डॉ. सिन्हा ने कहा कि वैज्ञानिकों की रिपेार्ट का इंतजार किया जा रहा है। यात्रा शुरू होने से पहले पहले इस मार्ग को सुरक्षित करा लिया जाएगा। उन्होंने यात्रियों की सुरक्षा को लेकर कहा कि सरकार यात्रा के लिए तैयार है। यात्रियों की धाम तक सुरक्षित आवाजाही की जिम्मेदारी पूरी तरह जिला प्रशासन निभाएगा।
ज्योतिष पीठ जाने वाले मार्ग पर 52 से ज्यादा दरारें
जोशीमठ:रोपवे तिराहे से नृसिंह मंदिर परिसर स्थित आदिगुरू शंकराचार्य के गद्दीस्थल व मठ के रास्ते पर 52 से ज्यादा दरारें हैं। वहीं मंदिर परिसर का एक हिस्सा भी धंस रहा है। ऐसे में धरोहर भी पूरी तरह से सुरक्षित नहीं है। सभासद समीर डिमरी का कहना है कि रोपवे तिराहे से लेकर मंदिर परिसर लगभग तीन किमी है, जिसमें कई दरारें तो चौड़ी होती जा रही हैं। ऐसे में गद्दीस्थल की सुरक्षा भी खतरे में है।
बदरीनाथ बाईपास को बना ये प्लान
आपदा प्रबंधन सचिव डॉ. रंजीत कुमार सिन्हा ने बताया कि हेलंग मारवाड़ी बाईपास के निर्माण की प्रक्रिया को भी जल्द शुरू कराने का प्रयास किया जा रहा है। बीआरओ ने भी बाईपास को लेकर रुड़की आईआईटी से क्षेत्र के भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के लिए अनुरोध किया है। डॉ. सिन्हा ने बताया कि बाईपास को लेकर उनकी बीआरओ के मुख्य अभियंता से बातचीत हो चुकी है। मंगलवार को फिर बीआरओ के अधिकारियों से बैठक होगी।
सिंहधार के खेतों में और चौड़ी होने लगी हैं दरारें
सिंहधार की 57 वर्षिय विशेश्वरी देवी कहती हैं कि सिंहधार हल्का मोटर मार्ग में पुराने धारे से उनके घर तक खेतों में लगातार दरारें बढ़ रही हैं। यह दरारें गहरी भी होती जा रही हैं। वह कहती हैं कि वे पिछले कुछ दिनों से देख रही हैं कि हर रोज कुछ नई दरारें खेतों में आ रही हैं, जिस कारण आसपास का क्षेत्र धंसने भी लगा है।
कहती हैं कि प्रशासन को चाहिए कि खतरे की जद में आए परिवारों का स्थाई विस्थापन करे। वह कहती हैं कि उनके बगल में बामुश्किल 10 मी. की दूरी पर स्थित तीन मकान पूरी तरह से जमींदोज हो गए हैं। खेतों में दरारें खतरनाक होती जा रही हैं। कहती हैं कि जहां प्रशासन ने मनोहरबाग में खेतों में आयी दरारों को भरने का काम शुरू कर दिया है, लेकिन उनके मोहल्ले में 20 से 30 खेतों में भारी दरारें है।