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Factors Affecting Fertility: आपने अक्सर घर के बड़े बुजुर्गों को यह कहते हुए सुना होगा कि देर से शादी करने या फिर फैमिली प्लानिंग देर से करने की वजह से कई बार गर्भ धारण करने में समस्या पैदा हो सकती है। लेकिन आपको बता दें, कंसीव न कर पाने के पीछे सिर्फ यही दो वजह जिम्मेदार नहीं होती हैं। बांझपन के पीछे कपल्स की लाइफस्टाइल से जुड़ी कई अन्य वजह भी जिम्मेदार हो सकती हैं। आइए जानते हैं उनके बारे में।
खराब लाइफस्टाइल-
लाइफस्टाइल से जुड़ी कई खराब आदतें जैसे लेट नाइट काम, पूरी नींद न लेना, मोटापा, हार्मोनल विकार, अनियमित पीरियड्स, नींद पैटर्न में गड़बड़ी, गतिहीन जीवन शैली, तनाव और चिंता व्यक्ति की बायोलॉजिकल क्लॉक की रिदम को प्रभावित कर देती है। जिससे शुक्राणुओं को नुकसान पहुंचाता है। इसके अलावा, लंबे समय तक टाइट अंडरगारमेंट्स, जींस पहनने से भी सेहत पर बुरा असर पड़ता है।
खानपान पर ध्यान न देना-
फ्रोजन, इंस्टेंट और पैकेज्ड फूड, रिफाइंड शुगर, फल और सब्जियां खाने से बचना आपकी सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है। बता दें, शुक्राणु की गुणवत्ता सीधे आहार संबंधी आदतों से प्रभावित होती है। ऐसे में महिलाओं की खराब फूड हैबिट्स ओव्यूलेशन डिसफंक्शन और पीरियड्स में देरी का कारण बनती है, जिससे बांझपन की समस्या पैदा हो सकती है।
करियर को प्राथमिकता-
आजकल ज्यादातर कपल्स शादी के बाद फाइनेंशियल इनस्टेबिलिटी की वजह से बच्चे पैदा करने से कतराते हैं। ऐसे में जब वह देर से शादी करते हैं या लंबे वक्त तक फैमिली प्लानिंग नहीं करते हैं तो इससे भी उनकी फर्टिलिटी पर असर पड़ता है और उन्हें कंसीव करने में कई तरह की समस्या होती हैं।
प्रदूषण-
पर्यावरण में मौजूद प्रदूषण भी महिलाओं की फर्टिलिटी पर गहरा असर डाल सकता है। जिसकी वजह से कई महिलाओं में पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम और शुक्राणुओं की मात्रा और गुणवत्ता भी कम हो जाती है। जरूरत से ज्यादा प्लास्टिक का इस्तेमाल शरीर के विभिन्न अंगों को नुकसान पहुंचा सकता है। जबकि वायु प्रदूषण और खाद्य पदार्थों में मिलावट की वजह से लड़कियों में 10 साल से पहले माहवारी या असामयिक यौवन शुरू हो जाता है।
धूम्रपान और शराब का सेवन-
आपको जानकर हैरानी होगी कि धूम्रपान और शराब का सेवन ही नहीं बल्कि गैजेट्स का अधिक यूज भी शुक्राणु के डीएनए को नुकसान पहुंचाकर उनकी संख्या को कम कर सकता है। इसके अलावा सिगरेट पीने वाली महिलाओं को अपने ओवेरियन रिजर्व में तेजी से गिरावट का अनुभव होता है। जिससे एएमएच का स्तर गिर जाता है और समय से पहले रजोनिवृत्ति हो सकती है।