हाइलाइट्स
दिहाड़ी मजदूरों को श्रम मंत्रालय मिनिमम वेज के बजाए लिविंग वेज देने की तैयारी में है.
इससे साल 2030 तक लाखों मजदूरों को अति गरीबी से निकालने में मदद मिलेगी.
इसके लिए अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) से भी मदद ली जाएगी.
नई दिल्ली. देश के लाखों दिहाड़ी मजदूरों को गरीबी से बाहर निकालने और उनका जीवन स्तर सुधारने के लिए सरकार बड़ी प्लानिंग कर रही है. इसके लिए श्रम मंत्रालय न्यूनतम मजदूरी की परिभाषा बदलने पर भी विचार कर रहा है. दिहाड़ी मजदूरों को अब मिनिमम वेज (न्यूनतम मजदूरी) के बजाए लिविंग वेज देने पर विचार किया जा सकता है. इसमें महंगाई को ध्यान में रखते हुए बदलाव किए जाएंगे.
इकोनॉमिक टाइम्स के अनुसार, दिहाड़ी मजदूरों को श्रम मंत्रालय मिनिमम वेज के बजाए लिविंग वेज देने की तैयारी में है. इससे साल 2030 तक लाखों मजदूरों को अति गरीबी से निकालने में मदद मिलेगी. साथ ही भारत का सतत विकास का लक्ष्य भी पूरा किया जा सकेगा. इस बाबत मंत्रालय में बातचीत और मंथन भी शुरू हो गया है. मामले से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि इसके लिए अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) से भी मदद ली जाएगी.
नफा-नुकसान पर हो रहा मंथन
श्रम मंत्रालय ने अपने अधिकारियों से कहा है कि इस बदलाव से होने वाले नफा-नुकसान का मूल्यांकन कर रिपोर्ट बनाएं. साथ ही यह भी देखें कि इस कदम से आर्थिक, सामाजिक और वित्तीय रूप से क्या असर पड़ेगा. ILO के सदस्यों ने इस बारे में ज्यादा जानकारी और लिविंग वेज को समझने के लिए संयुक्त राष्ट्र से भी मदद मांगी है. भारत भी ILO के संस्थापक सदस्यों में शामिल है.
कितने रुपये बढ़ जाएगी मजदूरी
मिनिमम वेज कानून के जरिये तय किया जाता है, जिसमें काम के बदले आमदनी का नियम होता है. दूसरी ओर, लिविंग वेज कामगारों की जिंदगी की न्यूनतम जरूरतें पूरी करने के एवज में दिया जाता है. अगर दोनों के बीच अंतर देखा जाए तो यह 10 से 25 फीसदी आता है. भारत में अभी मिनिमम वेज यानी न्यूनतम मजदूरी 178 रुपये और अगर इसे लिविंग वेज से कन्वर्ट किया जाएगा तो इसमें करीब 25 फीसदी तक इजाफा हो सकता है.
महंगाई और गरीबी से लड़ने में मदद
श्रम मंत्रालय का मानना है कि लिविंग वेज भारत के लिए गेम चेंजर साबित हो सकता है. साथ ही इसका बड़ा राजनीतिक असर भी होगा. लिविंग वेज में महंगाई को भी ध्यान में रखा जाएगा और इसके हिसाब से मजदूरों का भुगतान तय किया जाएगा. देश में अभी करीब 22.89 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे रहते हैं और इस बदलाव से उनका जीवन स्तर सुधारने में काफी मदद मिलेगी.
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Tags: Business news in hindi, Daily Wage Workers, Labour Law, Labour minister, Poverty Line
FIRST PUBLISHED : December 29, 2022, 11:29 IST