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Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव से पहले बसपा को बड़ा झटका लगा है। अंबेडकरनगर के सांसद रितेश पांडेय ने उपेक्षा का आरोप लगाते हुए रविवार को पार्टी से इस्तीफा दे दिया और चंद घंटों बाद ही भाजपा में शामिल हो गए। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बसपा के कम से कम तीन और सांसद भगवा खेमे के संपर्क में हैं। लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी में और हलचल देखने को मिल सकती है। बसपा सुप्रीमो ने अंबेडकरनगर के सांसद रितेश पांडेय द्वारा पार्टी से इस्तीफा दिए जाने के चंद मिनटों बाद ही उनका नाम लिए बिना पलटवार किया। उन्होंने बिना नाम लिए कहा कि क्या आप बसपा की कसौटी पर खरे उतरे? क्या आपने अपने लोकसभा क्षेत्र का ध्यान दिया? कहा कि अधिकतर लोकसभा सांसदों को टिकट दिया जाना क्या संभव है? खासकर तब जब वे स्वंय अपने स्वार्थ में इधर-उधर भटकते नजर आ रहे हैं और निगेटिव चर्चा में हैं। उन्होंने यह भी जोड़ा कि मीडिया द्वारा यह सब कुछ जानने के बावजूद इसे पार्टी की कमजोरी के रूप में प्रचारित करना अनुचित है।
‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक ये तीनों सांसद काशी क्षेत्र से हैं। वेस्ट यूपी से एक अन्य बसपा सांसद के बारे में बताया जा रहा है कि वह राष्ट्रीय लोकदल के मुखिया जयंत चौधरी के संपर्क में हैं। वहीं तीन अन्य पार्टी छोड़ने की कगार पर हैं। इनमें गाजीपुर के एमपी अफजाल अंसारी को पहले ही समाजवादी पार्टी अपना उम्मीदवार घोषित कर चुकी है। दो अन्य कांग्रेस के संपर्क में हैं। हालात ये हैं कि बसपा के इन सांसदों का गुणा गणित सही-सही बैठ गया तो मायावती के 10 में से सिर्फ दो सांसद बसपा के पाले में बच जाएंगे।
मजबूत ठौर तलाश रहे मायावती के सांसद
अंबेडकरनगर के सांसद रितेश के लंबे समय से बसपा छोड़ने की अटकलें चल रही थीं। रितेश ने रविवार को बसपा सुप्रीमो को पत्र लिखकर पार्टी से इस्तीफा दे दिया। लोकसभा चुनाव a target=’_blank’ href=’https://www.livehindustan.com/topic/nda?utm_source=LHStory&utm_medium=Auto_Backlink_Topic’> एनडीए बनाम इंडिया के शोर में बसपा सुप्रीमो मायावती का अपने दम पर चुनाव लड़ना उसके अपने ही सांसदों को बर्दाश्त होता नहीं दिख रहा है। शायद यही वजह है कि इसी बेचैनी में उनके अपने ही सांसद उसका साथ छोड़ कर मजबूत ठौर की तलाश में नजर आते दिखाई दे रहे हैं।
बसपा ने वर्ष 2019 के चुनाव में सपा से गठबंधन पर 10 सीटें जीती थीं। लोकसभा चुनाव के लिए इस बार एनडीए से मुकाबले के लिए ‘इंडिया’ बनाया गया है। सूत्रों का कहना है कि बसपा के मौजूदा सांसदों और लोकसभा चुनाव की तैयारियों में लगे नेताओं को उम्मीद थी कि उनकी पार्टी भी किसी न किसी गठबंधन में शामिल होगी, लेकिन मायावती द्वारा बार-बार यह कहा जाना कि वह अपने दम पर ही चुनाव लड़ेंगी और गेंमचेंजर साबित होंगी, शायद इस पर उन्हें यकीन नहीं हो पा रहा है।
बसपा सांसद दानिश अली कांग्रेस के साथ नजर आए यही वजह मानी जा रही है कि मौजूदा अधिकतर सांसदों के नए ठौर की तलाश में लगे होने की चर्चाएं तेज हैं। अमरोहा से सांसद दानिश अली बसपा से निलंबित होने के बाद खुलकर कांग्रेस के साथ दिखाई दे रहे हैं। मुरादाबाद में शनिवार को वह कांग्रेस की भारत जोड़े न्याय यात्रा में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के साथ नजर आए। गाजीपुर से सांसद अफजाल अंसारी को सपा अपना उम्मीदवार घोषित कर चुकी है।
इनके अलावा कई और सांसद भी हैं जो दूसरे दलों में ठिकाना तलाश रहे हैं और उनके मंचों को साझा कर रहे हैं। जौनपुर के श्याम सिंह यादव और लालगंज की सांसद संगीता आजाद के बारे में भी चर्चाएं चल रही हैं। सहारनपुर से हाजी फजलुर्रहमान सांसद हैं, लेकिन बसपा ने वहां से माजिद अली को लोकसभा प्रभारी घोषित कर रखा है। बिजनौर के सांसद मलूक नागर भी भाजपा के पिछले बजट की तारीफ करने के बाद चर्चा में हैं। श्रवास्ती के सांसद राम शिरोमणि वर्मा के बारे में भी चर्चाएं हैं। देखना अब यह होगा कि बसपा अपने कितने सांसदों को रोक पाने में कामयाब होती है।
सांसद रितेश ने इस्तीफे में लिखा-पार्टी से नाता तोड़ना कठिन निर्णय
सांसद रितेश पांडेय ने रविवार को पार्टी से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने इस्तीफा पत्र में कहा कि इस अंतराल में मैं अपने क्षेत्र, पार्टी के कार्यकर्ताओं व समर्थकों से निरंतर मिलता-जुलता रहा और क्षेत्र के कामों में जुटा रहा। ऐसे में मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा हूं कि पार्टी को मेरी सेवा और उपस्थिति की अब आवश्यकता नहीं रही। इसलिए पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से त्यागपत्र देने के अलावा मेरे पास कोई विकल्प नहीं है। पार्टी से नाता तोड़ना भावनात्मक रूप से एक कठिन निर्णय है। रितेश बसपा के टिकट पर पहले विधायक बने थे और उसके बाद वर्ष 2019 में सांसद चुने गए। उनके पिता व पूर्व सांसद राकेश पांडेय ने वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में बसपा को छोड़ सपा का दामन थाम लिया था। वह सपा के टिकट पर जलालपुर से विधायक हैं। इसके बाद से ही बसपा सुप्रीमो मायावती रितेश से नाराज चल रही थीं और उन्हें पार्टी के संसदीय दल के नेता पद से हटा दिया था।