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चुनाव आयोग 18वीं लोकसभा के लिए चुनावों का ऐलान करने जा रहा है। चुनाव की तारीखों का ऐलान होते ही पूरे दे में एक साथ ही आदर्श आचार संहिता (Model Code Of Conduct) लागू हो जाएगी। निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग ने कुछ नियम बनाए हैं जिनका सभी राजनीतिक पार्टियो को पालन करना होता है। इसके अलावा आचार संहिता में कई प्रतिबंध शामिल हैं जिनका उल्लंघन करने पर चुनाव आयोग कड़ी कार्रवाई कर सकती है। यहां तक कि उम्मीदवार को अयोग्य भी घोषित किया जा सकता है।
कब से कब तक लागू रहती है आचार संहिता
आचार संहिता चुनाव की घोषणा के साथ ही लागू हो जाती है। अगर विधानसभा के चुनाव होते हैं तो यह राज्यभर में लागू होती है। वहीं लोकसभा के चुनाव के दौरान पूरे देश में आदर्श आचार संहिता लागू हो जाती है। यह आचार संहिता चुनाव के परिणाम आने तक लागू रहती है। इस दौरान बहुत सारी शक्तियां चुनाव आयोग के हाथ में चली जाती है।
क्या होते हैं आचार संहिता के नियम
चुनावी आचार संहिता लागू होने के बाद सरकारी पैसे का इस्तेमाल किसी राजनीतिक दल या फिर व्यक्ति विशेष को फायदा पहुंचाने के लिए नहीं किया जा सकता। इसके अलावा चुनाव प्रचार में सरकारी गाड़ी, बंगले, विमान या फिर सरकारी सुविधाओं का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। आचार संहिता लागू होने के बाद सरकारी घोषणा, शिलान्यास या लोकार्पण नहीं किया जाता है। इसके अलावा कोई रैली या फिर जनसभा करने के लिए पुलिस से अनुमति लेनी जरूरी होती है। चुनावी रैलियों में पैसे, धर्म, जाति के नाम पर वोट मांगना पूरी तरह से प्रतिबंधित होता है। चुनाव से किसी भी तरह से जुड़े अधिकारियों और कर्मचारियों का ट्रांसफर नहीं कियाजाता है। अगर जरूरी हो तो इसके लिए चुनाव आयोग से अनुमति लेनी होती है।
आचार संहिता के दौरान प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में सरकारी खर्चे पर विज्ञापर पर रोक लगा दी जाती है। इसके अलावा रात के 10 बजे से सुबह के 6 बजे तक लाउडस्पीकर का इस्तेमाल भी प्रतिबंधित रहता है। इसके अलावा राजनेताओं को सुनिश्चित करना होता है कि वे किसी भी जाति या समुदाय के बीच घृणा बढ़ाने वाली गतिविधि या बयानबाजी में शामिल ना हों। मंदिर, मस्जिद या फिर अन्य पूजा स्थलों का इस्तेमाल चुनाव प्रचार के लिए नहीं किया जाना चाहिए।
मतदान से 48 घंटे पहले बंद हो जाता है प्रचार
आचार संहिता के नियमों के मुताबिक मतदान से 48 घंटे पहले ही चुनाव प्रचार थम जाता है। इसके अलावा किसी व्यक्ति की भूमि, भवन, परिसर की दीवारों पर झंडा या बैनर लगाने के लिए मालिक की अनुमति लेनी जरूरी होतीहै। चुनाव के दिन राजनीतिक दलों को सुनिश्चित करना होताहै कि मतदाताओं को दी जाने वाली पर्ची सादे कागज पर ही हो। इसपर किसीतरह का चिह्न या प्रत्याशी का नाम अंकित ना हो। मतदाताओं को छोड़कर कोई भी अतिरिक्त व्यक्ति बूथ में प्रवेश ना करे। अगर राजनीतिक दलों के एजेंट्स को कोई शिकायत है तो उन्हें ऑब्जर्वर को बताना होता है।