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‘बस यही अपराध मैं हर बार करता हूं, आदमी हूं आदमी से प्यार करता हूं’. फिल्म पहचान के इस गीत की तरह मशहूर कवि और गीतकार गोपालदास नीरज से हमेशा आदमी और आदमीयत से प्यार किया. गोपाल दास नीरज सही मायनों में प्रेम पुजारी रहे हैं. उनकी कविताओं में श्रृंगार रस की प्रधानता है. मौसम कोई हो, नीरज जी की रचनाओं से हमेशा प्रेम झरता है. प्रेम गोपालदास नीरज की रचनाओं में ही नहीं बल्कि उनका निजी जीवन भी प्रेम से सरावोर रहा. कहते हैं कि नीरज जी ने मेरठ कॉलेज, मेरठ में हिंदी प्रवक्ता के पद पर अध्यापन कार्य किया. लेकिन कॉलेज प्रशासन ने नीरज जी पर कक्षाएं न लेने बल्कि रोमांस करने के आरोप लगाये गए. कॉलेज के इन आरोपों से कुपित होकर नीरज ने खुद ही नौकरी से त्यागपत्र दे दिया.
गोपालदास नीरज के लिखे गीत सदियों तक गुनगुनाए जाते रहेंगे. उन्होंने ‘नई उमर की नई फसल’, ‘मेरा नाम जोकर’, ‘शर्मीली’ और ‘प्रेम पुजारी’ जैसी सुपरहिट फिल्मों के लिए एक से बढ़कर एक हिट गीत लिखे. प्रस्तुत हैं उनकी चुनिंदा प्रेम कविताएं-
हम तेरी चाह में ऐ यार वहां तक पहुंचे
हम तेरी चाह में ऐ यार वहां तक पहुंचे
होश ये भी न जहां है कि कहां तक पहुंचे।
इतना मालूम है खामोश है सारी महफ़िल,
पर न मालूम, ये खामोशी कहां तक पहुंचे।
वो न ज्ञानी, न वो ध्यानी, न बिरहमन, न वो शेख,
वो कोई और थे जो तेरे मकां तक पहुंचे।
एक इस आस पे अब तक है मेरी बन्द जुबां,
कल को शायद मेरी आवाज वहां तक पहुंचे।
चांद को छूके चले आए हैं विज्ञान के पंख,
देखना ये है कि इन्सान कहां तक पहुंचे।
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गगन बजाने लगा जल-तरंग फिर यारो
गगन बजाने लगा जल-तरंग फिर यारो
कि भीगे हम भी ज़रा संग-संग फिर यारो।
किसे पता है कि कब तक रहेगा ये मौसम
रखा है बांध के क्यूं मन को रंग फिर यारो।
घुमड़ घुमड़ के जो बादल घिरा अटारी पर
विहंग बन के उड़ी इक उमंग फिर यारो।
कहीं पे कजली कहीं तान उट्ठी बिर्हा की
हृदय में झांक गया इक अनंग फिर यारो।
पिया की बांह में सिमटी है इस तरह गोरी
सभंग श्लेष हुआ है अभंग फिर यारो।
जो रंग गीत का ‘बलबीर’-जी के साथ गाया
न हम ने देखा कहीं वैसा रंग फिर
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जब चले जाएंगे लौट के सावन की तरह
जब चले जाएंगे लौट के सावन की तरह,
याद आएंगे प्रथम प्यार के चुम्बन की तरह।
ज़िक्र जिस दम भी छिड़ा उनकी गली में मेरा,
जाने शरमाए वो क्यों गांव की दुल्हन की तरह।
कोई कंघी न मिली जिससे सुलझ पाती वो,
ज़िन्दगी उलझी रही ब्रह्म के दर्शन की तरह।
दाग़ मुझमें है कि तुझमें यह पता तब होगा,
मौत जब आएगी कपड़े लिए धोबन की तरह।
हर किसी शख़्स की किस्मत का यही है किस्सा,
आए राजा की तरह ,जाए वो निर्धन की तरह।
जिसमें इन्सान के दिल की न हो धड़कन की ‘नीरज’,
शायरी तो है वह अख़बार की कतरन की तरह।
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Tags: Hindi Literature, Hindi poetry, Hindi Writer, Literature
FIRST PUBLISHED : June 21, 2023, 15:54 IST
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