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Maharana Pratap punyatithi : आज 19 जनवरी को राजस्थान के वीर सपूत, महान योद्धा और अदभुत शौर्य व साहस के प्रतीक महाराणा प्रताप की पुण्यतिथि है। देश के इतिहास में ऐसे लोग कम ही हुए हैं, जिनमें किसी भी परिस्थिति में हार न मानने का जज्बा रहा हो। महाराणा प्रताप भारतीय इतिहास के ऐसे कुछ लोगों में से एक रहे हैं। त्याग, बलिदान और स्वाभिमान के प्रतीक वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप कभी मुगलों के आगे नहीं झुके। उन्होंने अपनी मां से युद्ध कौशल सीखा था। महाराणा प्रताप का हल्दीघाटी का युद्ध ( Battle of Haldighati : Maharana Pratap vs Akbar ) बहुत खास माना जाता है। यहां उन्होंने अकबर को अपने 20 हजार सैनिकों से टक्कर देकर पछाड़ा था। उनका संघर्ष हमेशा से युवाओं को प्रेरणा देता रहा है। दुश्मन भी उनकी युद्ध लड़ने की शैली के मुरीद थे।
अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई, 1540 को कुंभलगढ़ दुर्ग (पाली) में हुआ था। लेकिन राजस्थान में राजपूत समाज का एक बड़ा तबका उनका जन्मदिन हिन्दू तिथि के हिसाब से मनाता है।
यहां जानें मेवाड़ के महान हिन्दू शासक महाराणा प्रताप के बारे में 5 खास बातें
1- महाराणा प्रताप का जन्म महाराजा उदयसिंह एवं माता महारानी जयवंता बाई के घर ( कुम्भलगढ़ किला) में हुआ था। उन्हें बचपन और युवावस्था में कीका नाम से भी पुकारा जाता था। ये नाम उन्हें भीलों से मिला था जिनकी संगत में उन्होंने शुरुआती दिन बिताए थे। भीलों की बोली में कीका का अर्थ होता है – ‘बेटा’। जयवंता बाई खुद एक घुड़सवार थी। उन्होंने बचपन से ही प्रताप को जांबाज और बहादुर बनाया।
2- महाराणा प्रताप के पास चेतक नाम का एक घोड़ा था जो उन्हें सबसे प्रिय था। प्रताप की वीरता की कहानियों में चेतक का अपना स्थान है। उसकी फुर्ती, रफ्तार और बहादुरी की कई लड़ाइयां जीतने में अहम भूमिका रही। इतिहासकारों के मुताबिक प्रताप 208 किलो का वजन लेकर लड़ते थे। भाला, कवच, ढाल और साथ में दो तलवारों का वजन मिलाकर करीब 208 किलो था।
3- वैसे तो महाराणा प्रताप ने मुगलों से कई लड़ाइयां लड़ीं लेकिन सबसे ऐतिहासिक लड़ाई थी- हल्दीघाटी का युद्ध जिसमें उनका मानसिंह के नेतृत्व वाली अकबर की विशाल सेना से आमना-सामना हुआ। उदयपुर से 40 किमी दूर हल्दी जैसे पीले रंग की मिट्टी के कारण पहचानी जाने वाली ‘हल्दी घाटी’ मैदान में 1576 में हुए इस जबरदस्त युद्ध में करीब 20 हजार सैनिकों के साथ महाराणा प्रताप ने 80 हजार मुगल सैनिकों का सामना किया। यह मध्यकालीन भारतीय इतिहास का सबसे चर्चित युद्ध है। इस युद्ध में प्रताप का घोड़ा चेतक जख्मी हो गया था। इस युद्ध के बाद मेवाड़, चित्तौड़, गोगुंडा, कुंभलगढ़ और उदयपुर पर मुगलों का कब्जा हो गया था। अधिकांश राजपूत राजा मुगलों के अधीन हो गए लेकिन महाराणा ने कभी भी स्वाभिमान को नहीं छोड़ा। उन्होंने मुगल सम्राट अकबर की अधीनता स्वीकार नहीं की और कई सालों तक संघर्ष किया।
4- 1582 में दिवेर के युद्ध में राणा प्रताप ने उन क्षेत्रों पर फिर से कब्जा जमा लिया था जो कभी मुगलों के हाथों गंवा दिए थे। कर्नल जेम्स टॉ ने मुगलों के साथ हुए इस युद्ध को मेवाड़ का मैराथन कहा था। 1585 तक लंबे संघर्ष के बाद वह मेवाड़ को मुक्त करने में सफल रहे।
महाराणा प्रताप जब गद्दी पर बैठे थे, उस समय जितनी मेवाड़ भूमि पर उनका अधिकार था, पूर्ण रूप से उतनी भूमि अब उनके अधीन थी।
5- 1596 में शिकार खेलते समय उन्हें चोट लगी जिससे वह कभी उबर नहीं पाए। 19 जनवरी 1597 को सिर्फ 57 वर्ष आयु में चावड़ में उनका देहांत हो गया।
महाराणा प्रताप के अनमोल विचार ( Maharana Pratap Quotes )
– अन्याय, अधर्म आदि का विनाश करना संपूर्ण मानव जाति का कर्तव्य है।
– ये संसार कर्मवीरों की ही सुनता है। अतः अपने कर्म के मार्ग पर अडिग और प्रशस्त रहो।
– समय इतना बलवान होता है कि एक राजा को भी घास की रोटी खिला सकता है।
– संपूर्ण सृष्टि के कल्याण के लिए प्रयत्नरत मनुष्य को युग युगांतर तक याद रखा जाता है।
– समय एक ताकतवर और साहसी को ही अपनी विरासत देता है। अतः अपने रास्ते पर अडिग रहो।
– जो लोग अत्यंत विकट परिस्थितियों में भी झुक कर हार नहीं मानते हैं। वो हार कर भी जीते जाते हैं।
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