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भारत में भगवान शिव के कई मंदिर हैं, और हर मंदिर की एक अलग कहानी है। कुछ मंदिरों के अपने इतिहास और रहस्य है। यहां हम बता रहे हैं एक ऐसे शिव मंदिर के बारे में जो हिमाचल प्रदेश की पहाड़ियों में मौजूद है। इस मंदिर का नाम जटोली शिव मंदिर है। इसे एशिया के सबसे उंचे शिव मंदिरों में से एक माना जाता है। महाशिवरात्रि के दौरान यहां पर भक्तों की खूब भीड़ रहती है। यहां जानिए मंदिर से जुड़ी कुछ बातें-
कई सालों में तैयार हुआ मंदिर
कहते हैं कि भगवान शिव ने इस जगह पर तपस्या की थी। फिर बाद में यहां स्वामी परमहंस आए और उन्होंन भी तपस्या की। फिर कृष्ण परमहंस के कहने पर इस मंदिर का निर्माण किया गया था। कहा जाता है कि इस मंदिर को बनने में लगभग 39 साल लग गए थे।
पत्थरों से आती है आवाज
मंदिर में लगे पत्थरों को थपथपाने से एक आवाज आती है। ये आवाज डमरू जैसी सुनाई पड़ती है। लोगों का कहना है कि इस जगह पर भगवान शिव आकर रुके थे।
जलकुंड का है अलग महत्व
जटोली शिव मंदिर के पास एक जलकुंड भी है। साल 1950 में जब स्वामी कृष्णानंद परमहंस यहां आए थे, तब सोलन में पानी की कमी चल रही थी। ऐसे में स्वामी कृष्णानंद परमहंस ने घोर तपस्या की और फिर शिव ने अपने त्रिशूल से प्रहार कर इस जलकुंड का निर्माण किया था। कहते हैं कि त्रिशूल को जमीन पर मारते ही एक जलधारा फूट पड़ी। उसी से यहां पर जलकुंड तैयार हुआ। कहा जाता है कि इस जलकुंड में नहाने से रोगों से मुक्ति मिल जाती है।
कैसे पहुंचे मंदिर
मंदिर सोलन के चारों तरफ से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। ऐसे में यहां पहुंचने के लिए चंडीगढ़ तक ट्रेन या हवाई जहाज के जरिए पहुंचा सकते हैं। यहां से आप बस या टैक्सी करके सोलन जा सकते हैं।
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