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अगस्त के महीने में हालांकि कई पहाड़ी प्रदेशों में झमाझम बारिश हुई हो। सड़कें बह गई, भूस्खलन ने कईयों की जान ले ली। लेकिन, मौसम विभाग का कहना है कि पिछले 122 साल में पहली बार अगस्त माह में इतनी कम बारिश हुई है। क्लाइमेट चेंज को इसके लिए जिम्मेदार बताते हुए आईएमडी ने कहा कि यह अगस्त पूरे देश के लिए सबसे शुष्क और गर्म था। इससे पहले साल 1901 के अगस्त महीने में इतनी गर्मी पड़ी थी। पूरे मध्य भारत और दक्षिण प्रायद्वीपीय भारत में अगस्त में बारिश बहुत कम रही है। इससे यह महीना इतिहास में मॉनसून की कमी के सबसे खराब महीनों में से एक बन गया है। मौसम विभाग ने सितंबर महीने के मौसम की भविष्यवाणी भी की है।
आईएडी के महानिदेशक एम महापात्रा का कहना है कि 1901 के बाद से इस साल अगस्त में मॉनसून वर्षा पिछले 122 वर्षों में सबसे कम थी। इस अगस्त माह में पूरे भारत में लगभग 191.2 मिमी बारिश हुई। इससे पहले के रिकॉर्ड पर नजर डालें तो इससे पहले 1965 में 192.3 मिमी बारिश हुई थी।
अगस्त में उत्तर से दक्षिण कैसा था मॉनसून
महापात्रा ने कहा, “अगस्त में 5 से 16 अगस्त और 27 से 31 अगस्त तक ब्रेक मॉनसून की स्थिति के दो चरण थे। मॉनसून ट्रफ ज्यादातर अपनी सामान्य स्थिति के उत्तर में था, जिस कारण मैदानी इलाकों में बारिश उम्मीद के मुताबिक नहीं हुई। अल नीनो की स्थिति बहुत मजबूत थी जिसका बारिश पर असर पड़ा।”
सितंबर में कैसा रहेगा मौसम
आईएमडी ने पूर्वानुमान लगाया है कि सितंबर में लंबी अवधि के औसत के 91 से 109% के बीच सामान्य बारिश होने की संभावना है। पूर्वोत्तर भारत के कई क्षेत्रों, पूर्वी भारत से सटे, हिमालय की तलहटी और पूर्व-मध्य और दक्षिण प्रायद्वीपीय भारत के कुछ क्षेत्रों में सामान्य या अधिक वर्षा होने की संभावना है। देश के शेष भागों के अधिकांश क्षेत्रों में सामान्य से कम वर्षा होने की संभावना है।
आईएमडी के अनुसार, दक्षिण प्रायद्वीपीय भारत के कुछ क्षेत्रों और पश्चिम-मध्य भारत के कुछ हिस्सों को छोड़कर, जहां सामान्य से सामान्य से नीचे अधिकतम तापमान होने की संभावना है, देश के अधिकांश हिस्सों में अधिकतम तापमान सामान्य से ऊपर रह सकता है। वहीं, सुदूर उत्तर भारत के कुछ क्षेत्रों को छोड़कर, सामान्य से सामान्य से नीचे न्यूनतम तापमान हो सकता है। जबकि देश के अधिकांश हिस्सों में न्यूनतम तापमान सामान्य से ऊपर रह सकता है।
अधिकारियों ने कहा कि कुल मिलाकर 2023 के दौरान मानसूनी वर्षा “सामान्य से नीचे” या “सामान्य” श्रेणी से कम होने की उम्मीद है। मौसम की भाषा में आपको समझां दें तो एलपीए का 90 से 95% “सामान्य से नीचे” श्रेणी में माना जाता है जबकि 90% से कम को “कमी” माना जाता है। 96 से 104% के बीच मानसूनी वर्षा को “सामान्य” माना जाता है।
महापात्रा ने कहा, “हमें इस वर्ष सामान्य से कम या सामान्य से कम मानसूनी वर्षा दर्ज करने की संभावना है, लेकिन हम अपना पूर्वानुमान नहीं बदल रहे हैं। हमने अनुमान लगाया था कि हमें +/-4% त्रुटि मार्जिन के साथ 96% मानसूनी बारिश दर्ज करने की संभावना है। हम उस त्रुटि मार्जिन के भीतर होंगे।”
गौरतलब है कि निजी मौसम पूर्वानुमानकर्ता, स्काईमेट ने अगस्त माह में मानसून के मौसम के दौरान “सामान्य से कम” वर्षा की भविष्यवाणी की थी।
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