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केजीएमयू व उससे संबद्ध छह मेडिकल कॉलेजों के एमबीबीएस अंतिम वर्ष के जनरल सर्जरी विभाग की सप्लीमेंट्री परीक्षा में 41 में 37 छात्र फेल हो गए हैं। पीड़ित छात्र-छात्राओें ने कुलपति से कापियों के पुर्नमूल्यांकन की फरियाद की है। इस संबंध में छात्र-छात्राओं ने कुलपति को संबोधित पत्र भेजा है। अटल बिहारी वाजपेई मेडिकल विश्वविद्यालय से संबद्धता मिलने के पहले प्रदेश के कई मेडिकल कॉलेज केजीएमयू से जुड़े थे। लिहाजा पूर्व में दाखिला पा चुके छात्रों की परीक्षा केजीएमयू ही करा रहा है। जून में एमबीबीएस अंतिम वर्ष की सप्लीमेंट्री परीक्षा हुई। इसमें जनरल सर्जरी के पेपर में शामिल 41 में 37 छात्र फेल हो गए।
केजीएमयू, प्रयागराज मेडिकल कॉलेज,जीएमसी जालौन, लोहिया संस्थान, जीएमसी कन्नौज, राजकीय मेडिकल कॉलेज बांदा के छात्र सप्लीमेंट्री परीक्षा में शामिल हुए थे। छात्रों ने कापियों का पुर्नमूल्यांकन की मांग की है। उन्होंने कहाकि इतनी अधिक संख्या में छात्र फेल नहीं हो सकते हैं। जरूर कापी जांचने में कोई गड़बड़ी हुई है। अंतिम वर्ष में फेल होने से हम सभी छात्र नीट पीजी की काउंसलिंग में शामिल नहीं हो पाए हैं।
MBBS में मेडिकल रिसर्च विभाग होगा अनिवार्य
नए एनएमसी नियमों के मुताबिक एमबीबीएस कोर्स के लिए अब इंटीग्रेटेड मेडिकल रिसर्च विभाग अनिवार्य होगा। चिकित्सा क्षेत्र में शोध को बढ़ावा देने के लिए एनएमसी ने इस नए विभाग को जोड़ा है। एनएमसी ने अब एक मेडिकल कॉलेज में 150 सीटों की बाध्यता तय कर दी है।
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अधिकतम 10 वर्षों में एमबीबीएस करना होगा पास
अबतक एमबीबीएस प्रथम वर्ष को उत्तीर्ण करने की कोई समय सीमा नहीं थी तो नए एनएमसी की गाइडलाइन में इसकी समय सीमा तय कर दी गयी है। नई गाइडलाइन के मुताबिक, एमबीबीएस प्रथम वर्ष को अधिकतम 4 साल में उत्तीर्ण कर लेना होगा, जबकि इससे पहले इसे उत्तीर्ण करने के लिए कोई साल का निर्धारण नहीं था। एमबीबीएस के छात्र को एमबीबीएस की पढ़ाई को अधिकतम 10 साल में उत्तीर्ण यानी पास कर लेना होगा।