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बिहार में सभी जिला और बड़े अस्पतालों में डीएनबी (डिप्लोमेट ऑफ नेशनल बोर्ड) की पढ़ाई शुरू कराने की तैयारी है। अगले 6 माह के अंदर लगभग एक दर्जन जिला और अन्य अस्पतालों में डीएनबी की पढ़ाई शुरू होने की उम्मीद है। इससे लगभग राज्य में डीएनबी पीजी स्तर की 100 सीटें बढ़ जाएंगी। डीएनबी की पढ़ाई शुरू करने के लिए जल्द ही मान्यता मिलने की संभावना है।
डीएनबी के लिए ऑनलाइन आवेदन की अंतिम तिथि 16 मार्च तक है। वैसे स्वास्थ्य विभाग का लक्ष्य है कि राज्य के 33 जिला अस्पतालों में डीएनबी की पढ़ाई शुरू हो जाए। 33 अस्पतालों में डीएनबी की पढ़ाई शुरू होने से लगभग 200 सीटें बढ़ जाएंगी। पिछले दिनों इन अस्पतालों के संबंधित अधिकारियों को आवेदन की पूरी प्रक्रिया की जानकारी भी दी गई थी। स्वास्थ्य विभाग ने प्रत्येक अस्पताल को इसके आवेदन के लिए ढाई-ढाई लाख रुपए दिए गए हैं।
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प्रत्येक अस्पताल को नेशनल बोर्ड ऑफ एक्जामिनेशन फॉर मेडिकल साइंसेस के माध्यम से डीएनबी की मान्यता मिलती है। आवेदन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन फॉर मेडिकल साइंसेज की टीम सदर अस्पतालों का निरीक्षण करेगी। इसके बाद इन अस्पतालों में डीएनबी की पढ़ाई की अनुमति मिल जाएगी। हाल में ही डीएनबी की राज्यस्तरीय स्टेयरिंग कमेटी की बैठक में अनुशंसा की गई थी कि डीएनबी से जुड़े डॉक्टरों का तबादला नहीं किया जाए। जिलास्तर पर भी डीएनबी के लिए कमेटी बनाने की तैयारी है। जिलों में डीएनबी से जुड़ी समस्या का समाधान जिलास्तरीय कमेटी के माध्यम से होगा। डीएनबी के लिए सदर अस्पतालों में विशेषज्ञ चिकित्सकों की तैनाती भी की गई है। बेहतर प्रबंधन के कारण सदर अस्पतालों को राष्ट्रीय गुणवत्ता प्रमाण पत्र (एनक्यूएएस) हासिल करने की प्रक्रिया भी चल रही है। इसी क्रम में विभाग ने सदर अस्पतालों में डीएनबी कोर्स शुरू करने का निर्णय लिया था। डीएनबी के लिए अभी मोतिहारी सदर अस्पताल को 6 सीट, सीतामढ़ी को 2 और एलएनजेपी हड़्डी अस्पताल में 4 सीट दी गई है।
क्या होगा फायदा
चिकित्सकों की कमी से जूझ रहे जिला अस्पतालों को लाभ होगा। अध्ययनरत चिकित्सक एमबीबीएस डिग्रीधारी होंगे, जो अस्पताल में अपनी सेवा देंगे। इससे मरीजों को सुविधा होगी। यहां उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए आने वाले चिकित्सक नीट पास कर डीएनबी पाठ्यक्रम में नामांकन करवा सकेंगे। डीएनबी की पढ़ाई शुरू करने को लेकर क्लास-रूम, लाइब्रेरी आदि का निर्माण होगा। साथ ही अकाउंटेंट, डिपार्टमेंटल मैनेजर, डाटा ऑपरेटर, चतुर्थवर्गीय व सुरक्षा गार्ड आदि भी उपलब्ध कराए जाएंगे।
डीएनबी में डिग्री तीन वर्ष का जबकि डिप्लोमा दो वर्ष का होता है। इसके शुरू होने से बिहार तथा बिहार से बाहर एमबीबीएस उत्तीर्ण छात्र जिला सदर अस्पतालों में पढ़ने आएंगे। उन्हें पढ़ाई के साथ-साथ सरकार की ओर से हर महीने अतिरिक्त भत्ता भी मिलेगा।