MBBS Seats : कई दक्षिणी राज्यों के विरोध के बाद नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) ने हर राज्य में 10 लाख की आबादी पर एमबीबीएस की 100 सीटें सीमित करने के फैसले को एक साल के लिए टाल दिया है। अब यह नियम 2024-25 की बजाय 2025-26 से लागू होगा। स्वास्थ्य मंत्रालय ने 1 नवंबर को मेडिकल एजुकेशन नियामक से 10 लाख की आबादी पर 100 एमबीबीएस सीटों वाले प्रावधान पर फिर से विचार करने को कहा था। इसके बाद एनएमसी ने इस फैसले को स्थगित करने का निर्णय लिया है।
तमिलनाडु, कर्नाटक और केरल एनएमसी के इस नए नियम का कड़ा विरोध कर रहे थे। इन राज्यों में मेडिकल कॉलेज और एमबीबीएस सीटों की संख्या काफी ज्यादा हैं। 16 अगस्त को अधिसूचित इन गाइडलाइंस में कहा गया था कि आगामी अकादमिक सत्र से स्थापित मेडिकल कॉलेजों में अधिकतम 150 एमबीबीएस सीटें होंगी। 10 लाख की आबादी पर 100 एमबीबीएस सीटें होंगी। इस नियमों से एनएमसी ने कहा कि सीटों की सीमा तय करने से हेल्थ प्रोफेशनल्स की उपलब्धता के मामले में क्षेत्रीय असमानताओं में कमी आएगी।
दक्षिण भारत में एमबीबीएस सीटें
– आंध्र प्रदेश में, अनुमानित जनसंख्या 5.34 करोड़ थी, जिसका मतलब था कि राज्य में 5,346 सीटें हो सकती थीं। राज्य में वर्तमान में 6,435 एमबीबीएस सीटें हैं।
– 6.76 करोड़ की अनुमानित आबादी वाले कर्नाटक में 11,695 सीटें हैं – जो देश में सबसे अधिक है। एनएमसी के नियम के मुताबिक राज्य में सिर्फ 6,770 सीटें होनी चाहिए।
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– 3.57 करोड़ की अनुमानित आबादी वाले केरल में 4,655 एमबीबीएस सीटें हैं – जो एनएमसी मानदंड के अनुसार 3,577 से कहीं अधिक है।
– एनएमसी अधिसूचना में 7.68 करोड़ की अनुमानित आबादी वाले तमिलनाडु में सीटों की संख्या 7,686 बताई गई है, जो मौजूदा 11,600 से लगभग 4,000 कम है।
– तेलंगाना, जो पिछले कुछ वर्षों से एमबीबीएस सीटें बढ़ा रहा है, अगले साल 800 सीटें जोड़ने की योजना बना रहा है। इसकी अनुमानित जनसंख्या 3.8 करोड़ है और सीटें लगभग 3,809 सीटें होनी चाहिए। हालांकि, राज्य में वर्तमान में 8,540 एमबीबीएस सीटें हैं, जो एनएमसी द्वारा निर्धारित सीटों से लगभग 5,000 अधिक हैं।
यूपी की स्थिति उलट
भारत के सबसे बड़े राज्य, उत्तर प्रदेश, जिसकी अनुमानित जनसंख्या लगभग 23.5 करोड़ थी, में केवल 9,703 सीटें हैं । एनएमसी मानदंडों के अनुसार यहां एमबीबीएस सीटें 23,568 होनी चाहिए जो कि14,000 कम हैं।