ऐप पर पढ़ें
MBBS: नेशनल मेडिकल कमीशन ने एमबीबीएस पाठ्यक्रम में बदलाव की तैयारी शुरू कर दी है। आने वाले समय में मेडिकल स्टूडेंट्स को एमबीबीएस प्रथम वर्ष अब चार प्रयासों में उत्तीर्ण करना जरूरी होगा। अभी तक कोई सीमा नहीं थी। नहीं पास करने पर स्टूडेंट्स को डिबार कर दिया जाएगा। साथ ही एमबीबीएस को दस सालों में पास करना ही होगा अन्यथा डॉक्टर बनने का सपना खारिज हो जाएगा। इसी तैयारी को लेकर शनिवार को नेशनल मेडिकल कमीशन ने जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के साथ सभी मेडिकल कॉलेज के प्राचार्यों और मेडिकल फैकल्टी संग वर्चुअल बैठक की और 21 सूत्रीय बदलाव का एजेण्डा पेश किया। मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य प्रो. संजय काला ने बताया कि बैठक में एनएमसी ने साफ किया कि छात्रों और संकायों को बायोमेट्री जरूरी होगी। प्रीक्लीनिकल और क्लीनिकल नहीं होगा। सभी विभागों को क्लीनिकल ही कहा जाएगा।
श्वसन चिकित्सा, आपातकालीन चिकित्सा, पीएमआर विभागों को आगामी नए मेडिकल कॉलेजों के लिए केवल यूजी संचालित मेडिकल कॉलेजों से छूट दी जाएगी और पीजी (एमडी/डीएनबी) और पोस्ट डॉक्टरेट (डीएम) पाठ्यक्रमों के लिए आरक्षित किया जाएगा। इमरजेंसी एक होगी। पीएमआर आर्थो विभाग में होगा। थ्योरी और प्रैक्टिकल के कुल अंक 50% होने चाहिए। छात्र एमबीबीएस चरण के किसी भी विषय में असफल होते हैं, उन्हें इसे पास करने के लिए पूरे सत्र के लिए तत्काल जूनियर बैच में शामिल होना होगा। नई परीक्षा के 5 सप्ताह के भीतर पूरक परीक्षा आयोजित की जाएगी। योग कक्षाएं आयोजित की जाएंगी। अब से बैच मान्यता को एनएमसी का दौरा नहीं होगा। किसी भी छात्र को एमबीबीएस की डिग्री के लिए विदेश नहीं भेजा जाएगा। एक बार किसी कॉलेज में दाखिला लेने वाले छात्र को उसी कॉलेज से एमबीबीएस पास करना होगा।