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MBBS Admission: एसएनएमएमसीएच धनबाद में एमबीबीएस 2023-24 की 100 सीटों पर नामांकन होगा। इसके लिए मेडिकल कॉलेज प्रबंधन तैयार है, लेकिन छात्रों की पढ़ाई अब भी सवाल के घेरे में है। इसका कारण शिक्षकों की कमी है। मेडिकल कॉलेज में फैकल्टी डिफिशिएंसी पूर्व की तरह 33 प्रतिशत के आसपास बनी हुई है। यहां डॉक्टरों के 189 पद स्वीकृत हैं। इसके विरुद्ध 126 ही कार्यरत हैं। कई विभागों में तो एक भी शिक्षक नहीं है। कुछ में प्रोफेसर हैं, तो एसोसिएट प्रोफेसर नहीं। एसोसिएट प्रोफेसर हैं तो असिस्टेंट प्रोफेसर नहीं। बता दें कि लंबे जद्दोजहद के बाद इस साल नेशनल मेडिकल कमिशन (एनएमसी) ने एसएनएमएमसी को एमबीबीएस में 100 सीट पर नामांकन की अनुमति दी है। इसी सप्ताह से नामांकन प्रक्रिया शुरू होगी। नामांकन लेनेवाले छात्रों को पढ़ाने के लिए पर्याप्त संख्या में शिक्षक नहीं हैं। शिक्षकों की किल्लत यहां लगभग 15 वर्षों से बनी हुई है। प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर के कई पद रिक्त हैं। सरकार यह कमी अबतक दूर नहीं कर पाई है, जिसका सीधा असर छात्रों की पढ़ाई पर पड़ता है। 50 सीट पर भी शिक्षकों की कमी का असर पड़ रहा था। अब इस कमी से 100 एमबीबीएस छात्रों की भी पढ़ाई प्रभावित होगी।
इलाज पर भी पड़ता है असर: शिक्षकों की कमी से छात्रों के साथ मरीज भी प्रभावित होते हैं। उनके इलाज पर असर पड़ रहा है। मेडिकल कॉलेज के शिक्षक ही मेडिकल कॉलेज अस्पताल में मरीजों का इलाज करते हैं। इनकी कमी के कारण एक तो वरीय डॉक्टरों पर मरीजों को अधिक दबाव होता है। दूसरा मरीजों को गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सुविधा नहीं मिल पाती।
स्थिति यह है कि मेडिकल कॉलेज अस्पताल के मनोचिकित्सा और रेडियोलॉजी जैसे महत्वपूर्ण विभाग में एक भी डॉक्टर नहीं हैं। मनोचिकित्सा विभाग बंद है। इसके मरीज मेडिसिन में देखे जाते हैं। रेडियोलॉजी प्रभार में चल रहा है। मेडिकल कॉलेज का स्किन (चर्म रोग विभाग) मेडिकल ऑफिसर के सहारे चल रहा है। यहां प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर के पद रिक्त पड़े हैं। कई विभागों में प्रोफेसर नहीं: फॉरेंसिक मेडिसिन, पीएसएम, नेत्र जैसे कई महत्वपूर्ण विभागों में प्रोफेसर नहीं हैं। इन विभागों की बागडोर एसोसिएट प्रोफेसर या असिस्टेंट प्रोफेसर ने संभाल रखी है।