Saturday, April 19, 2025
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MBBS : यू्क्रेन और चीन से लौटे मेडिकल छात्रों के लिए उम्मीद की नई किरण, SC ने सरकार ने दिया यह निर्देश


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सुप्रीम कोर्ट ने यूक्रेन और चीन जैसे देशों से लौटे मेडिकल के स्नातक विद्यार्थियों को एडजस्ट करने के लिए हल ढूंढने के लिए केंद्र सरकार और राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) को शुक्रवार को निर्देश दिया। न्यायालय ने कहा कि यदि इस स्तर पर कोई समाधान नहीं निकाला गया तो उनका करिअर अधर में लटक जाएगा।  न्यायमूर्ति बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति विक्रमनाथ की पीठ ने कहा कि यदि जरूरत हो तो केंद्र सरकार विद्यार्थियों की समस्याओं का समाधान ढूंढ़ने के लिए विशेषज्ञों की एक समिति गठित कर सकती है।

शीर्ष अदालत ने उम्मीद जताई कि केंद्र सरकार उसकी सलाह को उचित महत्व देगी और उन विद्यार्थियों का करिअर बचाने के लिए समाधान ढूंढ़ेगी जो देश की संपत्ति हैं।  न्यायालय ने कहा, ”यदि कोई समाधान नहीं मिला तो न केवल विद्यार्थियों का पूरा करिअर अधर में लटक जाएगा, बल्कि परिवारों को भी जूझना होगा।”

अदालत ने कहा कि अधिकतर विद्यार्थी अपना पाठ्यक्रम पूरा कर चुके हैं, लेकिन ‘क्लीनिकल’ प्रशिक्षण लेने में समर्थ नहीं हैं। 

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केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि चिकित्सा पाठ्यक्रम में व्यावहारिक प्रशिक्षण का अत्यधिक महत्व है। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को नहीं शामिल करने का निर्णय स्वास्थ्य मंत्रालय और विदेश मंत्रालय से बातचीत करने के बाद लिया गया।

हालांकि, उच्चतम न्यायालय ने कहा कि वह केंद्र सरकार के साथ पूरी तरह सहमत है कि व्यावहारिक प्रशिक्षण का स्थान शैक्षणिक प्रशिक्षण नहीं ले सकता। 

न्यायालय ने कहा, ”पांच साल तक पढ़ाई कर चुके लगभग 500 विद्यार्थियों का करिअर दांव पर है। इन विद्यार्थियों ने सात सेमेस्टर कक्षा में उपस्थित होकर पूर किये जबकि तीन सेमेस्टर ऑनलाइन माध्यम से पूरे किये।” 

पीठ ने कहा कि विद्यार्थियों के माता-पिता ने पढ़ाई पर काफी पैसा खर्च किया है और यदि कोई समाधान नहीं निकला तो न केवल विद्यार्थियों का करिअर अधर में लटक जाएगा, बल्कि उनके परिवार को भी संकट से जूझना होगा।      



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