Home Education & Jobs MBBS NEXT : तैयारी नहीं, NEET व FMGE से मुश्किल, जानें नेक्स्ट का क्यों विरोध कर रहे एमबीबीएस छात्र

MBBS NEXT : तैयारी नहीं, NEET व FMGE से मुश्किल, जानें नेक्स्ट का क्यों विरोध कर रहे एमबीबीएस छात्र

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MBBS NEXT : तैयारी नहीं, NEET व FMGE से मुश्किल, जानें नेक्स्ट का क्यों विरोध कर रहे एमबीबीएस छात्र

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नेक्स्ट परीक्षा को लेकर एमबीबीएस छात्रों में गुस्सा पनप रहा है। मेडिकल छात्र सोशल मीडिया पर नेक्स्ट विरोधी आंदोलन को समर्थन दे रहे हैं। झारखंड के हजारीबाग मेडिकल कॉलेज के छात्रों का कहना है कि अचानक इस तरह का नियम बदल देने से नयी चुनौती सामने आ गयी है। सोशल मीडिया पर तेजी से ट्रेंड कर रहा नो नेक्स्ट एग्जाम-2019 का अभियान चल रहा है। हजाारीबाग के मेडिकल छात्र भी आंदोलन को सपोर्ट कर रहे हैं। मेडिकल छात्रों का आरोप है कि एनएमसी ने किसी को बिना विश्वास में लिए इस तरह की घोषणा की गयी है। हजारीबाग मेडिकल कॉलेज के 2019 बैच के छात्र ताराकांत पाठक कहते हैं कि अचानक इस तरह की घोषणा से चिंता बढ़ गयी है। यह 2020 बैच के साथ होता तो उन्हें पढ़ने का समय मिलता। हमलोगों के पास पढ़ने का मौका ही नहीं है। इसी बैच के शुभम कुमार कहते हैं कि एक तो देश की अधिकांश यूनिवर्सिटीज में मेडिकल कोर्स कोविड के चलते पिछले कई छात्र-छात्राओं के मेडिकल डिग्री की अवधि छह माह से एक साल बढ़ेगी। जिन विषयों की परीक्षा पास कर चुके उन्हें फिर से देनी होगी।

NEET PG ज्यादा बेहतर: रिम्स, रांची के छात्र

2019 बैच के छात्रों ने कहा कि पीजी प्रवेश के लिए अबतक नीट (राष्ट्रीय पात्रता व प्रवेश परीक्षा) बेहतर ऑप्शन रहा है। उन्होंने बताया कि नेक्स्ट में दो चरण होंगे। नेक्स्ट टू में पास होने के बाद नेक्स्ट वन में पास होना होगा। इसमें इंटरनल मार्किंग भी होगी। इसमें उन छात्रों को परेशानी होगी, जिनकी छवि प्रोफेसरों के पास अच्छी नहीं है। उन्हें इंटरनल तौर पर कम नंबर मिलेंगे, जिससे नुकसान होगा। वहीं, नीट में सभी छात्रों के लिए समान पैमाना होता है। इससे किसी को कोई आपत्ति नहीं होती। इसके अलावा छात्रों ने कहा कि एनएमसी ने अभी तक पूरी स्थिति स्पष्ट नहीं की है। हालांकि हमें किसी भी परीक्षा को देने में कोई परेशानी नहीं है।

रिम्स के छात्रों ने कहा कि अबतक नीट पीजी ही प्रवेश का बेहतर पैमाना रहा है। इसलिए वे देश के एमबीबीएस छात्रों के साथ हैं। नेक्स्ट को लेकर जो ऑनलाइन पिटिशन साइन किया जा रहा है, उसका सपोर्ट करते हैं। कहा कि नेक्स्ट सिस्टम अमेरिका से प्रभावित है। वहां पहले से यह चल रहा है। हालांकि, भारत के मेडिकल सिस्टम को अब भी बेहतर माना जाता है।

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जो पेपर पास कर चुके हैं, फिर से देने होंगे- बीआरडी मेडिकल कॉलेज, गोरखपुर के छात्र

बीआरडी मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस के अलग-अलग वर्षों के विद्यार्थियों में नेक्स्ट परीक्षा को लेकर आक्रोश है। वे नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) द्वारा एमबीबीएस की डिग्री के लिए नेक्स्ट एग्जाम भी अलग से दिए जाने का विरोध कर रहे हैं। मेडिकल कॉलेज के छात्रों ने एक बार फिर आरोप लगाया कि एनएमसी ने नेक्स्ट एग्जाम को लेकर किसी को विश्वास में नहीं लिया है। कोरोना काल में मेडिकल के कोर्स वैसे ही पिछड़ गए। इसके कारण डिग्री लेने में ही कई छात्रों को छह माह से एक वर्ष तक का और अधिक समय लगेगा। जिन विषयों की परीक्षा पास कर चुके हैं, उन्हें फिर उन्हीं विषयों की पढ़ाई कर उसकी परीक्षा देनी होगी। एक साथ सभी विषयों की परीक्षा के लिए उनके पास अब पर्याप्त समय भी नहीं बचा है।

एमबीबीएस के छात्र-छात्राओं का कहना है कि अचानक नेक्स्ट (नेशनल एग्जिट टेस्ट) को लागू किया गया है। इसे लेकर छात्रों की कोई तैयारी नहीं है। मांग की कि लाइब्रेरी सुबह आठ से शाम चार बजे तक खुलनी चाहिए।

 

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राजकीय मेडिकल कॉलेज में नेक्स्ट एग्जाम को लेकर एमबीबीएस के छात्रों ने विरोध स्वरुप कैंपस में रैली निकाली। इसके बाद छात्रों ने मांगों से संबंधित ज्ञापन कालेज के कार्यवाहक प्राचार्य डॉ. अमित मोहन को सौंपा। छात्रों ने एक स्वर में एनएमसी के इस कदम का विरोध किया। मेडिकल कालेज में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे सीनियर बैच के छात्रों ने कहा कि नेक्स्ट एग्जाम भाग-1 बहुत अधिक कठिन परीक्षा है। कहा कि पहले छात्रों को पीजी में प्रवेश लेने के लिए नीट पीजी की परीक्षा देनी होती थी। इसके लिए यूनिवर्सिटी का एग्जाम देना होता था। लेकिन, 2024 से पीजी में प्रवेश व अंतिम वर्ष पास करने के लिए नेक्स्ट एग्जाम भाग एक देना होगा। जहां एक तरफ नीट पीजी में प्रवेश के लिए 50 फीसदी परसेंटाइल होना जरूरी होता था वही अब नेक्स्ट एग्जाम द्वारा पचास फीसदी टैग से अधिक अंक लाना जरूरी होगा। छात्रों ने कहा कि नेक्स्ट भाग-एक में छह परीक्षा देनी होगी। जो पूरे पांच दिन चलेगी। परीक्षा में बहुविकल्पीय सवाल आएंगे। जो छात्र 50 फीसदी टैग अंक नहीं ला पाएगा वह परीक्षा में पास नहीं माना जाएगा। साथ ही वह इंटर्नशीप भी नहीं कर पाएगा। उन्होंने कहा कि यदि कोई छात्र बाहर से एमबीबीएस की पढ़ाई करके आया है तो उसे एफएमजीई की परीक्षा पास करनी होती है। लेकिन दोनों परीक्षा में अंतर है। छात्रों ने कहा कि नेक्स्ट एग्जाम में नेगेटिव मार्किंग है। जबकि एफएमजीई को क्वालीफाई करने के लिए कोई नेगिटिव मार्किंग नहीं है। छात्रों ने एकस्वर में एनएमसी से नेक्स्ट एग्जाम को हटाने की मांग की।

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परीक्षा का कोई औचित्य नहीं

एक छात्र ने कहा, ‘एमबीबीएस की पांच वर्ष की कठिन पढ़ाई कर छात्र डाक्टर बन पाते है। लाइसेंस पाने के लिए नेक्स्ट की परीक्षा पास करने को अनिवार्य करना सही नहीं है।’

क्यों दे परीक्षा

विजय कुमार नाम के छात्र ने कहा कि एनएमसी में चिकित्सक का रजिस्ट्रेशन करने के लिए परीक्षा का कोई मतलब नहीं है। पहले से एक चिकित्सक बने में दस से 12 वर्ष लग जाते है।

सार्थक नाम के विद्यार्थी ने कहा कि कॉलेज के 2019 का एमबीबीएस का बेंच पहली बाद नेक्स्ट परीक्षा के नियम में आ रहा है। परीक्षा को खत्म करने का एनएमसी जल्द फैसला दे।

क्या है नेक्स्ट

द नेशनल एग्जिट टेस्ट (नेक्स्ट) व्यापक पोस्ट ग्रेजुएट परीक्षा है जो भारतीय चिकित्सा शिक्षा तंत्र की विभिन्न जरुरतों को पूरा करने के लिए तैयार की गई है। एमबीबीएस अंतिम वर्ष के विद्यार्थियों के लिए यह ना केवल अर्हता परीक्षा होगी बल्कि यह प्रैक्टिस के लिए अधिकृत भी करेगी। नेक्स्ट से ही पीजी कोर्स में मेरिट आधारित प्रवेश निर्धारित होंगे। नेक्स्ट ना केवल भारतीय में अध्यनरत यूजी मेडिकल स्टूडेंट के लिए अनिवार्य है बल्कि विदेशों से एमबीबीएस करने वाले विद्यार्थियों को इससे गुजरना होगा। इससे पास करने वाले विद्यार्थी ही देश में प्रैक्टिस कर सकेंगे। नेक्स्ट दो चरणों में प्रस्तावित है। पहले चरण में कंप्यूटर आधारित ऑनलाइन परीक्षा होगी जिसमें छह पेपर होंगे। दूसरा चरण प्रैक्टिकल-क्लिनिकल और वायवा का होगा जो सात डिसिप्लिन कवर करेगा। एमबीबीएस कोर्स में प्रवेश लेने के अधिकतम दस वर्ष के अंदर नेक्स्ट पास करना अनिवार्य होगा। इस अवधि के बीच छात्र कितनी बार भी नेक्स्ट में शामिल हो सकेंगे।

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