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वैसे तो हर दिन मां का होता है लेकिन रोजाना उन्हें स्पेशल फील करवाना या फिर उनको अपने मन की बात कह देना थोड़ा मुश्किल है। ऐसे में सालभर में एक बार मदर्स डे सेलिब्रेट किया जाता है। ये दिन हर साल मई महीने के दूसरे रविवार में मनाया जाता है। इस साल ये दिन 14 मई को मनाया जाएगा। इस खास दिन पर आप मां को एक प्यारी सी कविता डेडिकेट कर सकते हैं। यहां देखिए मदर्स डे के लिए बेस्ट कविताएं।
मां पर लिखी गईं कविताएं (Mothers Day Poem In Hindi)
1)
उदास होता हूं तो हंसा देती है मां
नींद नहीं आती है तो सुला देती है मां
मकान को घर बना देती है मां
खुद भूखी रह कर भी मेरा पेट भरती है मां
जमीं से शिखर तक साथ देती है मां
जन्म से आंखरी सांस तक साथ देती है मां
जिंदगी में मुश्किले चाहें कितनी भी हो
हंस के गुजार लेती है मां
परिवार छोटा हो या बड़ा सम्भाल लेती है मां
मेरी आंखों में छुपी हर एक ख्वाहिश को पहचान लेती है मां
मेरे हर दर्द की दवा करती है मां
मेरी हर खता को माफ कर देती है मां
रिश्तों को जोड़ती है मां
बिना किसी स्वार्थ के प्यार देती है मां
परिवार खुश होता है तब खुश होती है मां
तू चाहे सन्तान ना हो उसकी फिर भी दुलार देती है मां।
हैपी मदर्स डे
2)
मां पर लिखने के लिए
मैंने ज्यों ही कलम उठाई
प्रथम पूज्य आराध्य गजानन
तुम्हारी ही याद आई
ज्यों तुमने संपूर्ण सृष्टि को
मां का पर्याय बताया
इससे बेहतर मां को आज तक
कोई समझ न पाया।
गुड मॉर्निंग
3)
मेरे लिए तो तेरा प्यार ही काफी है
मेरे प्यार के लिए तेरा इकरार ही काफी है
मेरे कानों के लिए तेरी पायल की झंकार ही काफी है
हर दिन मेरी आंखों के लिए तेरा दीदार ही काफी है
मेरे लिए तो तेरा प्यार ही काफी है।
मेरे दिल को धड़कने के लिए
तेरे दिल तक जाए वो प्यार की तार ही काफी है,
मैं खुश हूं इस बात से ही
जो तूने किया इजहार ही काफी है,
मेरे लिए तो तेरा प्यार ही काफी है।
दूरियां भले ही बहुत हैं हमारे बीच में,
हमारे रिश्ते में प्यार रहे काफी है
जनमों जन्म हम साथ रहें न रहें
इस जन्म हम दोनों में कोई दरार ना आए यही काफी है
मेरे लिए तो तेरा प्यार ही काफी है।
हैपी मदर्स डे
4)
घुटनो से रेंगते रेंगते
कब पैरो पर खड़ा हुआ
तेरी ममता की छाव में
ना जाने कब बड़ा हुआ
काला टीका दूध-मलाई
आज भी सब कुछ वैसा हैं
एक मैं ही हूं हर जगह
प्यार ये तेरा कैसा हैं?
सीदा-सादा , भोला-भाला
मैं ही सबसे अच्छा हूं
कितना भी हो जाऊं बड़ा मां
मैं आज भी तेरा बच्चा हूं
कैसा था नन्हा बचपन वो
मां की गोद सुहाती थी,
देख-देख कर बच्चों को वो
फूली नहीं समाती थी।
जरा सी ठोकर लग जाती तो
मां दौड़ी हुई आती थी ,
जख्मों पर जब दवा लगाती
आंसू अपने छुपाती थी।
जब भी कोई जिद करते तो
प्यार से वो समझाती थी,
जब-जब बच्चे रूठे उससे
मां उन्हें मनाती थी।
खेल खेलते जब भी कोई
वो भी बच्चा बन जाती थी,
सवाल अगर कोई न आता
टीचर बन के पढ़ाती थी।
सबसे आगे रहें हमेशा
आस सदा ही लगाती थी ,
तारीफ अगर कोई भी करता
गर्व से वो इतराती थी।
होते अगर जरा उदास हम
दोस्त तुरन्त बन जाती थी,
हंसते रोते बीता बचपन
मां ही तो बस साथी थी।
मां के मन को समझ न पाये
हम बच्चों की नादानी थी,
जीती थी बच्चों की खातिर
मां की यही कहानी थी।
हैपी मदर्स डे
5)
क्या सीरत क्या सूरत थी
मां ममता की मूरत थी
पांव छुए और काम बने
अम्मा एक मुहूर्त थी।
बस्ती भर के दुख सुख में
एक अहम जरूरत थी
सच कहते हैं मां हमको
तेरी बहुत जरूरत थी।
हैपी मदर्स डे
6)
प्यारी प्यारी मेरी मां, प्यारी-प्यारी मेरी मां
सारे जाग से न्यारी मां, लोरी रोज सुनाती है,
थपकी दे सुलाती है, जब उतरे आंगन में धूप,
प्यार से मुझे जगाती है, देती चीजें सारी मां,
प्यारी प्यारी मेरी मां
उंगली पकड़ चलाती है, सुबह-शाम घुमाती है,
ममता भरे हुए हाथों से, खाना रोज खिलाती है,
देवी जैसी मेरी मां, सारे जाग से न्यारी मां
हैपी मदर्स डे
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