अर्पित बड़कुल/दमोह: खेती बाड़ी में नए-नए प्रयोग करने से अब किसानों के लिए खेती लाभ का धंधा बन गया है. मध्यप्रदेश के दमोह के ग्रामीण इलाकों में किसानों ने करीब 4 से 5 एकड़ में अलग तरीके से लौकी की खेती कर अच्छी कमाई की है. सबसे खास बात यह है कि इस तकनीक से खेती करने में लागत काफी कम आती है, जबकि मुनाफा तीन गुना तक हो जाता है.
लौकी की फसल एक बार तैयार हो जाने के बाद कई बार इसकी पैदावार हासिल करने से किसानों की कमाई काफी ज्यादा होने लगी है. लौकी की सब्जी को सेहत के लिए भी काफी लाभकारी बताया जाता है, इसलिए वर्ष के 12 महीने इसकी मांग बनी रहती है और बाजार में भाव भी अच्छा मिलता है. इसी कारण दमोह के किसान अधिक पैदावार लेकर लाभ कमा रहे हैं. यहां के किसानों ने स्ट्रेचिंग तकनीक से लौकी की खेती की है.
लौकी सेहत के लिए लाभकारी
लौकी जिसे कई स्थानों पर घीया भी कहा जाता है, यह सेहत के लिए एक बेहतरीन सब्जी है. आयुर्वेद के अनुसार लौकी हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, मोटापे और कई अन्य बीमारियों को नियंत्रित करने में मदद करती है. लेकिन, खाली पेट इसके जूस का सेवन करना उचित नहीं माना जाता. अगर लौकी कड़वी हो तो इसका सेवन करना कभी-कभी घातक साबित हो सकता है.
तीनों सीजन में ले सकते हैं पैदावार
गांधी ग्राम की महिला किसान सविता पटेल ने बताया कि तीन एकड़ में स्ट्रेचिंग तकनीक से लौकी की खेती करने में करीब 10 से 15 हजार रुपए लगाए थे. कमाई लागत से कई गुना अधिक हो रही है, जिस कारण अब बड़ी संख्या में किसानों ने हरी सब्जियों को लाभ का धंधा बना लिया है. अब बुंदेलखंड क्षेत्र के ग्रामीण में भी लौकी की खेती कारगर साबित हो रही हैं. किसान कन्हैई पटेल ने बताया कि लौकी की फसल साल में तीन बार उगाई जा सकती है. रबी, जायद और खरीफ तीनों सीजन में इससे पैदावार ली जा सकती है.
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FIRST PUBLISHED : July 29, 2023, 00:38 IST