Swami Vivekananda Jayanti 2023 , National Youth Day : हर साल 12 जनवरी का दिन देश में स्वामी विवेकानंद जयंती के तौर पर मनाया जाता है। स्वामी विवेकानंद के ओजपूर्ण विचार हर वर्ग, जाति और धर्म के लोगों को हमेशा प्रेरित करते रहे हैं। निराशा से भरे जीवन को ऊर्जा से भर देने वाले उनके विचारों के चलते ही स्वामी जी के जन्मदिन को देशभर में राष्ट्रीय युवा दिवस ( National Youth Day ) के तौर पर मनाया जाता है। स्वामी विवेकानंद के ओजपूर्ण विचार हमेशा से युवाओं को प्रेरित करते रहे हैं इसलिए साल 1985 में भारत सरकार ने स्वामी जी के जन्मदिन को राष्ट्रीय युवा दिवस के तौर पर मनाने का फैसला लिया।
भारत सरकार हर साल राष्ट्रीय युवा दिवस को बड़े स्तर पर मनाती है। इस बार केंद्रीय युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय द्वारा कर्नाटक सरकार के सहयोग से 12 से 16 जनवरी तक कर्नाटक के हुबली-धारवाड़ में 26वें राष्ट्रीय युवा महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी स्वामी विवेकानंद की जयंती के अवसर पर 12 जनवरी को कर्नाटक के हुबली में इस वर्ष के राष्ट्रीय युवा महोत्सव का उद्घाटन करेंगे। इस वर्ष युवा दिवस की थीम ‘विकसित युवा विकसित भारत’ है। देश भर में महोत्सव की अवधि के दौरान युवाओं की भागीदारी के साथ बड़ी संख्या में गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा।
1. स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को कलकत्ता के कायस्थ परिवार में हुआ था। उनका बचपन का नाम नरेंद्रनाथ दत्त था। स्वामी विवेकानंद के पिता विश्वनाथ दत्त कलकत्ता हाईकोर्ट के वकील थे, जबकि मां भुवनेश्वरी देवी धार्मिक विचारों वाली महिला थीं।
2. स्वामी विवेकानंद बचपन से ही पढ़ाई और अध्ययन में रुचि थी। 1871 में 8 साल की उम्र में स्कूल जाने के बाद 1879 में उन्होंने प्रेसीडेंसी कॉलेज की प्रवेश परीक्षा में प्रथम स्थान हासिल किया।
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3. स्वामी रामकृष्ण परमहंस के प्रेरित होकर सिर्फ 25 साल की युवावस्था में सबकुछ छोड़कर नरेंद्रनाथ दत्त सन्यासी बन गए थे और इसी के बाद उनका नाम स्वामी विवेकानंद पड़ा।
4. विवेकानंद और रामकृष्ण परमहंस 1881 में कलकत्ता के दक्षिणेश्वर के काली मंदिर में पहली बार मिले।
5. रामकृष्ण परमहंस से मिलने पर स्वामी विवेकानंद ने उनसे सवाल किया कि क्या आपने भगवान को देखा है? तब परमहंस ने जवाब दिया कि, हां मैंने देखा है, मैं भगवान को उतना ही साफ देख रहा हूं जितना कि तुम्हें देख सकता हूं। फर्क सिर्फ इतना है कि मैं उन्हें तुमसे ज्यादा गहराई से महसूस कर सकता हूं।
6. 1893 में शिकागो में हुए विश्व धर्म सम्मेलन में जब स्वामी विवेकानंद ने अपना भाषण ‘अमेरिका के भाईयों और बहनों’ के संबोधन से शुरू किया तो पूरे दो मिनट तक आर्ट इंस्टीट्यूट ऑफ शिकागो तालियों की आवाज से गूंजता रहा। उस दिन से भारत और भारतीय संस्कृति को दुनियाभर में पहचान मिली।
7. स्वामी विवेकानंद ने 1 मई 1897 में कलकत्ता में रामकृष्ण मिशन और 9 दिसंबर 1898 को गंगा नदी के किनारे बेलूर में रामकृष्ण मठ की स्थापना की।
8. स्वामी विवेकानंद ने शिकागो भाषण के पहले और बाद में भारतीय संस्कृति और आध्यात्म का विस्तार पूरी दुनिया में किया।
9. स्वामी विवेकानंद को दमा और शुगर की बीमारी थी, जिसकी वजह से उन्होंने 39 साल की बेहद कम उम्र में ही दम तोड़ दिया। लेकिन उन्होंने साबित कर दिया था कि युवावस्था कितनी महत्वपूर्ण होती है और इसमें क्या-क्या किया जा सकता है।
10. स्वामी विवेकानंद का अंतिम संस्कार बेलूर में गंगा तट पर किया गया। इसी गंगा तट के दूसरी ओर उनके गुरु रामकृष्ण परमहंस का अंतिम संस्कार हुआ था।