Home Life Style Navratri 2023: ये हैं उत्तराखंड में मां दुर्गा के 5 फेमस शक्तिपीठ, नवरात्रि में लगी रहती है श्रद्धालुओं की भीड़

Navratri 2023: ये हैं उत्तराखंड में मां दुर्गा के 5 फेमस शक्तिपीठ, नवरात्रि में लगी रहती है श्रद्धालुओं की भीड़

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Navratri 2023: ये हैं उत्तराखंड में मां दुर्गा के 5 फेमस शक्तिपीठ, नवरात्रि में लगी रहती है श्रद्धालुओं की भीड़

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Popular Shaktipeeth Devi Temples In Uttarakhand: हिंदू धर्म में नवरात्रि का बहुत बड़ा महत्व माना गया है। इस दौरान मां दुर्गा के भक्त मां के 9 अलग-अलग स्वरूपों की उपासना करके मां को प्रसन्न् करने की कोशिश करते हैं। अगर आप भी नवरात्रि के इन पावन दिनों में ट्रैवलिंग का मजा लेते हुए मां दुर्गा का आशीर्वाद पाना चाहते हैं तो देवभूमि उत्तराखंड के इन 5 प्रसिद्ध शक्तिपीठों के दर्शन करने के लिए जा सकते हैं। माना जाता है कि यहां मांगी जाने वाली भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। ऐसे में आइए जान लेते हैं देवभूमि उत्तराखंड के कौन से हैं वो 5 फेमस शक्तिपीठ। 

सुरकंडा, टिहरी- 

सती के शरीर के 51 भाग हुए और वह भाग जहां गिरे वहां पवित्र शक्ति पीठ की स्थापना हुई। जिस स्थान पर माता सती का सिर गिरा वह सिरकंडा कहलाया जो वर्तमान में सुरकंडा नाम से प्रसिद्ध है। सुरकंडा पहाड़ी टिहरी जनपद के पश्चिमी भाग में 2750 मीटर की ऊंचाई पर सुरकंडा मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। नई टिहरी से 41 किलो मीटर की दूरी पर चंबा मसूरी रोड पर कद्दुखाल नामक स्थान से लगभग 2.5 किलो मीटर की पैदल चढाई तय करने के बाद सुरकंडा माता के मंदिर तक पहुंचा जाता है। 

चंद्रबदनी मंदिर, टिहरी- 

देवभूमि उत्तराखंड में देवप्रयाग से 35 किलोमीटर दूर स्थित मां चन्द्रबदनी मंदिर माता के 52 शक्तिपीठों में से एक है। यहां के चंद्रबदनी मंदिर में सती के धड़ की पूजा की जाती है, लेकिन श्रद्वालुओं को धड़ के दर्शन नहीं कराए जाते हैं। यह मंदिर समुद्र तल से 2,277 मीटर पर स्थित है। 

नैना देवी मंदिर,नैनीताल- 

उत्तराखंड के नैनीताल में मौजूद नैनी झील के उत्तरी किनारे पर प्रसिद्ध शक्ति पीठ नैना देवी मंदिर है। इस पवित्र मंदिर में देवी को उनकी दो आंखों से दर्शाया गया है। आपको बता दें, 1880 में भूस्खालन में यह मंदिर नष्ट हो गया था, लेकिन बाद में फिर से इस मंदिर का निर्माण कर दिया गया।

मां धारी देवी, श्रीनगर गढ़वाल- 

श्रीनगर गढ़वाल से 18 किमी दूर रूद्रप्रयाग की ओर अलकनंदा के बीच बना धारी देवी मंदिर अपनी खुबसूरती के साथ-साथ मान्यताओं के लिए बेहद फेमस है। इस प्राचीन मंदिर को चमत्कारिक मंदिर भी कहा जाता है। धारी देवी को चार धामों की रक्षक देवी भी कहा जाता है। मान्यता है कि इस मंदिर में मां तीन बार रूप बदलती है। सुबह मां धारी देवी बाल रूप में रहती है तो दिन में युवा रूप व शाम में वृद्ध का रूप धारण करती हैं। धारी देवी का मंदिर उत्तराखंड के श्रीनगर से करीब 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। काली माता को समर्पित ये मंदिर झील के बीचों-बीच स्थित है

मनसा देवी मंदिर, हरिद्वार-

हरिद्वार स्थित मां मनसा का यह मंदिर 52 शक्तिपीठों में एक है। मंदिर तक पैदल पहुंचने के लिए करीब डेढ़ किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई चढ़नी पड़ती है। इसके अलावा केबल कार, कार या बाइक आदि के जरिए भी मंदिर तक पहुंचा जा सकता है। मनसा देवी सौम्य देवी हैं जो भक्तों की इच्छा पूर्ण करती हैं। ऐसी मान्यता है कि उनका जन्म भगवान शिव के मस्तक से हुआ था। इसीलिए उन्हे भगवान शिव की मानस पुत्री भी कहा जाता है।

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