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देशभर के मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) को समाप्त करने की मांग को लेकर तामिलनाडु के सत्ताधारी दल डीएमके द्वारा चलाए जा रहे हस्ताक्षर अभियान के खिलाफ दाखिल जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करने से इनकार कर दिया। याचिका में तमिलनाडु सरकार को यह आदेश देने की मांग की गई थी कि वह वहां के स्कूलों में इस तरह की गतिविधियों की अनुमति नहीं दे। पीठ ने कहा, याची को सुनने के बाद हम इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि मामले में किसी तरह की हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है।
न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति के वी वश्विनाथन की पीठ ने याचिकाकर्ता एम एल रवि से यह कहते हुए याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया कि ऐसे मुद्दे को जनहित याचिका के तहत नहीं उठाया जाना चाहिए। पीठ यह भी कहा कि नीट परीक्षा देने वाले विद्यार्थी इतने भोले या मासूम नहीं हैं, जितना उन्हें समझा जाता है। सौभाग्य से, अब हमारे पास एक बहुत जानकार पीढ़ी है। ये बच्चे हस्ताक्षर अभियान के इसके पीछे का मकसद और एजेंडा समझते हैं। पीठ ने हस्ताक्षर अभियान पर कहा, ‘इस तरह के अभियान किसी भी नीति को प्रभावित नहीं करते हैं अखिल भारतीय आधार पर इस तरह की प्रतियोगी परीक्षा आयोजित की जानी है। अभियान से कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है…लोगों को कहने दीजिए।’
पिछले साल अक्टूबर में तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) ने नीट को खत्म करने की मांग को लेकर 50 दिनों में 50 लाख हस्ताक्षर प्राप्त करने के लिए एक अभियान शुरू किया था।
आपको बता दें कि नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) की ओर से आयोजित की जाने वाली नीट यूजी परीक्षा के जरिए ही देश भर में एमबीबीएस, बीडीएस, बैचलर ऑफ आयुर्वेद मेडिसिन एंड सर्जरी (बीएएमएस), बैचलर ऑफ यूनानी मेडिसिन एंड सर्जरी (बीयूएमएस), बैचलर ऑफ होम्योपैथिक मेडिसिन एंड सर्जरी (बीएचएमएस) जैसे कोर्सेज में एडमिशन होता है।
वर्तमान में देश भर के मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की 1.04 लाख सीटें एडमिशन के लिए उपलब्ध हैं। इनमें 54000 सरकारी मेडिकल कॉलेजों की सीटें हैं। बीडीएस की 27800 से ज्यादा सीटें हैं। 52700 आयुष कोर्सेज और 603 वेटरिनेरी साइंस व एनिमल हजबेंड्री की है।
पिछले साल नीट में रिकॉर्ड 20.87 लाख विद्यार्थियों ने आवेदन किया था।