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दिल्ली हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा स्नातक ( नीट यूजी – NEET UG ) 2023 देने वाली एक अभ्यर्थी की उसके द्वारा भरी गई ओएमआर शीट से छेड़छाड़ करने की कोशिश पर हैरानी जताई और उस पर 20,000 रुपये का जुर्माना भी ठोका। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि अदालत की नजर में इस तरह के प्रयास को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। न्यायमूर्ति पुरुषेंद्र कुमार कौरव ने कहा कि उनका इरादा याचिकाकर्ता महिला पर 2 लाख का जुर्माना लगाना और इस मामले को पुलिस के पास भेजने का था लेकिन उसकी कम उम्र के कारण वह ऐसा नहीं कर रहे हैं।
उच्च न्यायालय ने कहा कि वह याचिकाकर्ता के रवैये से हैरान हैं जो कहती रही कि उसके द्वारा दी गई ‘ऑप्टिकल मार्क रेकग्निशन’ (ओएमआर) शीट असली थी जबकि राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) ने जो शीट अदालत में दिखाई है वह असली नहीं है। अदालत ने कहा कि यह मानने की कोई वजह नहीं है कि एनटीए एक अभ्यर्थी द्वारा हासिल किए अंकों में बदलाव या छेड़छाड़ करेगी क्योंकि इसमें उसका कोई निजी हित नहीं है।
परीक्षा देने वाली लड़की ने कोर्ट पहुंचकर कीं थी ये मांगे
उच्च न्यायालय का फैसला आंध्र प्रदेश की मेडिकल अभ्यर्थी की याचिका पर आया जिसमें एनटीए को परीक्षा की उत्तर कुंजी के साथ उसकी असली ओएमआर शीट उपलब्ध कराने, उसके अंकों की फिर से काउंटिंग करने और नए सिरे से रिजल्ट तथा मेरिट लिस्ट जारी करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था। याचिकाकर्ता ने उसे केरल या आंध्र प्रदेश में किसी भी सरकारी मेडिकल कॉलेज में नीट (यूजी)-2023 अकादमिक वर्ष के लिए एमबीबीएस सीट आवंटित करने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया था।
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‘NEET में मेरी रैंक 351 से घटाकर 1253032 कर दी गई ‘
याचिका के अनुसार, एनटीए ने 13 जून को परिणाम घोषित किए थे और याचिकाकर्ता की काउंसलिंग के लिए ऑल इंडिया रैंक 351 दिखाई गई। उसे 720 में से 697 अंक मिले। उसने दावा किया कि बाद में उसके अंक घटाकर 103 कर दिए गए और रैंक घटाकर 1253032 कर दी गई।
मेरिट लिस्ट में नहीं था छात्रा का नाम: NTA
बहरहाल, एनटीए ने दावा किया कि याचिकाकर्ता ने जो ओएमआर शीट दिखाई है उससे छेड़छाड़ की गई थी। एनटीए के वकीलों ने अदालत को याचिकाकर्ता की असली ओएमआर शीट भी दिखाई। एनटीए के वकील ने अदालत को यह भी बताया कि याचिकाकर्ता का नाम मेरिट सूची में नहीं था लेकिन याचिकाकर्ता ने दावा किया कि उसका नाम पहले मेरिट सूची में था लेकिन बाद में उसे डिलीट कर दिया गया।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा, “ऐसा रुख अस्वीकार्य है और अदालत की अंतरात्मा को झकझोरने वाला है।” दोनों ओएमआर शीट की तुलना करने के बाद, उच्च न्यायालय ने कहा, “इस बात पर गौर करना चाहिए कि याचिकाकर्ता की ओर से जिस ओएमआर शीट का हवाला दिया गया है, उसमें याचिकाकर्ता द्वारा जानबूझकर हेरफेर करने का प्रयास किया गया है। इस तरह की हिमाकत कानून की अदालत में कतई सहन नहीं की जा सकती”।