Home Education & Jobs NEET : MBBS, BDS दिल्ली स्टेट कोटे में क्यों नहीं मांगा जाता यहां का निवास प्रमाण, गुस्साया छात्र पहुंचा कोर्ट

NEET : MBBS, BDS दिल्ली स्टेट कोटे में क्यों नहीं मांगा जाता यहां का निवास प्रमाण, गुस्साया छात्र पहुंचा कोर्ट

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NEET : MBBS, BDS दिल्ली स्टेट कोटे में क्यों नहीं मांगा जाता यहां का निवास प्रमाण, गुस्साया छात्र पहुंचा कोर्ट

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एक छात्र ने दिल्ली के मेडिकल कॉलेजों में स्टेट कोटे की एमबीबीएस ( MBBS ) व बीडीएस सीटों पर एडमिशन को लेकर नीट यूजी ( NEET UG) अभ्यर्थियों के लिए तय किए गए पात्रता नियमों को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी है। दिल्ली हाईकोर्ट ने राज्य सरकार, गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय (जीजीएसआईपीयू) और दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) से इस याचिका पर जवाब मांगा है। न्यायमूर्ति पुरुषेंद्र कुमार कौरव ने दिल्ली सरकार, स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय, जीजीएसआईपीयू और डीयू को नोटिस जारी किया और दो सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करने को कहा। उच्च न्यायालय ने मामले की अगली सुनवायी की तिथि 7 अगस्त तय की।

    

जीजीएसआईपीयू ने 28 जून को एक अधिसूचना जारी करके दिल्ली स्टेट कोटे की 85 फीसदी सीटों पर एडमिशन के लिए योग्य अभ्यर्थियों से दस्तावेज जमा करने के लिए कहा था। आपको बता दें कि विभिन्न राज्यों में स्थित मेडिकल कॉलेजों के ऑल इंडिया कोटा की 15 फीसदी सीटों की काउंसलिंग एमसीसी कराता है। शेष 85 फीसदी सीटें स्टेट कोटा नियमों के तहत भरी जाती हैं। 

दिल्ली के नीट छात्र ने याचिका में क्या कहा

कोर्ट पहुंचा नीट अभ्यर्थी दिल्ली राज्य कोटा सीटों का दावा करने के लिए बनाए गए अनिवार्य पात्रता नियमों से काफी निराश है। अभ्यर्थी ने याचिका में कहा है कि राष्ट्रीय राजधानी के कॉलेज और संस्थानों में अंडर ग्रेजुएट कोर्सेज एमबीबीएस / बीडीएस आदि में एडमिशन के लिए बने पात्रता मानदंडों के मुताबिक वह छात्र योग्य होता है जिसने दिल्ली के किसी स्कूल से 11वीं 12वीं की पढ़ाई की हो। यह मानदंड काफी सीमित और कम है।

याचिका में कहा गया है, ”पिछले कुछ वर्षों में मनमाने तरीकों से दिल्ली से बाहर के छात्र दिल्ली के स्कूलों को अपना डमी स्कूल बना रहे हैं। बाहरी छात्र  दिल्ली से अवैध रूप से डमी स्कूली शिक्षा का सहारा ले रहे हैं। ये छात्र 10वीं की परीक्षा के बाद दिल्ली आ जाते हैं। इसका एकमात्र उद्देश्य किसी तरह दिल्ली राज्य कोटा सीटों का लाभ उठाना होता है जिन्हें दिल्ली एनसीटी के वास्तविक निवासियों के बीच आवंटित किया जाना चाहिए।

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मांग- दिल्ली में निवास का प्रमाण भी मांगा जाए

अधिवक्ता आयुष बेओत्रा और अमीश टंडन के माध्यम से दायर याचिका में अनुरोध किया गया है कि दिल्ली स्टेट कोटा की एमबीबीएस और बीडीएस सीटों पर प्रवेश के लिए अनिवार्य पात्रता मानदंडों में से एक के रूप में निवास प्रमाण पत्र (दिल्ली का रेजिडेंशियल प्रूफ) के मानदंड को शामिल भी शामिल किया जाए। जिस तरह अन्य बहुत से राज्यों में डोमिसाइल मांगा जाता है।  

आपको बता दें कि नीट रिजल्ट जारी होने के बाद पिछले कई दिनों से मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस व बीडीएस कोर्सेज में एडमिशन के लिए काउंसलिंग शुरू होने का इंतजार है। विभिन्न राज्यों में स्थित मेडिकल कॉलेजों के ऑल इंडिया कोटा की 15 फीसदी सीटों की काउंसलिंग एमसीसी कराता है। शेष 85 फीसदी सीटें स्टेट कोटा नियमों के तहत भरी जाती हैं। संबंधित राज्यों की काउंसलिंग अथॉरिटी अपने नियमों के मुताबिक 85 फीसदी स्टेट कोटा सीटों पर काउंलिंग आयोजित करेगी।  (दिल्ली कोटा) के 15 फीसदी AIQ के अलावा 85 प्रतिशत राज्य कोटा की सीटों की काउंसलिंग भी एमसीसी ही करवाता है।

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