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राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड (एनबीई) ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि पांच मार्च को होने वाली राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा (नीट-पीजी) 2023 के लिए करीब 2.09 लाख उम्मीदवारों ने पंजीकरण कराया है और यदि इसे स्थगित किया जाता है तो परीक्षा के लिए निकट भविष्य में कोई वैकल्पिक तारीख उपलब्ध नहीं हो सकती है। नीट-पीजी परीक्षा को स्थगित करने संबंधी दो याचिकाओं की सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति एस आर भट और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ के समक्ष ये दलीलें दी गयी हैं।
शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि वह किसी भी प्रकार से कोई आदेश पारित नहीं कर रही है। हालांकि इसने एनबीई की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) ऐश्वर्या भाटी से कहा कि वह याचिकाकर्ताओं द्वारा उठाए गए मुद्दे का समाधान खोजें। याचिकाकर्ताओं ने यह कहते हुए परीक्षा स्थगित करने की मांग की है कि काउंसलिंग 11 अगस्त के बाद आयोजित की जानी है, क्योंकि इंटर्नशिप की कट-ऑफ तारीख तब तक बढ़ा दी गई है।
पीठ ने कहा, ”जो लोग इस (परीक्षा) का इंतजार कर रहे हैं, उनके लिए यह वास्तव में मानसिक प्रताड़ना है।” पीठ ने आगे कहा, ”जब हम एक न्यायिक परीक्षा स्थगित करते हैं तो इसकी तैयार कर रहे लोगों के लिए यह मानसिक त्रासदी हो सकती है।”
जब पीठ ने कहा कि वह जानना चाहती है कि इससे कितने उम्मीदवार प्रभावित होंगे, तो याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि शीर्ष अदालत इस पर स्पष्टीकरण के लिए एनबीई को बुला सकती है।
बाद में इस मामले में एएसजी भाटी पेश हुईं और पीठ से कहा, ‘मेरे पास (इस) परीक्षा के बारे में कुछ जानकारी है। भाटी ने कहा कि लगभग 2.09 लाख उम्मीदवारों ने परीक्षा के लिए पंजीकरण कराया है, परीक्षा आयोजित करने के लिए एक प्रौद्योगिकी भागीदार संस्था को शामिल किया गया है और सभी तैयारियां कर ली गई हैं।
उन्होंने कहा, ”यदि परीक्षा स्थगित की जाती है, तो निकट भविष्य में परीक्षा की कोई वैकल्पिक तिथि उपलब्ध नहीं हो सकती है, क्योंकि प्रौद्योगिकी भागीदार उपलब्ध नहीं हो सकता है।” उन्होंने कहा कि अधिकारी शीर्ष अदालत द्वारा पूर्व में घोषित कार्यक्रम का पालन करने की कोशिश कर रहे हैं।
शंकरनारायणन ने पीठ को बताया कि हालांकि 13 याचिकाकर्ताओं ने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया है, लेकिन उनके द्वारा उठाया गया मुद्दा लगभग 45,000 उम्मीदवारों को प्रभावित करता है। उन्होंने कहा कि पांच मार्च को होने वाली परीक्षा और काउंसलिंग के बीच का अंतर पांच महीने से अधिक का होगा।
याचिकाकर्ताओं की ही ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि यह मुद्दा इसलिए उठा है क्योंकि अलग-अलग राज्यों में इंटर्नशिप के लिए अलग-अलग कार्यक्रम हैं। पीठ ने एएसजी से कहा, ‘हम जवाब चाहते हैं। इसका क्या समाधान है। हम किसी भी तरह से कोई आदेश पारित नहीं कर रहे हैं। हम इसे खुला रख रहे हैं। आप आंकड़ों के साथ आएं।’ खंडपीठ ने मामले की आगे की सुनवाई के लिए 27 फरवरी की तारीख तय की है।