Home Education & Jobs NEET PG : MBBS के 50 फीसदी से ज्यादा टॉप रैंकर्स ने पीजी में चुना जनरल मेडिसिन, देखें लिस्ट

NEET PG : MBBS के 50 फीसदी से ज्यादा टॉप रैंकर्स ने पीजी में चुना जनरल मेडिसिन, देखें लिस्ट

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मेडिकल पोस्ट ग्रेजुएशन एडमिशन के दौरान जनरल मेडिसिन और रेडियो डायग्नोसिस में स्पेशलाइजेशन एमबीबीएस टॉप रैंकर्स की पहली पसंद रही है। इस वर्ष ऑल इंडिया कोटे से एमडी एमएस एडमिशन अलॉटमेंट लिस्ट में टॉप 100 रैंकर्स में से 53 स्टूडेंट्स ने जनरल मेडिसिन में स्पेशलिटी को चुना है। इसके बाद 35 उम्मीदवारों ने रेडियो डायग्नोसिस का चयन किया है। साल 2020 में जनरल मेडिसिन में यह संख्या 47 और रेडियो डायग्नोसिस में 32 थी। शेष बचे उम्मीदवारों ने डर्मेटोलॉजी और जनरल सर्जरी को चुना है। 

टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक एक समय काफी पॉपुलर रही जनरल सर्जरी की ब्रांच को टॉप 100 में से मुश्किल से चार अभ्यर्थियों ने चुना है। हालांकि मेडिकल क्षेत्र के बहुत से एक्सपर्ट्स को इस रुझान ने चौंकाया नहीं है। दरअसल जनरल मेडिसिन की राह कार्डियोलॉजी, नेफ्रोलॉजी और गेस्ट्रोएनटरोलॉजी जैसी फील्ड में स्पेशलाइन के दरवाजे खोलती है। इसमें अपेक्षाकृत कम पैसों की जरूरत पड़ती है। इसके अलावा इस लाइन में डॉक्टर जल्दी स्थायित्व हासिल करते हैं जबकि सर्जरी में यह स्थिति पाने में ज्यादा वर्ष लग जाते हैं। सर्जरी में इंडीपेंडेंट प्रैक्टिस चाहिए होती है जिसमें ज्यादा धन की भी जरूरत पड़ती है। एक्सपर्ट के मुताबिक सर्जरी में स्पेशलाइजेशन करने पर कोई डॉक्टर 35-40 की उम्र में ही सेटल हो पाता है। जबकि जनरल मेडिसिन में वह जल्दी सेटल हो जाता है। 

वर्ष 2023 में MD / MS में कितने विद्यार्थियों ने क्या लिया

जनरल मेडिसिन – टॉप 100 में से 53 छात्रों ने लिया। टॉप 200 में से 100 विद्यार्थी शामिल।

रेडियो डायग्नोसिस – टॉप 100 में से 35 और टॉप 200 में से 70 विद्यार्थी शामिल।

डर्मेटॉलोजी – टॉप 100 में से 6 और टॉप 200 में से 10 विद्यार्थी शामिल।

सर्जरी – टॉप 100 में से 4 और टॉप 200 में से 12 विद्यार्थी शामिल।

गायनेकोलॉजी – टॉप 100 में से 2 और टॉप 200 में से 4 विद्यार्थी शामिल।

ऑप्थेलमोॉजी – टॉप 100 में से 0 और टॉप 200 में से 1 विद्यार्थी शामिल।

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वर्ष 2020 में MD / MS में कितने विद्यार्थियों ने क्या लिया

जनरल मेडिसिन – टॉप 100 में से 47 छात्रों ने लिया। टॉप 200 में से 89 विद्यार्थी शामिल।

रेडियो डायग्नोसिस – टॉप 100 में से 32 और टॉप 200 में से 62 विद्यार्थी शामिल।

डर्मेटॉलोजी – टॉप 100 में से 8 और टॉप 200 में से 15 विद्यार्थी शामिल।

जनरल सर्जरी – टॉप 100 में से 5 और टॉप 200 में से 11 विद्यार्थी शामिल।

पीडियाट्रिक्स – टॉप 100 में से 5 और टॉप 200 में से 11 विद्यार्थी शामिल।

ऑर्थोपेडिक्स – टॉप 100 में से 2 और टॉप 200 में से 5 विद्यार्थी शामिल।

गायनेकोलॉजी – टॉप 100 में से 0 और टॉप 200 में से 5 विद्यार्थी शामिल।

ऑप्थेलमोॉजी – टॉप 100 में से 1 और टॉप 200 में से 1 विद्यार्थी शामिल।

ईएनटीए – टॉप 100 में से 0 और टॉप 200 में से 1 विद्यार्थी शामिल।

मेडिकल काउंसलिंग कमिटी की फर्स्ट सीट अलॉटमेंट लिस्ट के मुताबिक बहुत से अभ्यर्थियों की पसंद अन्य राज्यों की बजाय दिल्ली रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि दिल्ली के संस्थानों में किसी बॉन्ड की जरूरत नहीं होती। इसके अलावा यहां के मेडिकल संस्थानों से पढ़ाई सस्ती है। यहां रेजिडेंट डॉक्टरों को ज्यादा पैसे भी मिलते हैं। 

फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन ऑफ इंडिया के प्रेजिडेंस डॉ. अविरल माथुर कहते हैं कि मेडिसिन में सुपर स्पेशलाइजेशन कोर्स में सीटें भी ज्यादा होती हैं। इसके डॉक्टर कोर्स के बाद अपना जल्दी ओपीडी शुरू कर सकते हैं। जबकि सर्जरी की लाइन में उन्हें प्रैक्टिस के लिए भारी साजो सामान व काफी धन की जरूरत पड़ती है। 



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