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सभी पीजी मेडिकल छात्रों को अब बराबर स्टाइपेंड मिलेगा। प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में स्नातकोत्तर (पीजी) छात्रों को सरकारी मेडिकल कॉलेजों के मेडिकल पीजी छात्रों के जितना स्टाइपेंड मिलेगा जो कि 50 से 70 हजार रुपये तक होता है। प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों के पीजी छात्र लंबे समय से सरकारी मेडिकल कॉलेजों की तुलना में काफी कम स्टाइपेंड मिलने की शिकायत करते रहे हैं। एनएमसी ने पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन रेगुलेशंस 2023 ( पीजीएमईआर 2023 ) में ये सुधार किए हैं। एनएमसी के गैजेट के मुताबिक सभी पोस्ट ग्रेजुएशन कोर्स के मेडिकल छात्रों को एक वीकली ऑफ (साप्ताहिक अवकाश) मिलेगा। इससे पहले लिखित में छुट्टी का प्रावधान नहीं था। उन्हें प्रति वर्ष न्यूनतम 20 दिन की सीएल (कैजुअल लीव) और प्रति वर्ष पांच दिन की शैक्षणिक छुट्टी की अनुमति होगी।
नेक्स्ट परीक्षा स्थगित
एनएमसी के इस नोटिफिकेशन के मुताबिक नेशनल एग्जिट टेस्ट (नेक्स्ट) को अगले आदेश तक स्थगित कर दिया है। स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा (संशोधन) विनियम, 2018 की जगह लेने वाले नए नियमों के अनुसार, मौजूदा नीट-पीजी परीक्षा तब तक जारी रहेगी जब तक कि पोस्ट ग्रेजुएशन कोर्सेज में दाखिले के लिए प्रस्तावित नेशनल एग्जिट टेस्ट (एनईएक्सटी) अमल में नहीं आ जाता। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की सलाह के आधार पर अगली सूचना तक इसे अब स्थगित कर दिया गया है।
अन्य प्रावधान
– नए नियमों में कहा गया है कि पूर्णकालिक रेजीडेंट डॉक्टरों के रूप में और ‘उचित कार्य घंटों’ में काम करेंगे।
– पीजी विद्यार्थियों को अपने कोर्स करिकुलम के हिस्से के तौर पर कम से कम तीन माह जिला अस्पताल में अपनी सेवाएं देनी होंगी। इससे वे ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं से रूबरू हो सकेंगे।
– मेडिकल कॉलेजों को पीजी छात्रों को हॉस्टल की सुविधा देनी होगी।
– – सभी पीजी छात्रों को एक साल के अंदर ही बेसिक कार्डिक लाइफ सपोर्ट (बीसीएलएस) और एडवांस्ड कार्डिक लाइफ सपोर्ट (एसीएलएस) की स्किल्स सीखी होगी। इन दोनों सर्टिफिकेट कोर्स के बगैर छात्रों को परीक्षा में नहीं बैठने दिया जाएगा।
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– पीजी मेडिकल काउंसलिंग ऑनलाइन आयोजित की जाएगी जिससे योग्यता-आधारित चयन प्रक्रिया सुनिश्चित हो। मेडिकल कॉलेजों द्वारा सीट मैट्रिक्स में फीस डिटेल्स का खुलासा ने करने पर सीटों की गिनती नहीं की जाएगी। चिकित्सा संस्थानों को नियमों का उल्लंघन करने पर प्रति सीट एक करोड़ का जुर्माना भरना पड़ता है। लगातार उल्लंघन पर दो साल का एडमिशन बैन लगाया जा सकता है।