Wednesday, December 18, 2024
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NEET में 99 पर्सेंटाइल लाने वाले छात्र का MBBS एडमिशन रद्द, शिकायतकर्ता स्टूडेंट को मिली सीट


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देश के प्रतिष्ठित मेडिकल इंस्टीट्यूट  जिपमेर ( JIPMER ) में झूठी डिक्लेयरेशन देकर एमबीबीएस ( MBBS ) कोर्स में एडमिशन लेने वाले केरल के एक छात्र का एडमिशन रद्द किया जाएगा। नीट ( NEET ) में 99.3 पर्सेंटाइल हासिल करने वाले नजीह सरफराज खालिद नाम के छात्र ने रेजिडेंसी कोटा (मूल निवासी) से जिपमेर में दाखिला लिया था। लेकिन जांच में पाया गया कि उसी साल खालिद ने पुडुचेरी के साथ-साथ केरल में भी मूल निवास का दावा किया था। इंस्टीट्यूट के एक दूसरे कैंपस (कराइकल) के छात्र सामीनाथन एस ने खालिद की शिकायत एडमिशन अथॉरिटी से की थी और उसकी सीट पर दावा किया था। अब आदेश दिया गया है कि सामीनाथन एस को खालिद की सीट दे दी जाए। नियमों के मुताबिक कोई छात्र मेडिकल कॉलेज में दाखिले के लिए आवेदन करते समय एक शैक्षणिक वर्ष में एक से अधिक राज्यों में मूल निवास स्थान का दावा नहीं कर सकता। 

टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक केंद्रीय स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय की मेडिकल काउंसलिंग कमिटी ने जिपमेर ( JIPMER , पुडुचेरी जवाहरलाल इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च ) संस्थान के डायरेक्टर को आदेश दिया है कि खालिद का एडमिशन पुडुचेरी कैंपस से कैंसिल कर उसकी सीट सामीनाथन को दी जाए। कमिटी ने कहा, ‘खालिद ने नियमों का उल्लंघन कर गलत तरीके से सीट हासिल की थी। इसलिए निदेशालय उसे आवंटित सीट रद्द कर याचिकाकर्ता सामीनाथन को एडमिशन देने की सिफारिश करता है। हालांकि जिपमेर के कराइकल कैंपस में रिक्त हुई सीट को भरने का काम नियमों के मुताबिक मेडिकल काउंसिलिंग कमिटी देखेगी।’

क्या है मामला 

नीट में 99.3 पर्सेंटाइल लाकर नजीह सरफराज खालिद ने दिग्गज मेडिकल संस्थान जिपमेर के पुडुचेरी कैंपस में एमबीबीएस में एडमिशन लिया था। इंस्टीट्यूट के एक अन्य छात्र सामीनाथन एस ने इंस्टीट्यूट की एडमिशन अथॉरिटी से शिकायत की कि खालिद ने एप्लीकेशन फॉर्म में झूठी जानकारी देकर एडमिशन लिया है। खालिद ने रेजिडेंसी कोटा (मूल निवासी) से जिपमेर में दाखिला लिया था। पाया गया कि उसी साल खालिद ने पुडुचेरी के साथ-साथ केरल में भी मूल निवास का दावा किया था। जब संस्थान ने सामीनाथन एस की शिकायत पर कार्रवाई नहीं की तो उसने खालिद का दाखिला रद्द करने के लिए नवंबर में मद्रास उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।

मद्रास उच्च न्यायालय की एकल न्यायाधीश पीठ ने पुडुचेरी सरकार और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को खालिद के विवादास्पद एडमिशन पर उचित निर्णय लेने को कहा था। मामला एडमिशन अथॉरिटी के पाले में वापस भेजने की वजह बताते हुए जस्टिस सीवी कार्तिकेयन ने कहा, ‘उन्होंने सीट ऑफर की है, अब उन्हें ही उचित निर्णय लेना होगा। कोर्ट किसी सरकारी सेवक को उसके कर्तव्य के बारे में सलाह नहीं दे सकता। कोर्ट अपने दायरे व नियमों से बंधा हुआ है।’

 

कोर्ट के कार्रवाई करने के आदेश पर केंद्रीय स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय की कमिटी ने खालिद की सीट पर एडमिशन रद्द करने के आदेश दिए हैं। 

कोर्ट ने दिए थे कार्रवाई के निर्देश

हाईकोर्ट ने इस मामले को फिर से एडमिशन देने वाले अथॉरिटी के पाले में डाल दिया। कोर्ट ने कहा कि वह स्टूडेंट्स की सीट को रद्द नहीं कर सकता है लेकिन वह एडमिशन देने वाली अथॉरिटी को छूठा घोषणापत्र (डिक्लेयरेशन) देकर दाखिला लेने के मामले में आवश्यक कार्रवाई करने का निर्देश जरूर दे सकता है। कोर्ट ने दोनों अथॉरिटी से कहा है कि वे 10 दिनों के भीतर खालिद और सामीनाथन के संबंध में उचित कार्रवाई कर उन्हें इसके बारे में बताएं।

सामीनाथन की मांग थी कि खालिद की सीट उसे मिले

देश के मशहूर मेडिकल इंस्टीट्यूट JIPMER के दो कैंपस हैं – एक पुडुचेरी में है और दूसरा कराइकल। कराइकल को पुडुचेरी कैंपस से कमतर माना जाता है। खालिद JIPMER पुडुचेरी कैंपस में MBBS फर्स्ट ईयर का छात्र है जबकि सामीनाथन कराइकल कैंपस का। सामीनाथन की मांग थी कि फॉर्म में झूठी जानकारी देने के लिए खालिद का एडमिशन रद्द कर उसकी पुडुचेरी कैंपस की सीट उसे दी जाए।

 



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