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प्रचंड की मुलाकात से हुआ कमाल
नेपाली कांग्रेस फिलहाल 88 सांसदों के साथ सबसे बड़ी पार्टी है। अगर नेपाली कांग्रेस और केपी ओली की पार्टी दोनों ही समर्थन करती हैं तो प्रचंड को 269 सांसदों का समर्थन मिल जाएगा। सीपीएन-माओवादी सेंटर के 68 वर्षीय नेता ने 26 दिसंबर को तीसरी बार प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी, जब उन्होंने नाटकीय रूप से नेपाली कांग्रेस के नेतृत्व वाले चुनाव पूर्व गठबंधन को छोड़कर विपक्ष के नेता केपी शर्मा ओली से हाथ मिला लिया था। प्रधानमंत्री प्रचंड की नियुक्ति के बाद नेपाल का पहला संसद सत्र सोमवार को यहां शुरू हुआ।
इससे पहले ‘माई रिपब्लिका’ अखबार ने बताया था कि नेपाली कांग्रेस – संसद में सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी – के विपक्षी खेमे में रहते हुए प्रधानमंत्री प्रचंड के समर्थन में मतदान करने की संभावना है। अखबार ने कहा कि प्रधानमंत्री प्रचंड ने सोमवार को नेपाली कांग्रेस के प्रमुख शेर बहादुर देउबा से मुलाकात की और संसद में उनका समर्थन मांगा। अखबार ने देउबा के करीबी नेता को उद्धृत करते हुए कहा था, ‘देउबा ने कहा है कि हमारी पार्टी मंगलवार सुबह होने वाली संसदीय दल की बैठक के बाद तय करेगी कि नई सरकार को समर्थन देना है या नहीं।’
संसद में विश्वासमत का क्या है गणित
नेपाली कांग्रेस और सीपीएन (माओवादी सेंटर) ने 20 नवंबर को हुए संसदीय चुनाव के लिए चुनावी गठबंधन किया था। नेपाली कांग्रेस द्वारा कथित तौर पर पूर्व सहमति के अनुरूप प्रचंड को प्रधानमंत्री का पद देने से इनकार कर दिया गया। इसके बाद, सीपीएन (माओवादी सेंटर) ने आश्चर्यजनक रूप से एक नई सरकार बनाने के लिए सीपीएन-यूएमएल के साथ गठबंधन किया। देश की 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा में नेपाली कांग्रेस के 89 सांसद हैं, जबकि यूएमएल के 79 सांसद हैं।
इसी तरह, सीपीएन (माओवादी सेंटर), सीपीएन (यूनिफाइड सोशलिस्ट) और राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी के क्रमश: 32, 10 और 20 सदस्य हैं। संसद में जनमत पार्टी के 6 सदस्य, लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी के 4 और नागरिक उन्मुक्ति पार्टी के 3 सदस्य हैं। प्रचंड को प्रधानमंत्री बने रहने के लिए 275 सदस्यीय संसद में 138 मतों की आवश्यकता है।
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