बाड़मेर. पश्चिम राजस्थान के सीमांत बाड़मेर जिले में न्यूज़ 18 टीम ने सामाजिक सरोकार निभाया है. दुर्लभ बीमारी एप्लास्टिक एनीमिया से ग्रसित जेठी के लिए आर्थिक मदद जुटाने के लिए न्यूज़18 की अपील रंग लाई है. अब तक पीड़ित परिवार को 3 लाख 75 हजार रुपये की मदद मिल चुकी है. दरअसल बाड़मेर शहर से 23 किलोमीटर दूर बिशाला गांव की जेठी मेघवाल को 150 यूनिट खून चढ़ाने के बावजूद बीमारी से निजात नहीं मिल रही. न ही इस परिवार के पास अब इसके इलाज के लिए फूटी कौड़ी है.
17 साल की जेठी पूनड़ एप्लास्टिक एनीमिया से जूझ रही हैं. इस बीमारी में शरीर में खून नहीं बनता और बार-बार मरीज को खून चढ़ाना पड़ता है. जेठी का बाड़मेर के राजकीय अस्पताल और फिर महीने भर जोधपुर एम्स में उपचार चला, लेकिन सेहत में सुधार नहीं आने और पैसे खत्म होने के बाद उसका भाई कालूराम उसे वापस घर ले आया.
अब चिकित्सकों ने उसे बोन मैरो ट्रांसप्लांट एकमात्र विकल्प बताया है. इस ट्रांसप्लांट का खर्च 25 लाख रुपये से अधिक है. घर में चारपाई पर तिल-तिल कर जेठी को मरते हुए देख रहा परिवार जनप्रतिनिधियों, संगठनों और लोगों के सामने कई बार झोली फैला चुका है. न्यूज़ 18 टीम ने पीड़ित परिवार के लिए मदद की गुहार लगाई थी. जेठी पूनड़ की माता चंपा देवी ने न्यूज़18 टीम का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि अब तक 3 लाख 75 हजार रुपये की आर्थिक मदद मिली है लेकिन अभी भी इलाज कोसों दूर है.
निम्बला मठ के महंत प्रेमगिरि जी महाराज ने 2 लाख 51 हजार रुपये नकद सहायता दी है. वहीं 1 लाख 25 हजार फोन पे के जरिए पीड़ित परिवार को मदद पहुंची है. जेठी के परिवार में इकलौता भाई कालूराम है जो मजदूरी कर गुजर बसर करता है. आप भी इस बच्ची के इलाज में मदद करना चाहते हैं तो जेठी के भाई कालूराम मेघवाल के फोन पे नम्बर 93585 15442 पर मदद कर सकते हैं. अन्यथा राजस्थान मरूधरा ग्रामीण बैंक शाखा बिशाला में कालूराम पुत्र गुलाराम के खाता संख्या 11312433394 पर भी मदद भेज सकते हैं. आईएफएस कोड RMGB0000257 है.
दरअसल एप्लास्टिक एनीमिया तब होता है, जब रीड की हड्डी में अस्थि मज्जा रक्त कोशिकाओं का उत्पादन खत्म हो जाता है. यह रोग किसी को भी आयु, जाति या लिंग के भेद के बगैर हो सकता है. खून नहीं बनने के कारण मरीज को बार बार खून चढ़ाना पड़ता है नहीं तो मरीज की मौत हो सकती है.
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FIRST PUBLISHED : April 20, 2023, 19:28 IST