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राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) द्वारा प्रस्तावित नेशनल एग्जिट एग्जाम (NExT) के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की गई है। वर्ष 2019 में MBBS पाठ्यक्रम में दाखिला लेने वाले छात्रों ने याचिका में कहा है कि उनके ऊपर NExT को लागू नहीं किया जाए। हालांकि एनएमसी ने 13 जुलाई को एक अधिसूचना जारी कर अगले आदेश तक के लिए नेक्स्ट को स्थगित कर दिया है। देश भर के अलग-अलग मेडिकल कॉलेजों में पढ़ने वाले 31 छात्रों की ओर से अधिवक्ता मिट्ठू जैन और अपूर्व करोल ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की है। याचिका में न्यायालय से एनएमसी को यह आदेश देने की मांग की गई है कि 2019 में एमबीबीएस पाठ्यक्रम में दाखिला लेने वाले छात्रों के ऊपर नेक्स्ट को लागू नहीं करे। शीर्ष न्यायालय में दाखिल याचिका में अधिवक्ता जैन ने कहा है कि छात्रों ने जो अब तक पढ़ाई की है, नेक्स्ट का पैटर्न पूरी तरह से अलग है। याचिका में कहा गया है कि नेक्स्ट एक एमसीक्यू आधारित परीक्षा होगी और इसमें एमबीबीएस पाठ्यक्रम के किसी भी हिस्से से प्रश्न पूछे जा सकते हैं। अधिवक्ता मिट्ठू जैन ने याचिका में कहा है कि इस परीक्षा को लागू किए जाने से छात्रों को परेशानियों को सामना करना होगा।
एनएमसी ने 27 जून, 2023 को नेक्स्ट नियमन को लागू किया है और इस परीक्षा में शामिल होने वाला 2019 में एमबीबीएस पाठ्यक्रम में दाखिला लेने वाला छात्र पहला बैच होगा। यह परीक्षा दो चरणों में होगी। पहले चरण की परीक्षा एमबीबीएस पाठ्यक्रम के अंतिम वर्ष की परीक्षा का विकल्प बनेगी और इसमें मिले अंकों के आधार पर पीजी मेडिकल पाठ्यक्रम में दाखिला के लिए पात्रता तय होगा। अधिवक्ता ने बताया कि जबकि दूसरे चरण की परीक्षा मरीजों का इलाज करने के लिए पंजीकृत होने/लाइसेंस के लिए होगी।
एनएमसी द्वारा फिलहाल नेक्स्ट को स्थगित किए जाने के बाद सर्वोच्च न्यायालय में याचिका क्यों दाखिल की गई? इसके जवाब में छात्रों के अधिवक्ता मिट्ठू जैन ने कहा कि अभी सिर्फ कुछ दिनों के लिए ही स्थगित की गई है। हो सकता है कि एनएमसी दोबारा से कह दे कि छात्रों को यह परीक्षा देनी ही होगी, इसलिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई ताकि स्थिति स्पष्ट हो सके।
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