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Opinion: पीएम मोदी के कार्यकाल में भारत के स्पेस मिशन का दुनिया में बजा डंका

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Opinion: पीएम मोदी के कार्यकाल में भारत के स्पेस मिशन का दुनिया में बजा डंका

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भारत का चंद्रयान एक इतिहास रचने जा रहा है. ये मोदी सरकार की बहुत बड़ी उपलब्धि साबित होगी. एक बात तो साफ है कि मोदी सरकार के 9 सालों में स्पेस मिशन और स्पेस टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में जितनी तरक्की हुई है उतनी सफलता के नजदीक पहले प्रधानमंत्री पंडित नेहरू से लेकर मनमोहन सिंह तक के कार्यकाल में कोई नहीं पहुंचा था. हालांकि कांग्रेस और दूसरे विपक्षी दल पंडित नेहरू और दूसरे प्रधानमंत्रियों की भूमिका को आगे बढ़ाकर पेश करने में लगे हैं लेकिन स्पेस मिशन की पिछले 9 साल की अद्भुत, अविस्मरणीय सफलता में चंद्रयान 3 एस मिशन चार चांद लगाने जा रहा है. ये तमाम आंकड़े साझा किए हैं केंद्र सरकार की वेबसाइट माईगॉवडॉटइंडिया में.

मोदी सरकार के कार्यकाल में सैटेलाइट लॉन्च में भारत अव्वल बना
भारत सरकार की वेबसाइट माईगॉवडॉट इंडिया मोदी सरकार के कार्यकाल में पूरी दुनिया को अपनी ताकत दिखा दी है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण ये है कि भारत के द्वारा लॉंच किए गए 424 विदेशी सैटेलाईटों में 2014 से अब तक 389 सैटेलाईटों लॉंच हुए। । जबकि 2014 के पहले ये संख्या सिर्फ 35 ही थी। पीएसएलवी-सी3 से भारत ने रिकार्ड 104 सैटेलाईट लॉंच किए जिसमें 101 अंतर्राष्ट्रीय कस्टमरों के लिए थे। मोदी सरकार के पिछले दस सालों में स्पेस सेक्टर का बजट 5615 करोड से बढ कर 12543 करोड हो गया। ये पिछली सरकारों के मुकाबले 123 फीसदी की बढोत्तरी है। ये भारत का अनूठा रिकार्ड है कि 389 सैटेलाईटों के लॉंच से 3300 करोड रुपयों से ज्यादा कमाई हुई। यानि भारत ने दुनिया भर में न सिर्फ अपनी तकनीकि का डंका बजाया बल्कि स्पेस तकनीकि के माध्यम से बहुमुल्य विदेश मुद्रा भी कमायी। कई देशों से स्पेस मिशन में पार्टनरशिप भी शुरु हुई है। ये साबित करते हैं कि इसरो के सैटेलाईट लॉंच की दर में खासा इजाफा हुआ है। 2014 से पहले लॉंच रेट 1.2 थआ तो 2014 के बाद से अब तक ये 5.7 तक आ गया।

पीएम मोदी ने स्पेस के क्षेत्र में काम करने वाले वैज्ञानिकों को खूब प्रोत्साहित किया
2014 में पद संभालने के बाद से ही पीएम मोदी ने स्पेस रिसर्च में भविष्य की टेक्नोलॉजी पर काम कर रहे युवा वैज्ञानिकों को जम कर प्रोत्साहित किया है। इसलिए छात्रों को शिक्षा देने के लिए स्टूडेट सैटेलाईट लॉंच किए गए। छात्रों के लिए 2014 तक इसर ने 4 सैटेलाईट लॉंच किए जो अब तक बढ कर 14 हो चुके हैं। ये नतीजा है पीएम मोदी का युवाओं की शिक्षा और उन्हें दिशा देने के लिए स्पेस रिसर्च की तरफ मोडने की लगातार कोशिश करते रहना। युवाओं के लिए मोदी सरकार ने युविका नाम से एक वार्षिक विशेष कार्यक्रम शुरु किय जिसमें भविषअट के वैज्ञानिकों को पहचाना और पनपाया जाता है। पिछले तीन सालों में 603 छात्र वैज्ञानिक बने हैं जिनमें त्रिवेन्द्रम, जम्मू और अगरतला में से पास किए युवाओ को शत प्रतिशत रोजगार मिला है।

चंद्रयान-2 ऑरबिटर तो डेटा का इतना बड़ा भंडार निकला कि दुनिया भर से रिसर्चर इससे प्रभावित हुए बिना नही रह सके। भारत में भी वैज्ञानिक समुदाय को इसके डेटा का भरपूर लाभ मिला है जिसके स्पेस मिशन आगे बढाने में खासी मदद मिल रही है। 25 नवंबर 2022 को पहली बार ऐसा हुआ कि तमाम बाधाओं को पार करते हुए पहले प्राइवेट लॉंचपैड और मिशन कंट्रोल सेंटर बना कर इतिहास बनाया गया। ये स्पेस के क्षेत्र में रिसर्च की दिशा में ट्रेंड सेटचर साबित हुआ। क्लास रुम से निकल कर कॉस्मॉस तक के मिशन के तहत स्पेस किड्ज के गाइडंस में 750 छात्राओं ने एसएसएलवी-डी 2 के माध्यम सले 3 सैटेलाईट लॉंच किए हैं।

टॉप विदेशी स्पेस ऐजेंसियों के साथ पार्टनरशिप
स्पेस रिसर्च में भविष्य की टेक्नोलॉजी के लिए नासा की आरटेमिस एकार्ड और नासा के साथ ही एनआईएसएआर सैटेलाईट समझौते पर करार किया है। भार अब अमरीकी स्पेस एजेंसी नासा के आरटेमिस एकॉर्ड का हिस्सा है जिसका लक्ष्य है चांद पर शांतिपुर्ण खोज। भारत का चंद्रयान शफल होने के बाद ऐसे डेटा भेजेगा जिससे आरटेमिस को चांद पर मानवों को उतारने में मदद मिलेगा। दूसरी तरफ एनआईएसएआर भारत के इसरो और नासा के बीच एक करार हैजिसमें दोनों देश अपनी किस्म का पहला हार्डवेयर विकसित करने में लगे हैं जिसमें धरती पर पैनी नजर रखी जा सके। इस मिशन का कुल बजट 470 करोड रुपये है। मोदी सरकार ने स्पेस के क्षेत्र में काम करने के लिए स्टार्ट अप्स को भी खासा प्रोत्साहित किया है। 2020 से अब तक स्पेस के क्षेत्र में काम करने वाले 140 स्टार्ट अप्स आ चुके हैं जो उद्योग जगत, शिक्षा और नयी इजाद के क्षेत्र में नयी कहानी लिख रहे हैं।

ऐसा नहीं है कि स्पेस मिशन और सैटेलाईट रिसर्च में पिछली सरकारों ने कुछ नहीं किया. एक बुनियाद तो रखी। लेकिन जिस फंड, प्रोत्साहन और मेंटरिंग की जरुरत थी वो पीएम मोदी ने पूरी की। मोदी सरकार ने भारत में इस क्षेत्र में काम कर रहे इन्नोवेटरों की सिर्फ हैंड होल्डिंग ही नहीं की बल्कि इस क्षेत्र में काम कर रही विदेशी ऐजेंसियों के लिए रेड कार्पेट भी बिछाया। नतीजा दिख रहा है। मोदी सरकार के 9 सालों के कार्यकाल में में हम चांद पर उतरने वाले हैं और मिशन मंगल के लिए तैयार हो चुके हैं। एक उज्जवल भविष्य की नींव पीएम मोदी ने स्पेस मिशन में रख दी है।

Tags: Chandrayaan-3, Narendra modi, Opinion, PM Modi

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