Tuesday, March 11, 2025
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Opinion: G-20 के जरिए PM मोदी की अगुवाई में भारत बन रहा दुनिया की आवाज


दुनिया के 20 शक्तिशाली देशों के संगठन G-20 के विदेश मंत्रियों की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विकास और दक्षता के बीच सही संतुलन बनाए रखने पर जोर दिया. पीएम मोदी ने कहा कि हम ऐसे वक्त में मिल रहे हैं जब दुनिया बड़े विभाजन देख रही है. पिछले कुछ वर्षों में आर्थिक संकट, जलवायु परिवर्तन, महामारी, आतंकवाद और युद्ध देखे हैं. ये बाते ये साफ करती हैं कि ग्लोबल गवर्नेंस फेल हो चुकी है. दुनिया के अहम विषयों को संभालने औऱ सुचारू रूप से चलाने के लिए बनी संस्थाएं सबसे बड़ी चुनौतियों को पूरा कर पाने में नाकाम रही हैं. ऐसे में विकास और दक्षता के बीच सही संतुलन बनाने और प्रतिरोध क्षमता के लिए G-20 की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है.

G-20 के बैनर तले भारत आज अपनी इसी भूमिका को आगे बढ़ा रहा है.पहली बार G-20 की अध्यक्षता और बैठकों की मेजबानी कर रहे भारत ने “एक धरती, एक परिवार, एक भविष्य” थीम चुनी है और प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई में इसे बखूबी निभा रहा है. जैसा कि पीएम मोदी ने भी कहा “ये थीम उद्देश्यों और कार्रवाई में एकजुटता की जरूरतों का संकेत देती है. साथ ही इससे साझा और ठोस उद्देश्यों को हासिल करने के लिए एकजुटता की भावना दिखती है. इसके लिए हमें मतभेदों से ऊपर उठकर समाधान निकालने होंगे.”

G-20 की मेजबानी के लिए भारत की थीम “एक धरती, एक परिवार, एक भविष्य” और विदेश मंत्रियों की बैठक में प्रधानमंत्री के संबोधन को डिकोड करने से पहले यहां हमें G-20 के बारे में कुछ आंकड़ों को समझना जरूरी है. दरअसल, G-20 सिर्फ कहने के लिए दुनिया के 20 चुनिंदा देशों का संगठन है, लेकिन ये देश दुनिया की टॉप-20 अर्थव्यवस्थाएं हैं. दुनिया की 85 फीसदी GDP या यूं कहें कि अर्थव्यवस्था पर सिर्फ इन 20 देशों का कब्जा है. दुनिया में होने वाले अंतरराष्ट्रीय कारोबार में ये देश 75 फीसदी हिस्सेदारी रखते हैं. इतना ही नहीं दुनिया की 8 अरब से ज्यादा की आबादी में 66 प्रतिशत जनसंख्या इन्हीं 20 देशों में है. ऐसे में इसकी अध्यक्षता और मेजबानी की जिम्मेदारी भारत की वैश्विक जिम्मेदारी को और बढ़ा देती है.
G-20 में कौन-कौन से देश?

यूरोपीय यूनियन, अमेरिका, रूस, चीन, भारत, जापान, ब्रिटेन, जर्मनी , ब्राजील, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया ,तुर्की, कनाडा, सऊदी अरब, दक्षिण कोरिया, स्पेन, इटली, मैक्सिको ,दक्षिण अफ्रीका.
पिछले कुछ वर्षों में जिस तरह भारत ने वैश्विक मंचों पर जिस तरह अंतरराष्ट्रीय समस्याओं, मुद्दों और भविष्य की योजनाओं को लेकर मुखर आवाज उठाई है, उसे ना सिर्फ सुना गया है बल्कि उसके सुझावों को अमलीजामा भी पहनाया गया है. इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का कद भी बढ़ा है बल्कि कई फायदे भी हुए हैं. चाहे वो महामारी संकट की बात हो या फिर आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई की रूपरेखा हो, भारत हर मंच पर अपनी वैश्विक सोच के साथ ही आगे बढ़ रहा है. तभी तो विदेश मंत्रियों की बैठक में पीएम मोदी ने दुनिया में बहुपक्षवाद पर मंडरा रहे संकट का जिक्र किया. उन्होंने G-20 देशों को ना सिर्फ अपने थीम की मतलब समझाया बल्कि उनकी जिम्मेदारियों का अहसास भी कराया. पीएम मोदी ने कहा “कई विकासशील देश अपनी खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ऐसे कर्ज से जूझ रहे हैं जिन्हें चुका पाना मुश्किल हो गया है. विकासशील देशों को अमीर देशों की वजह से होने वाली ग्लोबल वार्मिंग से सबसे ज्यादा प्रभावित होना पड़ रहा है. ऐसे में फैसले लेने वाला कोई भी समूह उस फैसले से प्रभावित होने वाले देशों की आवाज सुने बिना वैश्विक नेतृत्व का दावा नहीं कर सकता है.”

मतलब साफ है, दुनिया के संपन्न और शक्तिशाली देशों को भी छोटे से छोटे देशों की बातों को भी सुनना होगा, उन्हें अहमियत देनी होगी. होना भी यही चाहिए क्योंकि आज दुनिया के देश प्रगति, विकास, आर्थिक तरक्की, आपदा से लड़ने की क्षमता, वित्तीय स्थिरता, आतंकवाद, सीमापार अपराध, भ्रष्टाचार, खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा की मुश्किलों का समाधान करने के लिए G-20 देशों खासकर भारत की तरफ ही देख रहे हैं. यहां ये कहा जा सकता है कि भारत ना सिर्फ G-20 का एजेंडा तय कर कर रहा है बल्कि दुनिया को एक नई दिशा दे रहा है. जैसा कि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इसी बैठक में कहा “G-20 देशों पर असाधारण जिम्मेदारी है. हम पहली बार वैश्विक संकट के बीच साथ आए थे औऱ आज एक बार फिर कोरोना महामारी, रूस-यूक्रेन जंग, जलवायु परिवर्तन जैसे कई संकटों का सामना कर रहे हैं. जरूरी नहीं है कि इन मुद्दों पर हम एकमत हों लेकिन हमें साथ मिलकर हल निकालना होगा.”

Tags: G20 Summit, Prime Minister Narendra Modi



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