हाइलाइट्स
देश के ही 1.5 करोड़ से अधिक लोगों ने कार्यक्रमों में शिरकत कर तमाम पहलुओं को जाना
सभी 28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों के 60 शहरों में 220 से अधिक बैठकें की गईं
भारत मंडपम में मेहमानों के लिए शिल्प बाज़ार लगेगा
G20 Summit 2023 Delhi: जी20 की अध्यक्षता (G20 Summit Presidency) के रूप में दुनिया को अपनी महान गौरवशाली संस्कृति, वैभवशाली विरासत और भविष्य के उत्तम निवेश का परिचय देने का प्रधानमंत्री मोदी (PM Narendra Modi) के नेतृत्व में भारत के पास सुनहरा मौका आया और भारत ने इसका भरपूर सदुपयोग भी किया. वैसे तो विश्व हमेशा से भारत की सभ्यता और संस्कृति से परिचित था. लेकिन सिर्फ चुनिन्दा केन्द्रों से ही उसका संपर्क रहा जबकि भारत दिल्ली, मुंबई और आगरा से कहीं आगे का देश है. G20 प्रेसीडेंसी के अंत तक भारत के सभी 28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों के 60 शहरों में 220 से अधिक बैठकें हो चुकी होंगी. लगभग 125 देशों के 1 लाख से अधिक प्रतिभागियों ने भारत का दौरा किया होगा. हमारे देश के ही 1.5 करोड़ से अधिक व्यक्ति इन कार्यक्रमों में शामिल हुए या उनके विभिन्न पहलुओं से अवगत हो चुके होंगे.
खुद प्रधानमंत्री मोदी के शब्दों में ‘ऐतिहासिक रूप से, सत्ता के हलकों में, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बैठकों की मेजबानी के लिए दिल्ली, विशेषकर विज्ञान भवन से परे सोचने के प्रति एक निश्चित अनिच्छा रही है. ऐसा शायद सुविधा या लोगों में विश्वास की कमी के कारण हुआ होगा. लेकिन लोगों की क्षमताओं और हमारे देश की अद्भुत विविधता को देखकर, मैंने एक अलग दृष्टिकोण विकसित किया है. इसलिए, हमारी सरकार ने पहले दिन से ही दृष्टिकोण बदलने पर काम किया है.’
जी20 शिखर सम्मेलन से ठीक पहले Moneycontrol.com (मनीकंट्रोल.कॉम) को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में पीएम मोदी ने कहा कि ‘गुजरात का मुख्यमंत्री बनने से पहले कई दशकों तक, मैंने अराजनीतिक और राजनीतिक दोनों व्यवस्थाओं में संगठनात्मक भूमिकाएं निभाई थीं. परिणामस्वरूप, मुझे हमारे देश के लगभग हर जिले में जाने और रहने का अवसर मिला है. मैंने पूरे देश में हर क्षेत्र और समाज के हर वर्ग के लोगों में ‘कर सकते हैं’ की भावना (‘can do’ spirit) देखी. विपरीत परिस्थितियों में भी उनमें गजब का आत्मविश्वास था. उन्हें बस एक ऐसे मंच की जरूरत थी जो उन्हें सशक्त बनाए.’
G20 की बैठकों में जहां वाराणसी में संस्कृति कार्य समूह की बैठक हुईं तो व्यापार और निवेश पर बैठक जयपुर में हुईं. डिजिटल अर्थव्यवस्था का मंच बेंगलुरु बना तो स्वास्थ्य कार्य समूह की बैठक के लिए प्रतिनिधि गांधीनगर में जुटे. कोलकाता ने भ्रष्टाचार विरोधी मंत्रियों की बैठक आयोजित की तो चेन्नई पर्यावरण और जलवायु स्थिरता बैठक की मेज़बान बनी. गोवा, हम्पी, गुरुग्राम, पुणे, महाबलीपुरम, खुजराहो, रांची, उदयपुर, हैदराबाद, ऋषिकेश, श्रीनगर, भुवनेश्वर, गुवाहाटी, सिलीगुड़ी, अमृतसर समेत भारत के कई व्यावसायिक और सांस्कृतिक केंद्र ना केवल G20 के मेज़बान बने बल्कि अपनी कला और संस्कृति से उन्होंने विश्व को परिचित भी करवाया.
शिखर सम्मलेन के लिए अतिथियों को हमारी कला संस्कृति से परिचित होने का भरपूर अवसर मिलेगा. राजधानी दिल्ली एयरपोर्ट से निकलते ही यक्ष-यक्षिणी की नमस्कार मुद्रा में लगी प्रतिमाएं मेहमानों का स्वागत करेंगी. रास्ते में हर जगह भारत की सनातन, सांस्कृतिक विरासत, कला और विकास के पथ पर अग्रसर भारत के दर्शन होंगे. इन कलाकृतियों में रामायण, महाभारत और भगवान् विष्णु के अवतार के दर्शन होंगे.
सम्मेलन के भाग लेने वाले विदेशी मेहमानों को फाइव स्टार होटलों में राजस्थानी शैली और चांदी की परत से तैयार किए गए बर्तनों में खाना परोसा जाएगा. फल रखने वाली टोकरी में मोर का डिजाइन मिलेगा. वहीं, महाराजा थाली में अशोक चिह्न बनाया गया है. भारत मंडपम में मेहमानों के लिए शिल्प बाज़ार लगेगा. जिसमें कश्मीर की 15वीं शताब्दी की चटकीले रंग वाली पेपर मेशे पेटिंग, चिनार की पत्तियों वाली कशीदाकारी, पंजाब की फुलकारी, हिमाचल प्रदेश का चंबा रूमाल, उत्तर प्रदेश से चिकनकारी व वाराणसी का ब्रोकेड, उत्तराखंड की बिच्छू बूटी, हरियाणा की दरी, पश्चिम बंगाल की कांथा वर्क, मणिपुर की कौना टोकरी, झारखंड के आदिवासी आभूषण सहित अन्य राज्यों के उत्पादों का बाजार सजेगा. गेट के बिल्कुल सामने भगवान शिव के नटराज स्वरूप की अष्टधातु की मूर्ति मंगलवार को स्थापित हो गई. इसे तमिलनाडु के स्वामीमलाई जिले के शिल्पकारों ने तैयार किया है.
वैश्विक नेताओं को भी दिल्ली और आगरा से इतर ले जाने के कार्यक्रम बनें. फिर चाहें बेंगलुरु में तत्कालीन जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल की मेजबानी हो या फिर फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन और तत्कालीन जापानी प्रधान मंत्री शिंजो आबे का वाराणसी का दौरा. पुर्तगाली राष्ट्रपति मार्सेलो रेबेलो डी सूसा की गोवा और मुंबई में मेजबानी हुई तो बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने शांति निकेतन का दौरा किया.
भारत की सांस्कृतिक विरासत विश्व की सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक है, जो धर्म, कला, परंपराओं का एक अनूठा समृद्ध संगम है. G20 बैठकों के जरिये मोदी सरकार ने भरपूर प्रयास किया कि हम अपने अतिथियों को हजारों वर्षों के दौरान विकसित हुई अनेक प्रकार के कला, वास्तुकला, चित्रकला, संगीत, नृत्य, पर्वों और रीति-रिवाजों से परिचित करा सकें. मेहमानों का उत्साह और बढ़ता व्यापार ये संकेत देता है कि भारत इन कोशिशों में कामयाब भी रहा है.
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Tags: G20, G20 Summit, India G20 Presidency, Opinion, PM Modi
FIRST PUBLISHED : September 07, 2023, 09:22 IST