नई दिल्ली. जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले की जिम्मेदारी टीआरएफ ने ली है. सबकी नजर उसके आका और पाकिस्तान में बैठे लश्कर सरगना हाफिज सईद पर है. लेकिन इंडियन आर्मी की नजर पाकिस्तानी मिलिट्री की उस यूनिट की ओर घूम गई है, जिसे आईएसआई और सेना कश्मीर में आतंक भरकाने का ठेका दे रखा है. बलगाम आतंकी हमले को लेकर लश्कर के टॉप कमांडर लगातार नजर बनाए हुए थे. पाकिस्तान के लगातार इनकार के बावजूद कश्मीर में हिंसा का पैटर्न पाकिस्तान की X (एक्स) कोर यानी उत्तरी यूनिट की भूमिका पर सवाल उठाता है, जो नियंत्रण रेखा के पार आतंकवाद को बढ़ावा देने में शामिल हो सकती है.
पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान की नींद उड़ गई है. पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ की प्रतिक्रिया ने भी साबित कर दिया है कि दोषी मन कभी चैन से नहीं बैठ सकता. भारत की ओर से पहलगाम आतंकी हमले में पाकिस्तान की भूमिका पर कोई आधिकारिक आरोप अभी तक नहीं लगाया गया है, फिर भी आसिफ ने पाकिस्तानी न्यूज़ चैनल लाइव 92 पर जाकर यह कहा कि ‘पाकिस्तान का इससे कोई संबंध नहीं है. यह सब घरेलू है… इसका हमसे कोई संबंध नहीं है.’
पाकिस्तानी रक्षा मंत्री के बयान के मायने
पाकिस्तान मामलों के जानकारों की राय में ख्वाजा आसिफ का यह बयान किसी भी नजरिए से तर्कसंगत नहीं है. यह प्रतिक्रिया बचाव नहीं थी, बल्कि एक स्वीकारोक्ति थी. आरोप न होने पर भी पहले से ही खंडन कर देना दोषमुक्ति नहीं है. यह अपराधबोध की गंध देता है. अगर आपका विवेक साफ है तो घबराहट क्यों?
मंगलवार को, जब आतंकवादियों ने दक्षिण कश्मीर के पहलगाम में बैसरन के हरे-भरे मैदान में पर्यटकों के एक समूह पर गोलीबारी कर 26 निर्दोष लोगों की जान ले ली. दर्जनों अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए हैं. कुख्यात लश्कर-ए-तैयबा की शाखा होने का दावा करने वाले द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने इस हमले की जिम्मेदारी ली. लेकिन कोई भ्रम न हो. द रेजिस्टेंस फ्रंट एक मुखौटा है. लश्कर-ए-तैयबा का एक और नाम, जो पाकिस्तान की सिक्रेट एजेंसियों की उपज है. यह लिंक अनुमान नहीं है, बल्कि अब साबित हो चुका है. हथियार, फंडिंग, प्रशिक्षण, संचार चैनल, सुरक्षित ठिकाने ये सब पाकिस्तान की सैन्य-खुफिया तंत्र द्वारा सीधे तौर पर उपलब्ध कराए जाते हैं. यह खुफिया गलियारों में फुसफुसाहट नहीं है, बल्कि यह एक हक़ीक़त है.
खुफिया इंटरसेप्ट और जमीनी स्तर की निगरानी क्या कहता है
ख्वाजा आसिफ का घबराया हुआ बयान दोष को टालने के बजाय पाकिस्तानी व्यवस्था में पनप रहे सड़न को उजागर करता है. पहलगाम के हरे-भरे मैदानों पर फैले खून के निशान साफ़ हैं और ये निशान सीधे रावलपिंडी की ओर इशारा करते हैं. पाकिस्तान सेना की इकाइयां LoC पर आतंकियों के सहयोगी हैं. खुफिया इंटरसेप्ट और जमीनी स्तर की निगरानी बार-बार दिखाती है कि पाकिस्तानी सैनिक आतंकवादियों को घुसपैठ करने में मदद करने के लिए कवरिंग फायर प्रदान कर रहे हैं.
जम्मू और कश्मीर के बारामूला, कुपवाड़ा और अनंतनाग जिले में आतंकी विशेष गतिविधि चला रहे हैं. ये क्षेत्र घुसपैठ के लिए सबसे सही इलाका है और पाकिस्तान समर्थित समूहों द्वारा लगातार निशाना बनाए जाते हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि कौन सी पाकिस्तानी सेना की इकाइयां इन आतंकवादियों की मदद कर रही हैं? सभी संकेत मुजफ्फराबाद में स्थित 12वीं इन्फैंट्री डिवीजन की ओर इशारा करते हैं, जो पाकिस्तान-ऑक्यूपाइड कश्मीर (PoK) में LoC के पार है.
अनंतनाग जिले में स्थित पहलगाम, दक्षिण कश्मीर में LoC के काफ़ी करीब है, विशेष रूप से पाकिस्तान-ऑक्यूपाइड कश्मीर के नीलम घाटी और मुजफ्फराबाद के विपरीत हिस्से के पास. सीधी दूरी के हिसाब से मुजफ्फराबाद पर्यटक शहर से केवल 85 से 100 किलोमीटर दूर है, जहां पर कत्लेआम किया गया है.
रावलपिंडी के क्या है कनेक्शन?
पाकिस्तान सेना की 12वीं इन्फैंट्री डिवीजन, रावलपिंडी में स्थित कुख्यात X कोर के तहत काम करती है, LoC के एक महत्त्वपूर्ण हिस्से की देखरेख करती है. नीलम घाटी में एथमुकाम और केल जैसे प्रमुख स्थानों के पास तैनात ब्रिगेड क्रॉस-बॉर्डर घुसपैठ को पहलगाम और आसपास के क्षेत्रों में सुविधाजनक बनाने के लिए ऑपरेशनल रूप से स्थित हैं. पाकिस्तान का X कोर केवल एक सैन्य इकाई नहीं है. यह कश्मीर घाटी में आतंकवाद का गॉडफादर है.हर गोली जो चलाई जाती है, हर इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस जो ट्रिगर होती है और हर क्रॉस-बॉर्डर घुसपैठ का प्रयास X कोर की मुहर होती है.
कुलमिलकर भारत पाकिस्तान के साथ 778 किलोमीटर लंबी LoC साझा करता है और इसका हर इंच पाकिस्तान की दोहरी नीति का गवाह है. पहलगाम हमले के बाद भारत की नजर अब पाकिस्तान आर्मी की एक्स यूनिट पर है.