Home National Pahalgam Terror Attack: ‘पहलगाम के गुनहगारों को मिलनी चाहिए कड़ी सजा’, पुतिन ने PM मोदी को दिया समर्थन

Pahalgam Terror Attack: ‘पहलगाम के गुनहगारों को मिलनी चाहिए कड़ी सजा’, पुतिन ने PM मोदी को दिया समर्थन

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Pahalgam Terror Attack: ‘पहलगाम के गुनहगारों को मिलनी चाहिए कड़ी सजा’, पुतिन ने PM मोदी को दिया समर्थन

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Pahalgam Terror Attack: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पाकिस्तान को कड़ा संदेश दिया है. उन्होंने पीएम मोदी से सोमवार को फोन पर बातचीत की. इस दौरान उन्होंने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के गुनाहगारों को कड़ी सजा देने की बात कही. उन्होंने निर्दोष लोगों की मौत पर संवेदना प्रकट करते हुए आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत को खुला समर्थन देने की बात कही. इस बात की जानकारी विदेश मंत्रालय ने दी है. 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी.  

पुतिन ने इस दौरान जोर देकर कहा कि इस घिनौने हमले के दोषियों और उनके उनके समर्थकों को न्याय के कटघरे में लाया जाना चाहिए. दोनों नेताओं ने भारत और रूस के विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी को गहरा करने को लेकर प्रतिबद्धता जताई. पीएम मोदी ने विजय दिवस की 80वीं वर्षगांठ के मौके पर राष्ट्रपति पुतिन को बधाई संदेश दिया. उन्हें इस साल के अंत में भारत में होने वाले वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए निमंत्रण दिया.

पाकिस्तान के राजदूत ने रूस की मदद मांगी

पुतिन ने ऐसे समय पर पीएम मोदी को कॉल किया है, जब एक दिन पहले ही 4 अप्रैल को मॉस्को में पाकिस्तान के राजदूत ने पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत से बढ़ते तनाव  को कम करने को लेकर रूस से सहायता मांगी थी. एक इंटरव्यू में राजदूत मोहम्मद खालिद जमाली ने कहा कि रूस की भारत के साथ खास रणनीतिक साझेदारी रही है. पाकिस्तान के साथ भी उसके बेहतर रिश्ते रहे हैं. ऐसे में वह 1966 के ताशकंद समझौते की तरह मध्यस्थता को लेकर बेहतर रिश्तों का उपयोग कर सकता है. 

क्या है ताशकंद समझौता 

10 जनवरी 1966 को ताशकंद समझौता किया गया था. यह समझौता उजबेकिस्तान के ताशकंद शहर में होने की वजह से इसका नाम ताशकंद पड़ा. उस समय भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री और पाकिस्तान के राष्ट्र​पति अयूब खान ने हस्ताक्षर किए थे. 1965 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ था. इसे खत्म करने के लिए तत्कालीन सोवियत संघ ने इस समझौते के लिए मध्यस्थता की थी. 4 जनवरी 1966 को तत्कालीन पीएम लालबहादुर शास्त्री और अयूब के बीच बातचीत आरंभ हुई. छह दिनों की बातचीत के बाद यानि 10 जनवरी को दोनों ने समझौते पर हस्ताक्षर किए. इस समझौते में तय हुआ कि  भारत और पाकिस्तान शक्ति का प्रयोग नहीं करेंगे. सभी विवादों को शांतिपूर्ण ढंग से निपटाएंगे. 



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