Pahalgam Terror Attack: भारत के सख्त और आक्रामक रुख ने पाकिस्तान की नींद उड़ा दी है। पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने कूटनीतिक और सामरिक मोर्चे पर जो सख्ती दिखाई है, उसने पाकिस्तान को बेचैन कर दिया है। हालात ये हैं कि पाकिस्तान न सिर्फ भारत के लिए अपना हवाई क्षेत्र बंद कर चुका है, बल्कि लाहौर से इस्लामाबाद तक NOTAM (Notice to Airmen) जारी कर एयरस्पेस को पूरी तरह सील कर दिया है.
पाकिस्तानी नेवी ने अरब सागर में नेविगेशन वार्निंग जारी कर दी तो वहीं पाकिस्तान वायु सेना ने लाहौर और इस्लामाबाद के बीच एयर ट्रैफिक को भी रोक दिया। यह सारे कदम भारत के कड़े तेवरों और भविष्य की किसी कार्रवाई के डर में उठाए गए हैं।
भारत के रुख से क्यों घबराया पाकिस्तान?
भारत ने पहलगाम हमले के बाद पाक के साथ चल रहे व्यापार, सीमा सहयोग और सिंधु जल संधि जैसे मुद्दों को ठंडे बस्ते में डाल दिया। इसके जवाब में पाकिस्तान ने भारतीय विमानों के लिए एयरस्पेस बंद कर दिया। लेकिन यह कदम खुद पाकिस्तान के लिए ‘इकोनॉमिक सर्जिकल स्ट्राइक’ जैसा साबित हो रहा है।
एयरस्पेस बंदी से पाकिस्तान को कितना नुकसान?
हर विदेशी विमान जो किसी देश के ऊपर से उड़ता है, उसे ओवरफ्लाइट शुल्क देना होता है। भारत-पश्चिम एशिया और यूरोप के बीच उड़ान भरने वाले अधिकांश विमान पाकिस्तान के एयरस्पेस का उपयोग करते थे। अब भारतीय एयरलाइनों द्वारा वैकल्पिक रूट अपनाने के कारण यह रेवेन्यू पाकिस्तान के हाथ से निकल गया।
2019 में पुलवामा हमले के बाद भी पाकिस्तान ने अपने हवाई क्षेत्र को 140 दिनों तक बंद रखा था। तब उसे लगभग $100 मिलियन (करीब 800 करोड़ रुपये) का नुकसान उठाना पड़ा था। वही स्थिति अब फिर बन रही है, लेकिन इस बार उसकी अर्थव्यवस्था पहले से कहीं ज्यादा नाजुक हालत में है।
पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत के साथ शुरू वॉर लाइक सिचुएशन के चलते, पाकिस्तान को करोड़ों डॉलर का नुकसान तय माना जा रहा है। जानकार इसे पाकिस्तान की बदहाल अर्थव्यवस्था पर ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ जैसा प्रभाव बताते हैं।
भारत को मिला सामरिक लाभ, पाकिस्तान खुद को कर रहा कमज़ोर
जहां एक ओर भारत रणनीतिक रूप से पाकिस्तान को अलग-थलग कर रहा है, वहीं पाकिस्तान खुद ही आर्थिक नुकसान उठाकर अपनी कमर तोड़ने पर तुला है। एयरस्पेस बंद करने जैसे फैसले से वह अपने नागरिक उड्डयन और राजस्व दोनों को नुकसान पहुंचा रहा है।
भारत की ‘नो टॉलरेंस पॉलिसी’ ने स्पष्ट संकेत दिया है कि आतंक का समर्थन करने वालों को सिर्फ सैन्य नहीं, आर्थिक मोर्चे पर भी माकूल जवाब मिलेगा.
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