कमिटी ने प्रधानमंत्री के विशेष सलाहकारों सहित कैबिनेट सदस्यों की संख्या वर्तमान में लगभग 77 से घटाकर 30 करने की सिफारिश की थी। इसके अलावा सांसदों की सैलरी और खर्च में 10 फीसदी की कमी के साथ-साथ मंत्रालयों के मौजूदा खर्च में 15 फीसदी कटौती की भी मांग की थी। अब यह सरकार पर निर्भर था कि वह इन सिफारिशों को लागू करे या नजरअंदाज कर दे, जैसा कि पहले भी किया जा चुका है। एक बार फिर शहबाज सरकार ने कमिटी की सिफारिशों को अनदेखा कर दिया है।
सांसदों के लिए खोला खजाना
पाकिस्तानी अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून की खबर के अनुसार योजना मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि सरकार ने एक शैक्षिक संस्थान और इनोवेशन सपोर्ट प्रोजेक्ट के बजट में कटौती करके सांसदों को और 3 अरब रुपये देने का फैसला किया है। महंगाई और गंभीर आर्थिक संकट के बीच यह फैसला सरकार की प्राथमिकताओं को दिखाता है। सरकार ने पाकिस्तान इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट इकोनॉमिक्स के 1.4 अरब रुपए के बजट में कटौती करने का फैसला किया है।
कैबिनेट में शामिल 77वां मंत्री
यह फैसला सांसदों को इस तरह की फंडिंग को रोकने के लिए नेशनल ऑस्टेरिटी कमिटी के विचाराधीन प्रस्ताव के बीच लिया गया है। देश की अर्थव्यवस्था की जो हालत है, उसमें राजनीतिक लाभ के लिए एक रुपए भी खर्च नहीं किया जा सकता। कुछ दिनों पहले ही शहबाज शरीफ ने अपनी कैबिनेट में 77वें सदस्य को शामिल किया है। 77वें कैबिनेट मंत्री के रूप में फहाद हारून को शहबाज कैबिनेट में जगह दी गई थी। सोशल मीडिया पर उन्हें लोगों ने कैबिनेट में छंटनी करने का सुझाव दिया था।