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अर्थव्यवस्था संकट में
डॉ. परवेज ताहिर मानते हैं कि देश की सरकार का बजट पूरी तरह से संतुलन से बाहर है और अर्थव्यवस्था बड़े संकट में है। बजट पर जो बोझ है, उसे साझा करने की बहुत जरूरत है। चालू वित्त वर्ष के पहले छह महीनों में सरकार का कुल राजस्व 2,463 अरब रुपए था। इस राजस्व से ज्यादा की रकम यानी करीब 2573 अरब रुपए ब्याज भुगतान पर खर्च किए गए। सबसे हैरान करने वाली बात है कि 639 अरब रुपए रक्षा बजट पर खर्च कर दिए गए और यह सबसे बड़ा खर्च था।
भारत से होती है तुलना
पाकिस्तान के रक्षा खर्च पर हमेशा से बहस होती आई है। रक्षा विश्लेषक जहां इसे खतरनाक बताते हैं तो वहीं सेना के अफसर महानिदेशक इस विचार का अनुसरण कर रहे थे कि भारतीय रक्षा व्यय हमेशा पाकिस्तान से अधिक रहा है। आम तौर पर रक्षा बजट की तुलना जीडीपी के अनुपात में की जाती है। विश्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक पाकिस्तान ने साल 2021 में भारत के 2.7 फीसदी जीडीपी के मुकाबले 3.8 फीसदी रक्षा पर खर्च किया। साल 1960 के बाद से पाकिस्तान की जीडीपी, भारत से ज्यादा रही है। मगर देश के आर्थिक विशेषज्ञों का तर्क है कि रक्षा बजट में कटौती किया बिना दूसरे खर्चों में कटौती करके संतुलन कायम किया जा सकता है।
कई जगहों पर चल रहे प्रोजेक्ट्स
22 फरवरी को हुई मीटिंग में कैबिनेट की तरफ से मंत्रालयों के मौजूदा खर्च में 15 फीसदी कटौती करने वाले उपायों को मंजूरी दी थी। वहीं विदेश मंत्रालय के खर्चे में कोई कटौती नहीं की गई। कई लोगों ने इस बात पर हैरानी जताई कि सेना आतंकवादी गतिविधियों से प्रभावित क्षेत्रों में भारी मात्रा में विकास खर्च कर रही है। आईएसपीआर प्रमुख ने खैबर पख्तूनख्वा के विलय किए गए जिलों में 3,654 योजनाओं की बात की। इनमें बाजारों, शैक्षणिक संस्थानों, अस्पतालों और कम्युनिकेशन इनफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण और पुनर्वास शामिल है। इनमें से करीब 85 फीसदी काम पूरा हो चुका है।
कहां से आएगा इतना पैसा
162 अरब रुपए की कुल लागत का जिक्र किया गया था। विशेषज्ञ पूछ रहे हैं कि यह पैसा कहां से आया? ग्वादर में, जहां सेना चीन पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) परियोजनाओं को सुरक्षा प्रदान कर रही है, सेना प्रमुख ने स्थानीय लोगों के कल्याण के लिए अपने बजट से कई प्रोजेक्ट्स का ऐलान कर रहे हैं। विशेषज्ञों की मानें तो 162 अरब रुपए जितनी बड़ी राशि सेना के बजट से नहीं आ सकती थी। पाकिस्तान के सांतवें एनएफसी के तहत, वित्त वर्ष साल 2011 से केपी सरकार को 417 अरब रुपए की आतंकवाद विरोधी फंडिंग प्रदान की गई है। यहां शायद पीएम की आंशिक प्रतिक्रिया है जो इस धन के उपयोग के बारे में पूछते रहते हैं।
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