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पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भट्टो पहले ही देश में मार्शल लॉ की आशंका जता चुके हैं। पाकिस्तान में अगर सेना जल्द चुनाव के लिए तैयार नहीं है तो चुनाव कराना असंभव होगा। पाकिस्तानी अखबार डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक इस बात के पुख्ता संकेत हैं कि सेना प्रमुख जनरल मुनीर जल्दी या अलग-अलग चुनाव कराने के पक्ष में नहीं हैं। इसका मतलब हुआ कि जनरल मुनीर चाहते हैं कि पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा के चुनाव शहबाज सरकार का कार्यकाल खत्म होने के बाद एक साथ कराए जाएं।
इमरान खान के साथ राष्ट्रपति और सुप्रीम कोर्ट
वहीं इमरान खान ने संघीय चुनाव को जल्दी कराने के लिए पंजाब में विधानसभा को भंग कराया था ताकि सेना और शहबाज सरकार जल्दी पूरे देश में चुनाव कराने के लिए मजबूर हो जाए। इस वजह से अब पाकिस्तान में इमरान खान बनाम सेना होता जा रहा है। इससे पहले चुनाव आयोग ने पंजाब में 8 अक्टूबर को चुनाव कराने का ऐलान किया था। इस दौरान वर्तमान पाकिस्तानी राष्ट्रपति और सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बंदियाल दोनों ही अपनी कुर्सी से हट जाएंगे। ये दोनों ही इमरान खान के समर्थक माने जाते हैं।
इमरान की कोशिश है कि किसी तरह से चुनाव को मई में कराया जाए। हालांकि उन्होंने अपने ताजा बयान में कहा गया है कि अगर अक्टूबर में चुनाव कराने का रोडमैप दिया जाता है तो वह बातचीत को तैयार हैं। इस बीच शहबाज सरकार ने कोर्ट के फैसले को खारिज कर दिया है। दरअसल, सरकार को आर्मी चीफ जनरल मुनीर का समर्थन मिल रहा है। इसलिए शहबाज शरीफ सुप्रीम कोर्ट से सीधे भिड़ रहे हैं। अगर शहबाज सरकार चुनाव नहीं कराती है तो पाकिस्तान में हालात काबू के बाहर हो सकते हैं।
पाकिस्तान में मार्शल लॉ के बन रहे आसार
डॉन ने कहा कि अगर ऐसा होता है तो सेना प्रमुख राजनीतिक संकट में कूद सकते हैं और इस बात के ठोस संकेत हैं कि सैन्य नेतृत्व जल्द या केंद्र और राज्य के अलग-अलग चुनाव के पक्ष में नहीं है। पाकिस्तान के रक्षा मंत्रालय ने साफ कह दिया है कि सेना चुनाव में सुरक्षा देने के लिए उपलब्ध नहीं होगी। इसकी वजह यह है कि देश की सीमा पर सुरक्षा के हालात चिंताजनक हैं। यही वजह है कि सेना के मार्शल लॉ या आपातकाल लगाने की आशंका पैदा हो गई है।
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