पाकिस्तान की वर्तमान शहबाज सरकार ने आशा जताई है कि वह चीन को नाराज किए बिना इस सम्मेलन में हिस्सा लेगा। इस सम्मेलन में भारत भी हिस्सा लेगा। भारत ने पिछले साल भी इस सम्मेलन में हिस्सा लिया था। पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान ने चीन के इशारे और बाइडन के फोन नहीं करने के बाद अकड़ में आकर इस सम्मेलन में हिस्सा लेने से इंकार कर दिया था। वहीं अब पाकिस्तान दुनिया से कर्ज की भीख मांग रहा है और उसे उम्मीद है कि इस सम्मेलन में हिस्सा लेकर पाकिस्तान एक बार फिर से अमेरिका का समर्थन हासिल कर लेगा। इससे पाकिस्तान आईएमएफ और अन्य द्विपक्षीय कर्जदाताओं से कर्ज लेना आसान हो जाएगा।
‘अमेरिका से कर्ज के लिए गुहार लगा रहा पाकिस्तान’
पाकिस्तानी अखबार डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक इस सम्मेलन पर पाकिस्तान के आयरन ब्रदर चीन की करीबी नजर रहेगी। अमेरिका ने शिखर सम्मेलन में ताइवान को बुलाया है जिससे चीन भड़का हुआ है। चीन चाहता है कि पाकिस्तान इस ‘विवादित’ शिखर सम्मेलन में हिस्सा नहीं ले लेकिन अगर पीएम शहबाज और विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ऐसा करते हैं तो इससे अमेरिका भड़क सकता है। वह भी तब जब पाकिस्तान आईएमएफ से लोन के लिए अमेरिका से गुहार लगा रहा है।
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यही नहीं अमेरिका ने इस सम्मेलन में तुर्की को भी नहीं बुलाया है जो पाकिस्तान का करीबी दोस्त है। तुर्की को नहीं बुलाना भी पाकिस्तान के लिए चिंता का सबब है। अमेरिका के विल्सन सेंटर में दक्षिण एशियाई मामलों के विशेषज्ञ माइकल कुगलमैन कहते हैं, ‘कोई भी अपेक्षा कर सकता है कि पाकिस्तान ताइवान को देखते हुए इस बार भी अनुपस्थित रह सकता है ताकि चीन के साथ उसका विवाद न हो। हालांकि इस बात की बहुत कम संभावना है लेकिन फिर भी मैं इस बात को पूरी तरह से खारिज नहीं करूंगा कि बिलावल भुट्टो अपनी उपस्थिति दर्ज करा सकते हैं।