23 अप्रैल दिन बुधवार से पंचक शुरू होने वाले हैं और पंचांग में पंचक को ऐसा नक्षत्र माना गया है, जिसमें कोई भी शुभ कार्य करने की मनाही होती है. चंद्रमा जब धनिष्ठा नक्षत्र के तीसरे चरण से होते हुए रेवती नक्षत्र, शतभिषा नक्षत्र, पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र, उत्तराभाद्रपद नक्षत्र में भ्रमण करते हैं, तब पंचक काल रहता है. पांच दिन की इस अवधि में किया गया कोई भी कार्य शुभ फल नहीं देता है और इस दौरान बेहद संभलकर रहने की आवश्यकता होती है. इस बार पंचक काल की शुरुआत बुधवार 23 अप्रैल से हो रही है और समापन रविवार 27 अप्रैल को हो रहा है. आइए जानते हैं पंचक काल में कौन कौन से कार्य नहीं करने चाहिए.
इस तरह शुरू होता है पंचक काल
चंद्रमा एक राशि में ढाई दिन रहते हैं और जब चंद्रमा कुंभ और मीन राशि में आते हैं, तब पंचक काल शुरू हो जाता है क्योंकि इन दो राशियों में चंद्रमा 5 दिन तक रहते हैं. चंद्रमा राशि संचार के साथ ही चंद्रमा हर दिन एक नक्षत्र में भी प्रवेश करते हैं, जिसकी शुरुआत धनिष्ठा नक्षत्र के तीसरे चरण में होती है. पंचक काल को अशुभ नक्षत्रों का योग माना गया है और इसकी शुरुआत बुधवार 23 अप्रैल से हो रही है. पंचक की शुरुआत जब बुधवार से होती है, तब उसको दोषरहित पंचक के नाम से जाना जाता है और इस बार समापन रोग पंचक के दिन यानी रविवार को हो रहा है, ऐसे में इन 5 दिन बेहद सतर्कता के साथ काम करने की आवश्यकता पड़ती है.
पंचक में मृत्यु होना
अग्नि पंचक में कोई भी मुश्किल और जोखिम से भरा कार्य नहीं करना चाहिए. पंचक काल में मृत्यु हो जाना बहुत अशुभ माना गया है. गरुड़ पुराण में बताया गया है कि अगर पंचक में किसी की मृत्यु हो जाए तो उसकी रिश्तेदारी या कुंटुंब में 5 अन्य लोगों की मौत होने का खतरा बना रहता है, हालांकि इस बचने का उपाय भी बताया गया है. इस खतरे से मुक्ति पाने के लिए शव के अंतिम संस्कार करते समय कुश या फिर आटे के 5 पुतले बनाए जाते हैं और फिर उनको शव के पास रखकर अंतिम संस्कार कर दिया जाता है, ऐसा करने से पंचक दोष समाप्त हो जाता है.
पंचक काल में ना करें ये 5 काम
पंचक काल में लकड़ी को एकत्रित करना या खरीदना, मकान की छत डलवाना, दाह संस्कार करवाना, बेड, चारपाई, पलंग आदि बनवाना और दक्षिण दिशा में यात्रा करना बहुत अशुभ माना गया है. पंचक काल में ये 5 कार्य भूलकर भी नहीं करने चाहिए, अन्यथा जान माल के नुकसान की आशंका बनी रहती है.
दोषरहित पंचक में ये काम करना शुभ
बुधवार से शुरू होने वाले पंचक को दोषरहित पंचक या बुध पंचक के नाम से जाना जाता है. इस पंचक में किया गया कोई भी विशेष कार्य का दोष नहीं लगता और अशुभ प्रभाव भी नहीं लगता. आमतौर पर गुरुवार के दिन शुरू होने वाले पंचक काल को दोष रहित पंचक माना जाता है क्योंकि यह दिन गुरु बृहस्पति को समर्पित है और यह दिन भाग्योदय और शुभता का प्रतीक माना जाता है. इस 5 दिन कोर्ट-कचहरी या कानूनी मामलों में शुभ फलदायी परिणाम मिल सकते हैं. लेकिन इन जमीन की खुदाई करना, अग्नि से संबंधित कार्य करना, निर्माण कार्य करना, औजार या मशीनरी के काम करना अशुभ बताया गया है.
पंचक काल के उपाय
दोष रहित पंचक में अगर शादी है तो उस में लकड़ी का सामान खरीदना जरूरी है तो उसके लिए गायत्री हवन करवाना शुभ माना जाता है. हवन करवाने के बाद आप लकड़ी के सामान खरीद सकते हैं. वहीं अगर छत डलवाना जरूरी हो तो पहले मजदूरों को मिठाई अवश्य खिलाएं इसके बाद आप छत डलवाने का काम शुरू कर सकते हैं. अग्नि पंचक में अगर दक्षिण की यात्रा करना बेहद जरूरी है तो हनुमानजी को पहले भोग और 5 फल अर्पित करें. साथ ही हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ अवश्य करें. इसके बाद दक्षिण दिशा की यात्रा कर सकते हैं, यह दिशा यमराज की दिशा मानी जाती है. लेकिन हनुमानजी की पूजा करने के बाद यह दोष दूर हो जाता है.