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Reasons Why Kids Ignore Their Parents: अपने बच्चों के स्वभाव में अचानक आए बदलाव को लेकर कई बार पेरेंट्स को चिंता होने लगती है। तमाम कोशिशों के बावजूद भी वो अपने बच्चों का उन्हें इग्नोर करने का कारण नहीं समझ पा रहे होते हैं। अगर आप भी ऐसा महसूस करते हैं कि आपका बच्चा आपसे बातें शेयर करने की जगह आपको इग्नोर करने की कोशिश करता रहता है तो हो सकता है कि जाने-अनजाने बच्चे की परवरिश करते समय आपसे ही कुछ गलती हो रही हो। जी हां, गलतियां हमेशा बच्चे ही नहीं किया करते हैं, कई बार माता-पिता भी अनजाने में कई ऐसी गलतियां कर बैठते हैं, जिसकी वजह से बच्चे पेरेंट्स को धीरे-धीरे सीरियस लेना या इग्नोर करना शुरू कर देते हैं। आइए जानते हैं ऐसी ही कुछ गलतियों के बारे में।
इन गलतियों की वजह से पेरेंट्स को इग्नोर करते हैं बच्चे-
बच्चे से जिद्द करना-
अगर आप यह समझते हैं कि माता-पिता को अपने बच्चों से अपनी हर बात जबरदस्ती मनवाने का पूरा हक है तो आप गलती कर रहे हैं। ऐसा करके आप खुद अपने बच्चे को अपने आप से दूर कर रहे होते हैं। अगर बच्चा कुछ गलत कर रहा है, तो उसे अपनी जिद्द से नहीं बल्कि प्यार से समझाएं। बच्चे के साथ जबरदस्ती जिद्द करने से उसका असर उसके व्यवहार में नजर आने लगता है और बच्चा आपको इग्नोर करना लग जाता है।।
दूसरे बच्चों से तुलना-
ये गलती ज्यादातर पेरेंट्स करते हैं। अपने बच्चे के अंकों, व्यवहार की तुलना क्लास के दूसरे बच्चों के साथ करना, अक्सर माता-पिता की सबसे बड़ी गलतियों में से एक है। आपके ऐसा करने से आपका बच्चा मानसिक रूप से परेशान होने पर अपने पेरेंट्स को इग्नोर करना शुरू कर देता है।
बच्चे को अनसुना करना-
कई बार माता पिता व्यस्त होने की वजह से बच्चे की बातों को अनसुना कर देते हैं। ऐसा रोज होने पर बच्चे का कोमल मन उदास हो जाता है और वो अकेला रहना सीख लेता है। जिसके बाद वो अपने पेरेंट्स को इग्नोर करना शुरू कर देता है। अगर आप भी यह गलती करते हैं तो आज से ही अपने बिजी लाइफस्टाइल में से कुछ समय अपने बच्चे के लिए भी निकालें।
बच्चे को मोटिवेट न करना-
किसी भी बच्चे का मनोबल बढ़ाने के लिए हमेशा उसके अच्छे काम की तारीफ करना माता-पिता का पहला फर्ज है।इसके लिए माता-पिता को समय-समय पर बच्चे के अच्छे काम की सराहना करते रहना चाहिए। हालांकि, सराहना सिर्फ जरूरत के अनुसार ही करनी चाहिए बच्चे का आत्मविश्वास जरूरत से ज्यादा न बढ़े।
बच्चे पर अनावश्यक बंदिशे लगाना –
बच्चे को सुधारने के लिए उस पर बंदिशे जरूर लगानी चाहिए। लेकिन ये बंदिशे हमेशा लिमिट में ही होनी चाहिए। जरूरत से ज्यादा बंदिशे बच्चे को सेंसिटिव बना देती हैं। जिसकी वजह से बच्चे के दिमाग में अपने ही पेरेंट्स के लिए नकारात्मक विचार आने लगते हैं और वह धीरे-धीरे उनकी बातों को नजरअंदाज करना शुरू कर देता है।